ৱাচটাৱাৰ অনলাইন লাইব্রেৰী
ৱাচটাৱাৰ
অনলাইন লাইব্রেৰী
অসমীয়া
  • বাইবেল
  • প্ৰকাশনবোৰ
  • সভাবোৰ
  • mwbr21 মাৰ্চ পৃষ্ঠা ১-৯
  • জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা

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  • জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা
  • আমাৰ খ্ৰীষ্টান জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা—২০২১
  • উপশীৰ্ষক
  • মাৰ্চ ১-৭
  • মাৰ্চ ৮-১৪
  • মাৰ্চ ১৫-২১
  • মাৰ্চ ২২-২৮
  • মাৰ্চ ২৯–এপ্ৰিল ৪
  • এপ্ৰিল ৫-১১
  • এপ্ৰিল ১২-১৮
  • এপ্ৰিল ১৯-২৫
  • এপ্ৰিল ২৬–মেʼ ২
আমাৰ খ্ৰীষ্টান জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা—২০২১
mwbr21 মাৰ্চ পৃষ্ঠা ১-৯

জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা

মাৰ্চ ১-৭

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ৭-৮

“ইস্ৰায়েলীসকলৰ শিবিৰৰপৰা লাভ কৰা শিক্ষা”

it–১ ৪৯৭ ¶৩

मंडली

इसराएल में कुछ पुरुषों को ज़िम्मेदारी का पद दिया गया था और वे पूरी प्रजा की तरफ से प्रतिनिधियों का काम करते थे। (एज 10:14) इसराएल में ‘गोत्रों के प्रधान’ हुआ करते थे। पवित्र डेरा बनने के बाद इन प्रधानों ने अपने-अपने गोत्र की तरफ से चढ़ावा लाकर दिया। (गि 7:1-11) नहेमायाह के दिनों में जब एक करार किया गया तो याजकों, लेवियों और “इसराएली मुखियाओं” ने लोगों की तरफ से करार पर मुहर लगायी और उसे पुख्ता किया। (नहे 9:38-10:27) इसराएली जब वीराने में सफर कर रहे थे, तब उनकी मंडली पर कुछ आदमियों को ठहराया गया था जिन्हें “प्रधान और चुने हुए अधिकारी” कहा गया है। इन्हीं में से 250 आदमी कोरह, दातान, अबीराम और ओन के साथ मिल गए और उन सबने मूसा और हारून के खिलाफ बगावत की। (गि 16:1-3) जब मूसा लोगों को सँभालने की ज़िम्मेदारी अकेले नहीं निभा पा रहा था, तो परमेश्‍वर के निर्देश पर उसने इसराएली मुखियाओं में से 70 आदमियों को चुना ताकि वे इस काम में उसकी मदद करें। (गि 11:16, 17, 24, 25) लैव्यव्यवस्था 4:15 में भी ‘मंडली के मुखियाओं’ का ज़िक्र है। ऐसा मालूम पड़ता है कि वे लोगों के प्रधान, न्यायी और अधिकारी थे और वे उनके प्रतिनिधि हुआ करते थे।—गि 1:4, 16; यह 23:2; 24:1.

it-২ ৭৯৬ ¶১

रूबेन

इसराएल की छावनी में रूबेन गोत्र के लोग पवित्र डेरे के दक्षिण मे होते थे। इनकी एक तरफ शिमोन गोत्र के लोग होते थे और एक तरफ गाद गोत्र के लोग। जब भी इसराएली पड़ाव उठाकर चलते, तो इन तीन गोत्रोंवाले दल में सबसे आगे रूबेन गोत्र होता था। यह तीन गोत्रोंवाला दल यहूदा, इस्साकार और जबूलून के तीन गोत्रोंवाले दल के पीछे होता था। (गि 2:10-16; 10:14-20) जिस दिन पवित्र डेरे का उद्‌घाटन हुआ, उस दिन गोत्रों ने इसी क्रम में चढ़ावा लाकर दिया।—गि 7:1, 2, 10-47.

w০৪ ৮/১ ২৯ ¶১

গণনা পুস্তক কিতাপৰ আলোকপাত

৮:​২৫, ২৬. লেবীবিলাকৰ পুৰোহিত কাৰ্য্যত উপযুক্ত ব্যক্তিক বাছনি কৰা আৰু বয়সৰ বিষয়ে বিবেচনা কৰি বৃদ্ধসকলক অৱশ্যেই কৰণীয় কাৰ্য্যৰ পৰা অৱসৰ দিয়াৰ বাবে আজ্ঞা দিয়া হ’ল। তেওঁলোকে আন লেবীসকলক স্বইচ্ছাৰে সহায় কৰিব পাৰে। যিহেতু বৰ্তমান সময়ত কৰা ঈশ্বৰৰ ৰাজ্যৰ প্ৰচাৰ কাৰ্য্যৰ পৰা অৱসৰ গ্ৰহণ কৰাৰ যদিও কোনো আৱশ্যকতা নাই, তথাপিও মোচিৰ ব্যৱস্থাৰ সিদ্ধান্তই আমাক বহুমূলীয়া শিক্ষা প্ৰদান কৰে। যদি কোনো এজন বৃদ্ধ খ্ৰীষ্টান ব্যক্তিয়ে বিশেষ কোনো দায়িত্ব পূৰ্ণ কৰিব নোৱাৰে, তেওঁ হয়তো তেওঁৰ সামৰ্থৰ অনুসাৰে পৰিচৰ্য্যা কাৰ্য্যত ভাগ লব পাৰে।

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

it-১ ৮৩৫

জ্যেষ্ঠ পুত্ৰ

মিচৰ দেশত জ্যেষ্ঠ পুত্ৰসকলক হত্যা কৰাৰ সময়ত যিহোৱাই ইস্ৰায়েলীৰ সকলো জ্যেষ্ঠ পুত্ৰৰ প্ৰাণ ৰক্ষা কৰিছিল। সেইবাবে যিহোৱাই ইস্ৰায়েলৰ সকলো জ্যেষ্ঠ পুত্ৰ আৰু জীৱ-জন্তুৰ মতা-পোৱালি, তেওঁৰ বাবে পৃথকে ৰাখিবলৈ ইস্ৰায়েলীসকলক আজ্ঞা দিছিল।—যাত্ৰা ১৩:⁠২.

মাৰ্চ ৮-১৪

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ৯-১০

“যিহোৱাই নিজৰ লোকসকলক কেনেকৈ পথ দেখুৱায়?”

it-১ ৩৯৮ ¶৩

छावनी

इसराएलियों की छावनी बहुत बड़ी थी। फिर भी जब वे पड़ाव उठाकर एक जगह से दूसरी जगह जाते, तो वे बड़े कायदे से जाते थे और उनके बीच अच्छी व्यवस्था होती थी। गिनती अध्याय 33 में करीब 40 जगहों का ज़िक्र मिलता है जहाँ इसराएलियों ने पड़ाव डाले थे। जब तक बादल पवित्र डेरे के ऊपर ठहरा रहता, तब तक वे एक ही जगह पड़ाव डाले रहते। जब बादल आगे बढ़ता, तो वे भी पड़ाव उठाकर आगे बढ़ते। “यहोवा के आदेश पर इसराएली रवाना होते और यहोवा के आदेश पर ही वे अपनी छावनी डालते।” (गि 9:15-23) पूरी छावनी को यहोवा की तरफ से ये आदेश देने के लिए चाँदी की दो तुरहियाँ फूँकी जाती थीं। (गि 10:2, 5, 6) जब भी उन्हें पड़ाव उठाना होता था, तो चढ़ते-उतरते स्वर में तुरहियाँ फूँककर खबर दी जाती थी। ऐसा पहली बार उनके मिस्र से निकलने के ‘दूसरे साल के दूसरे महीने के 20वें दिन’ किया गया, यानी ईसा पूर्व 1512 में। जब भी छावनी एक जगह से दूसरी जगह सफर करती, तो सबसे आगे करार का संदूक ले जाया जाता था। इसके पीछे यहूदा का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले यहूदा गोत्र जाता और फिर इस्साकार और फिर जबूलून गोत्र। इस दल के पीछे गेरशोन और मरारी के वंशज पवित्र डेरे के कुछ हिस्से ढोकर ले जाते थे। इनके पीछे रूबेन का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले रूबेन गोत्र जाता और उसके पीछे शिमोन और गाद गोत्र। इस दल के पीछे कहाती लोग पवित्र डेरे की बाकी चीज़ें ढोकर ले जाते थे। इनके पीछे एप्रैम का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले एप्रैम गोत्र जाता और उसके पीछे मनश्‍शे और बिन्यामीन गोत्र। सबसे आखिर में दान का तीन गोत्रोंवाला दल होता था, जिसमें पहले दान गोत्र जाता और फिर आशेर और नप्ताली गोत्र। इस क्रम के मुताबिक सबसे आगे-आगे यहूदा का तीन गोत्रोंवाला दल होता था और सबसे पीछे दान का तीन गोत्रोंवाला दल। ये दोनों दल सबसे ताकतवर थे और उनमें लोगों की गिनती बाकी दलों से ज़्यादा थी।—गि 10:11-28.

w১১ ৪/১৫ ৪-৫

क्या आप परमेश्‍वर के मार्गदर्शन के सबूत साफ-साफ पहचानते हैं?

हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें परमेश्‍वर के मार्गदर्शन की कदर है? प्रेषित पौलुस ने कहा: “तुम्हारे बीच जो अगुवाई करते हैं उनकी आज्ञा मानो और उनके अधीन रहो।” (इब्रा. 13:17) ऐसा करना हमेशा आसान नहीं होता। मिसाल के लिए, खुद को मूसा के ज़माने में एक इसराएली की जगह पर रखकर देखिए। कल्पना कीजिए कि खंभे के निर्देशन में आप कुछ समय से चल रहे हैं लेकिन फिर वह अचानक रुक जाता है। वह कब तक रुका रहेगा? एक दिन? एक हफ्ता? या कुछ महीने? आप सोचते हैं: ‘क्या मुझे अपना सारा समान खोल देना चाहिए?’ शुरू-शुरू में तो शायद आप ज़रूरत की सिर्फ कुछ चीज़ें निकालें। लेकिन फिर आपको किसी-न-किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ती रहती है, जिसके लिए आपको शायद फिर से बाकी के सामान में ढूँढ़-ढाँढ़ करनी पड़े। इससे तंग आकर आप शायद सारा सामान खोलकर करीने से लगा दें। मगर तभी आप देखते हैं कि खंभा फिर से उठकर चलने लगा है यानी आपको फिर से समान बाँधना पड़ेगा! ऐसा करना आसान नहीं होगा। फिर भी “जब जब बादल निवासस्थान पर से उठ जाता तब तब इस्राएली प्रस्थान करते।”—गिन. 9:17-22, NHT.

जब हमें परमेश्‍वर की तरफ से कोई निर्देशन मिलता है, तो हम कैसा रवैया दिखाते हैं? क्या हम भी उन्हें “तब तब” यानी तुरंत लागू करने की कोशिश करते हैं “जब जब” वे हमें दिए जाते हैं? या फिर हम उसी तरह काम करते रहते हैं जैसा कि हम करते आ रहे हैं? हाल ही में घर पर बाइबल अध्ययन चलाने, दूसरी भाषा बोलनेवालों को प्रचार करने, नियमित तौर पर पारिवारिक उपासना करने, अस्पताल संपर्क समितियों को सहयोग देने और अधिवेशनों में अच्छी तरह पेश आने के बारे में जो सलाह दी गयी हैं, क्या हम उनसे वाकिफ हैं? इन्हें मानकर हम परमेश्‍वर के मार्गदर्शन के लिए अपनी कदर दिखा सकते हैं। ज़रूरी फैसले लेते वक्‍त हम अपनी बुद्धि पर भरोसा नहीं करते, बल्कि यहोवा और उसके संगठन से मार्गदर्शन लेते हैं। इसके अलावा, जैसे एक बच्चा तूफान में अपने माता-पिता के पास सुरक्षा के लिए दौड़ता है, उसी तरह हम भी इस दुनिया की तूफान जैसी मुश्‍किलों से बचने के लिए यहोवा के संगठन में शरण लेते हैं।

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

it-১ ১৯৯ ¶৩

একগোট হোৱাৰ ব্যৱস্থা

একগোট হোৱাৰ গুৰুত্বতা। যিহোৱাই ইস্ৰায়েলীসকলৰ বাবে কিছুমান সভাৰ ব্যৱস্থা কৰিছিল, যাতে তেওঁলোকে একগোট হৈ তেওঁৰ উপাসনা কৰিব পাৰে। নিস্তাৰ-পৰ্ব্ব পালন কৰাৰ বিষয়ে যিহোৱাই দিয়া নিয়মৰপৰা বুজিব পাৰোঁ যে এই সভাবোৰত একগোট হোৱাটো কিমান গুৰুত্বপূৰ্ণ আছিল। এজন মানুহ অশুচি হৈ থকা নাই আৰু ঘৰতে আছে। তথাপি তেওঁ নিস্তাৰ-পৰ্ব্বত উপস্থিত হোৱা নাই, তেনেহ’লে তেওঁক মৃত্যুদণ্ড দিয়া হৈছিল। (গণ ৯:​৯-১৪) বৰ্তমান সময়ত খ্ৰীষ্টানসকলক নিস্তাৰ-পৰ্ব্ব বা কোনো উৎসৱৰ বাবে একগোট হ’বলৈ আজ্ঞা দিয়া নাই। কিন্তু আমাক নিয়মীয়াকৈ একগোট হ’বলৈ আজ্ঞা দিছে। পাঁচনি পৌলে কৈছিল যে, “প্ৰেমত আৰু সৎকৰ্ম্মত উত্তেজিত হ’বলৈ আমি পৰস্পৰে মনোযোগ কৰোঁহঁক; আৰু কোনো কোনোৰ দস্তুৰমতে আমি গোট খাবলৈ নেৰি, দিন যিমান ওচৰ হোৱা দেখা, সিমান অধিককৈ পৰস্পৰে উদগাওঁহঁক।”—ইব্ৰী ১০:​২৪, ২৫.

মাৰ্চ ১৫-২১

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ১১-১২

“অভিযোগ কৰাৰপৰা কিয় আঁতৰি থকা উচিত?”

w০১ ৬/১৫ ১৭ ¶২০

सुनकर भूलनेवाले मत बनिए

20 यह सच है कि ज़्यादातर मसीही लैंगिक अनैतिकता के फंदे में नहीं फँसते हैं। फिर भी हम सबको सावधान रहने की ज़रूरत है कि कहीं हम भी हमेशा कुड़कुड़ाने का रवैया ना अपना लें, जिससे हम परमेश्‍वर की मंज़ूरी पाने से चूक जाएं। पौलुस आगाह करता है: “और न हम प्रभु को परखें; जैसा [इस्राएलियों] में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए। और न तुम कुड़कुड़ाओ, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करनेवाले के द्वारा नाश किए गए।” (1 कुरिन्थियों 10:9, 10) इस्राएली मूसा और हारून के खिलाफ कुड़कुड़ाए, यहाँ तक कि वे यहोवा के खिलाफ भी कुड़कुड़ाए और चमत्कारिक रूप से जो मन्‍ना उन्हें दिया गया था, उसके लिए शिकायत करने लगे। (गिनती 16:41; 21:5) उनके व्यभिचार पर यहोवा को जितना क्रोध आया था क्या उनके कुड़कुड़ाने पर उसे कम गुस्सा आया? बाइबल में दी गई जानकारी से पता चलता है कि कुड़कुड़ानेवाले बहुत लोगों को साँपों ने डसकर मार डाला। (गिनती 21:6) इससे पहले भी एक अवसर पर कुड़कुड़ानेवाले 14,700 से ज़्यादा विद्रोहियों का विनाश हो गया था। (गिनती 16:49) तो आइए हम यहोवा के इंतज़ामों की बेइज़्ज़ती करके उसके धीरज को कभी न परखें।

w০৬ ৮/১ ৮ ¶৭

“कुड़कुड़ाने से दूर रहिए”

7 इस्राएलियों का रवैया किस कदर बदल चुका था! शुरू-शुरू में जब यहोवा ने उन्हें मिस्र से आज़ाद किया था और उन्हें लाल समुद्र में अपने दुश्‍मनों से बचाया था, तो उनका दिल एहसान से भर गया था। उन्होंने अपना एहसान ज़ाहिर करने के लिए यहोवा की स्तुति में एक गीत भी गाया था। (निर्गमन 15:1-21) मगर जब उन्हें वीराने में थोड़ी-बहुत परेशानी झेलनी पड़ी और उनमें कनानियों का डर समाया, तो उनके एहसान की भावना को मिटने में ज़रा-भी वक्‍त न लगा। और उनमें असंतोष की भावना पैदा हो गयी। अपनी आज़ादी के लिए यहोवा को धन्यवाद देने के बजाय, वे उसे दोष देने लगे कि वह उन्हें अच्छी चीज़ों से दूर रख रहा है। इसलिए उनका कुड़कुड़ाना इस बात का सबूत था कि उनमें यहोवा के इंतज़ामों के लिए कदर नहीं थी। इस वजह से यहोवा ने कहा: “यह बुरी मण्डली मुझ पर बुड़बुड़ाती रहती है, उसको मैं कब तक सहता रहूं?”—गिनती 14:27; 21:5.

it-২ ৭১৯ ¶৪

झगड़ा

कुड़कुड़ाना। कुड़कुड़ानेवालों की बातें सुनकर दूसरे लोग निराश हो जाते हैं और उनका हौसला टूट जाता है। इसराएली मिस्र से निकलने के कुछ ही समय बाद यहोवा के खिलाफ कुड़कुड़ाने लगे। वे मूसा और हारून में गलतियाँ ढूँढ़ने लगे जबकि यहोवा ने उन दोनों को उनका अगुवा चुना था। (निर्ग 16:2, 7) एक वक्‍त ऐसा आया कि उनकी शिकायतें सुनकर मूसा बहुत निराश हो गया। यहाँ तक कि उसने यहोवा से कहा कि वह उसे मार डाले। (गि 11:13-15) जिन लोगों की कुड़कुड़ाने की आदत होती है उनका खुद का भी नुकसान होता है। जब लोग मूसा के बारे में कुड़कुड़ाने लगे, तो यहोवा की नज़र में यह ऐसा था मानो वे यहोवा के बारे में कुड़कुड़ा रहे हैं और उसके अधीन नहीं रहना चाहते। (गि 14:26-30) कुड़कुड़ाने और गलतियाँ ढूँढ़ने की वजह से कई लोगों ने अपनी जान गँवा दी।

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

it-২ ৩০৯

মান্না

আকাৰ আৰু সোৱাদ। মান্না “ধনীয়া গুটিৰ নিচিনা আৰু বগা” আছিল। সেয়া দেখাত “গুগগুলুৰ বৰণৰ নিচিনা আছিল।” (এয়া কিছুমান উদ্ভিদৰপৰা ওলোৱা বিজলুৱা পদাৰ্থৰ দৰে আছিল।) তাৰ সোৱাদ “মৌজোল” নিচিনা।—যাত্ৰা ১৬:৩১; গণ ১১:⁠৭.

মাৰ্চ ২২-২৮

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ১৩-১৪

“বিশ্বাসে আমাক কেনেকৈ সাহসী কৰি তুলে”

w০৬ ১০/১ ১৭-১৮ ¶৫-৬

विश्‍वास और परमेश्‍वर के भय के ज़रिए साहसी बनना

5 मगर दो जासूस, यहोशू और कालेब, वादा किए गए देश में जाने के लिए बेताब थे। उन्होंने कहा: कनानी लोग “हमारी रोटी ठहरेंगे; छाया उनके ऊपर से हट गई है, और यहोवा हमारे संग है; उन से न डरो।” (गिनती 14:9) क्या यहोशू और कालेब बेवजह उम्मीद बाँध रहे थे? जी नहीं। उन्होंने खुद दूसरे सभी इस्राएलियों के साथ देखा था कि यहोवा ने कैसे दस विपत्तियाँ लाकर शक्‍तिशाली साम्राज्य मिस्र को और उनके देवी-देवताओं को बेइज़्ज़त किया था। उन्होंने यह भी देखा था कि यहोवा ने कैसे लाल समुद्र में फिरौन और उसकी सेना को डुबा दिया था। (भजन 136:15) इसलिए दस जासूसों और उनकी बातों में आनेवाले लोगों को डरने की कोई ज़रूरत नहीं थी। मगर फिर भी उन्होंने विश्‍वास की कमी दिखायी। उनके इस रवैए से यहोवा को बहुत दुःख पहुँचा। उसने कहा: “मेरे सब आश्‍चर्यकर्म देखने पर भी [वे] कब तक मुझ पर विश्‍वास न करेंगे?”—गिनती 14:11.

6 यहोवा ने साफ-साफ बताया कि इस्राएली क्यों बुज़दिल निकले—उनमें विश्‍वास की कमी थी। जी हाँ, विश्‍वास और साहस के बीच एक गहरा नाता है, इतना गहरा कि प्रेरित यहून्‍ना ने मसीही कलीसिया और उसकी आध्यात्मिक लड़ाई के बारे लिखा: “वह विजय जिस से संसार पर जय प्राप्त होती है हमारा विश्‍वास है।” (1 यूहन्‍ना 5:4) आज, साठ लाख से भी ज़्यादा यहोवा के साक्षियों में यहोशू और कालेब की तरह विश्‍वास है, इसलिए वे पूरी दुनिया में राज्य का सुसमाचार प्रचार कर रहे हैं। इनमें बूढ़े-जवान, कमज़ोर-ताकतवर, हर तरह के लोग शामिल हैं। आज तक एक भी दुश्‍मन, इन साहसी लोगों से बनी बड़ी सेना को नहीं रोक पाया है।—रोमियों 8:31.

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

it-১ ৭৪০

ঈশ্বৰে ইস্ৰায়েলীসকলক দিয়া দেশ

চোৰাংচোৱাসকলে যেতিয়া প্ৰতিজ্ঞা কৰা দেশৰপৰা বাৰ্তা লৈ আহিছিল, তেতিয়া তেওঁলোকে তাৰপৰা ডিমৰু, ডালিম আৰু এজোপা দ্ৰাক্ষাফল থকা দ্ৰাক্ষালতাৰ এটা ডালি লৈ আহিছিল। দ্ৰাক্ষালতাৰ এটা ডাল ইমানেই ডাঙৰ আছিল যে কানমাৰি লগাই দুজনে উলমাই লৈ আনিবলগীয়া হৈছিল। এয়া সঁচা যে তেওঁলোকৰ বিশ্বাস কম হোৱাৰ বাবে, তাত থকা লোকসকলক ভয় কৰিছিল। কিন্তু তেওঁলোকে সেই দেশৰ বিষয়ে এটা সঠিক বাৰ্তা দিছিল যে “সেই দেশ গাখীৰ মৌজোল বৈ থকা দেশ।”—গণ ১৩:​২৩, ২৭.

মাৰ্চ ২৯–এপ্ৰিল ৪

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ১৫-১৬

“অহংকাৰী হৈ নিজৰ ওপৰত বেছি ভৰসা নকৰিব”

w১১ ৯/১৫ ২৭ ¶১২

क्या यहोवा आपको जानता है?

12 बात उस समय की है जब इसराएल जाति वादा किए हुए देश की ओर जा रही थी। कोरह को लगा कि यहोवा के इंतज़ाम में कुछ गड़बड़ है। जब उसने कुछ बदलाव करने की कोशिश की तब इसराएल के 250 प्रधानों ने भी उसका साथ दिया। कोरह और बाकी लोगों को यकीन था कि यहोवा के साथ उनका रिश्‍ता मज़बूत है। इसलिए उन्होंने मूसा से कहा: “तुम ने बहुत किया, अब बस करो; क्योंकि सारी मण्डली का एक एक मनुष्य पवित्र है, और यहोवा उनके मध्य में रहता है।” (गिन. 16:1-3) उन्हें खुद पर कितना भरोसा और घमंड था! मूसा ने उनसे कहा: “यहोवा दिखला देगा कि उसका कौन है।” (गिनतियों 16:5 पढ़िए।) अगले दिन के खत्म होते-होते कोरह और उसके साथी खाक में मिल गए!—गिन. 16:31-35.

w১১ ৯/১৫ ২৭ ¶১১

क्या यहोवा आपको जानता है?

11 अब हम मूसा और कोरह के बारे में देखेंगे। यहोवा के इंतज़ामों और फैसलों के लिए उनका रवैया एक-दूसरे से बिलकुल अलग था और इसी बिनाह पर यहोवा ने उनके बारे में अपनी राय कायम की। कोरह कोहाती घराने का एक लेवी था और उसे परमेश्‍वर से कई आशीषें मिली थीं। जब इसराएली राष्ट्र ने लाल समुद्र पार किया तब वह भी उनमें से एक था और जब सीनै पहाड़ पर इसराएलियों ने मूर्तिपूजा की, तब उसने यहोवा का पक्ष लिया। इसके अलावा, करार के संदूक को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के काम में भी कोरह की एक अहम भूमिका थी। (निर्ग. 32:26-29; गिन. 3:30, 31) वह सालों तक यहोवा का वफादार रहा और बहुत-से इसराएली उसका आदर करते थे।

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

w৯৮ ৯/১ ২০ ¶১-২

গুৰুত্বপূৰ্ণ বিষয়বোৰক প্ৰথম স্থান দিয়ক

বাইবেলত উল্লেখ আছে যে “সেই মানুহৰ প্ৰাণদণ্ড অৱশ্যে হব লাগে।” (গণনা পুস্তক ১৫:৩৫) যিহোৱাই সেই বিষয়টো কিয় গভীৰভাৱে ল’লে?

খৰি, কাপোৰ, আহাৰ আদি প্ৰয়োজনীয় বস্তু গোটাবলৈ তেওঁলোকক ছয়দিন দিয়া হৈছিল। কিন্তু সপ্তম দিনাখন তেওঁলোকে যিহোৱাৰ সেৱাত সম্পূৰ্ণ ধ্যান দিয়াৰ প্ৰয়োজন আছিল। খৰি গোটোৱাটো ভুল নাছিল, কিন্তু যিহোৱাৰ সেৱাত দিবলগীয়া সময়ত এনে কৰাটো ভুল আছিল। যদিও খ্ৰীষ্টানসকলে মোচিৰ ব্যৱস্থাৰ অধীনত নাই, কিন্তু এই ঘটনাৰপৰা আমি শিকিব পাৰোঁ যে আমি যিহোৱাৰ সেৱাক প্ৰথম স্থান দিয়া উচিত।—ফিলিপীয়া ১:​৯, ১০.

এপ্ৰিল ৫-১১

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ১৭-১৯

“তোমাৰ . . . আধিপত্য ময়েই”

w১১ ৯/১৫ ১৩ ¶৯

क्या आप यहोवा को अपना भाग बना रहे हैं?

9 ज़रा लेवियों के बारे में सोचिए जिन्हें विरासत में ज़मीन नहीं मिली थी। उन्होंने सच्ची उपासना को जिंदगी में पहली जगह दी थी इसलिए उन्हें अपने गुज़ारे के लिए यहोवा पर निर्भर रहना था। यहोवा ने उनसे कहा था: मैं “तेरा भाग” हूँ। (गिन. 18:20) हालाँकि हम लेवियों और याजकों की तरह परमेश्‍वर के असली मंदिर में सेवा नहीं करते लेकिन हम उनके जज़्बे की नकल कर सकते हैं जिन्हें यहोवा पर पूरा भरोसा था कि वह उनका खयाल रखेगा। जैसे-जैसे हम आखिरी दिनों के विनाश के नज़दीक पहुँच रहे हैं, हमें यहोवा पर और भी ज़्यादा भरोसा रखने की ज़रूरत है।—प्रका. 13:17.

w১১ ৯/১৫ ৭ ¶৪

यहोवा मेरा भाग है

4 लेवियों को सेवा की जो ज़िम्मेदारी मिली, उसका क्या मतलब था? जैसा यहोवा ने कहा कि वह उनका भाग होगा यानी ज़मीन देने के बजाय यहोवा ने उन्हें एक अनमोल ज़िम्मेदारी सौंपी। वह ज़िम्मेदारी, “यहोवा का दिया हुआ याजकपद,” था जो उनका अंश होता। (यहो. 18:7) लेकिन जैसे गिनतियों 18:20 का संदर्भ दिखाता है, इसका यह मतलब नहीं था कि वे पैसे के मोहताज़ होते। (गिनतियों 18:19, 21, 24 पढ़िए।) लेवी जो ‘सेवा करते थे, उसके बदले उनको इस्राएलियों का सब दशमांश निज भाग’ के तौर पर मिलता था। उन्हें इसराएलियों की पैदावार और जानवरों की बढ़ती का 10 प्रतिशत मिलता था। और लेवियों को जो भी मिलता था, वे उसका “उत्तम से उत्तम” दसवाँ भाग याजकों की मदद के लिए देते थे। (गिन. 18:25-29) इसके अलावा, परमेश्‍वर की उपासना की जगह पर इसराएली जो “पवित्र वस्तुओं की . . . भेंटें” चढ़ाते, वे भी याजकों को मिलती थीं। इस तरह याजक वर्ग के लोग यहोवा पर भरोसा रख सकते थे कि वह उनकी देखरेख ज़रूर करेगा।

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

g০২ ৬/৮ ১৪ ¶২

নিমখ অতি মূল্যৱান

অপৰিৱৰ্তনীয়তা আৰু দৃঢ়তা নিমখেৰে চিত্ৰিত কৰা হৈছিল। সেইবাবে যি নিয়ম কেতিয়াও সলনি কৰা নহৈছিল, তাক বাইবেলত ‘লোণৰ চিৰস্থায়ী নিয়ম’ বুলি কোৱা হৈছিল। (গণনা পুস্তক ১৮:১৯) এনেধৰণৰ চুক্তি কৰাৰ সময়ত দুয়ো পক্ষৰ লোকসকলে একেলগে আহাৰ আৰু নিমখো খাইছিল। ইয়াৰ অৰ্থ আছিল যে সেই চুক্তি কেতিয়াও নাভাঙে। মোচিৰ নিয়মৰ অনুসৰি বেদীৰ ওপৰত বলিদান উৎসৰ্গ কৰাৰ সময়ত নিমখ ছটিওৱা বা মিহলোৱা হৈছিল। কাৰণ বলিদান পচি নোযোৱাৰ বাবে নিমখ ব্যৱহাৰ কৰা হৈছিল।

এপ্ৰিল ১২-১৮

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ২০-২১

“সমস্যাৰ সময়তো নম্ৰ হৈ থাকক”

w১৯.০২ ১২ ¶১৯

दीन रहिए और यहोवा को खुश कीजिए

19 हम गलतियाँ करने से बचेंगे। एक बार फिर मूसा के बारे में सोचिए। कई सालों तक वह दीन रहा और उसने यहोवा को खुश किया। फिर जब वीराने में 40 साल का मुश्‍किलों-भरा सफर खत्म होने ही वाला था, तब मूसा दीन रहने से चूक गया। उसकी बहन की अभी-अभी मौत हुई थी और उसे कादेश में दफना दिया गया था। शायद यह वही बहन थी, जिसने मिस्र में उसकी जान बचायी थी। अब इसराएली फिर से कुड़कुड़ाने लगे कि उनकी ठीक से देखभाल नहीं की जा रही है। इस बार वे पानी न मिलने की वजह से “मूसा से झगड़ने लगे।” यहोवा ने मूसा के ज़रिए बड़े-बड़े चमत्कार किए थे और मूसा ने लंबे समय तक निस्वार्थ भाव से इसराएलियों की अगुवाई की थी। फिर भी वे कुड़कुड़ाने लगे। वे न सिर्फ पानी के बारे में, बल्कि मूसा के बारे में भी शिकायत कर रहे थे मानो उसी की वजह से वे प्यासे मर रहे हों।—गिन. 20:1-5, 9-11.

w১৯.০২ ১৩ ¶২০-২১

दीन रहिए और यहोवा को खुश कीजिए

20 इस पर मूसा अपना आपा खो बैठा और दीन नहीं रहा। यहोवा ने उसे आज्ञा दी थी कि वह चट्टान से बोलकर पानी निकाले। लेकिन ऐसा करने के बजाय वह लोगों से कड़वी बातें करने लगा और कहने लगा कि क्या उसे उनके लिए पानी निकालना होगा। फिर उसने दो बार चट्टान पर मारा और उससे पानी उमड़ने लगा। घमंड और गुस्से में आकर मूसा ने कितनी बड़ी गलती की! (भज. 106:32, 33) थोड़े समय के लिए ही सही, मगर दीन न रहने की वजह से मूसा ने वादा किए गए देश में जाने का मौका गँवा दिया।—गिन. 20:12.

21 इस घटना से हम कुछ अहम सबक सीखते हैं। पहला, हमें दीन बने रहने के लिए लगातार मेहनत करनी चाहिए। अगर हम पल-भर के लिए भी ढिलाई बरतें, तो घमंड हम पर हावी हो सकता है और शायद हम कुछ ऐसा कर बैठें, जिसका बाद में हमें बहुत पछतावा हो। दूसरा, तनाव की वजह से दीन रहना मुश्‍किल हो सकता है, इसलिए जब हम किसी बात से परेशान हों, तब हमें दीन बने रहने की और भी ज़्यादा कोशिश करनी चाहिए।

w১০ ১/১ ২৭ ¶৫

न्यायी जो सही बात पर अटल बना रहता है

पहली वजह, परमेश्‍वर ने मूसा को लोगों से बात करने या उन्हें बागी करार देने की हिदायत नहीं दी थी। दूसरी वजह, मूसा और हारून परमेश्‍वर की महिमा करने में नाकाम रहे। परमेश्‍वर ने कहा: ‘तुमने मुझे पवित्र नहीं ठहराया।’ (आयत 12) जब मूसा ने कहा, “क्या हम तुम्हारे लिए इसी चट्टान से पानी निकालें?” तो उसने चमत्कार का सारा श्रेय यहोवा को देने के बजाय खुद को और हारून को दिया। तीसरी वजह, यहोवा ने बगावत की वही सज़ा सुनायी, जो उसने बीते समय में दी थी। जब पिछली पीढ़ी के इसराएलियों ने परमेश्‍वर से बगावत की, तो उसने उन्हें कनान देश जाने की इजाज़त नहीं दी। और इस मौके पर, उसने मूसा और हारून को भी वही दंड दिया। (गिनती 14:22, 23) चौथी वजह, मूसा और हारून इसराएल के अगुवे थे। और जिसे ज़्यादा ज़िम्मेदारी दी जाती है, उससे ज़्यादा हिसाब भी लिया जाता है।—लूका 12:48.

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

w১৪ ৬/১৫ ২৬ ¶১২-১৩

আপুনি আনৰ দুৰ্বলতাবোৰ যিহোৱাৰ দৃষ্টিৰে চাইনে?

১২ হাৰোণে নিজৰ ভুলবোৰ স্বীকাৰ কৰিবলৈ সাজু আছিল আৰু যিহোৱাৰপৰা পোৱা শুধৰণি মানি ল’লে। (যাত্ৰা. ৩২:২৬; গণ. ১২:১১; ২০:​২৩-২৭) হাৰোণে যিহোৱাক প্ৰেম কৰাৰ বাবে অনুতাপ কৰিলে আৰু সেইবাবে যিহোৱাই তেওঁক ক্ষমা কৰিলে। যিহোৱাই ইচ্ছা কৰা হ’লে, হাৰোণৰ ভুলৰ বাবে লগে লগে তেওঁক শাস্তি দিব পাৰিলেহেঁতেন। যিহোৱাই জানিছিল যে হাৰোণ বেয়া মানুহ নাছিল, কিন্তু কিছুসময়ৰ বাবে তেওঁ দুৰ্বল হৈ পৰিছিল।

১৩ হাৰোণৰ দৰে আমাৰ ভাই-ভনীৰো কিবা ভুল হ’ব পাৰে। (১ চমূ. ১৬:⁠৭) উদাহৰণস্বৰূপে, এজন ডেকা ল’ৰাৰ বিষয়ে চিন্তা কৰক, হয়তো মনোৰঞ্জনৰ ক্ষেত্ৰত তেওঁৰ দৃষ্টিভংগী সঠিক নহয়। কিন্তু সেই ব্যক্তিজন বেয়া হয় বুলি নাভাবিব। ইয়াৰ পৰিৱৰ্তে চিন্তা কৰক যে তেওঁক আপুনি কেনেকৈ সহায় কৰিব পাৰে। সময় উলিয়াই তেওঁক শিকাওক যে তেওঁ কেনেকৈ সঠিক নিৰ্ণয় ল’ব পাৰে। যেতিয়া আপুনি এইদৰে ভাই-ভনীসকলক সহায় কৰিব, তেতিয়া তেওঁলোকৰ লগত আপোনাৰ সম্পৰ্ক ভাল হ’ব আৰু তেওঁলোকৰ লগত আপুনি ধৈৰ্য্যৰে আৰু প্ৰেমেৰে ব্যৱহাৰ কৰিব।

এপ্ৰিল ১৯-২৫

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ২২-২৪

“যিহোৱাই অভিশাপক আশীৰ্বাদলৈ পৰিণত কৰিলে”

bt ৫৩ ¶৫

“यीशु के बारे में खुशखबरी” का ऐलान करना

5 पहली सदी की तरह, आज भी ज़ुल्म और अत्याचार परमेश्‍वर के लोगों को प्रचार करने से नहीं रोक पाए हैं। मसीहियों का मुँह बंद करने के लिए कभी उन्हें सलाखों के पीछे डाला गया, तो कभी उन्हें दूसरे देश में जाकर पनाह लेने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन इस तरह जब मसीहियों को अपना ठिकाना बदलना पड़ा, तब भी हर नयी जगह पर उन्होंने राज का संदेश सुनाकर वहाँ के लोगों को सच्चाई से वाकिफ कराया। मिसाल के लिए, दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान जब यहोवा के साक्षियों को नात्ज़ियों के यातना शिविरों में डाला गया, तो वहाँ भी उन्होंने खुशखबरी सुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। इन्हीं यातना शिविरों में एक यहूदी आदमी की मुलाकात साक्षियों से हुई। वह उनके बारे में कहता है, “हालाँकि ये साक्षी यातना शिविरों में थे, फिर भी उनका इरादा फौलाद की तरह मज़बूत था। उन्हें देखकर मुझे यकीन हो चला कि वे जो भी विश्‍वास करते हैं वह बाइबल से है। फिर मैं खुद भी एक साक्षी बन गया।”

it-২ ২৯১

पागलपन

यहोवा के खिलाफ जाने का पागलपन। बिलाम नाम के भविष्यवक्‍ता ने मोआबी लोगों के राजा बालाक से रकम पाने के लालच में इसराएलियों को शाप देने की कोशिश की। मगर यहोवा ने उसे नाकाम कर दिया। बिलाम की मूर्खता के बारे में प्रेषित पतरस ने लिखा, ‘एक बोझ ढोनेवाले बेज़ुबान जानवर ने इंसान की आवाज़ में बोलकर उस भविष्यवक्‍ता को पागलपन का काम करने से रोका।’ बिलाम के पागलपन के बारे में बताने के लिए पतरस ने यूनानी शब्द पैराफ्रोनिया इस्तेमाल किया। इस शब्द का मतलब है, “दिमाग ठिकाने न होना।”—2पत 2:15, 16; गि 22:26-31.

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

w০৪ ৮/১ ৩১ ¶২

গণনা পুস্তক কিতাপৰ আলোকপাত

২২:​২০-২২—বিলিয়মৰ অহিতে কিয় যিহোৱাৰ ক্ৰোধ জ্বলি উঠিল? ইস্ৰায়েলসকলক শাও নিদিবলৈ যিহোৱা ঈশ্বৰে ভৱিষ্যতবক্তা বিলিয়মক কৈছিল। (গণনা পুস্তক ২২:১২) কিন্তু ভৱিষ্যতবক্তাজনে ইস্ৰায়েলসকলক শাও দিয়াৰ উদ্দেশ্যৰে বালাকৰ লোকসকলৰ ওচৰলৈ গৈছিল। বিলিয়মে মোৱাবীয়া ৰজাক সন্তুষ্ট কৰি তেওঁৰপৰা উপহাৰ লাভ কৰিব বিচাৰিছিল। (২ পিতৰ ২:​১৫, ১৬; যিহূদা ১১) কিন্তু ইস্ৰায়েলক শাও দিয়াৰ পৰিৱৰ্তে তেওঁ বাধ্য হৈ আশীৰ্ব্বাদ দিবলগীয়া হ’ল। তেতিয়া তেওঁ ৰজাৰ অনুগ্ৰহ লাভ কৰিবলৈ বাল-দেৱতা উপাসনা কৰা স্ত্ৰীবিলাকক ব্যৱহাৰ কৰি ইস্ৰায়েলৰ পুৰুষবিলাকক প্ৰলোভন দিবলৈ পৰামৰ্শ আগবঢ়ালে। (গণনা পুস্তক ৩১:​১৫, ১৬) ভৱিষ্যতবক্তা বিলিয়ম অসৎ লোভী হোৱাৰ বাবে তেওঁৰ অহিতে ঈশ্বৰৰ ক্ৰোধ প্ৰজ্জ্বলিত হৈছিল।

এপ্ৰিল ২৬–মেʼ ২

ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ২৫-২৬

“কেৱল এজন ব্যক্তিয়ে পৰিৱৰ্তন আনিব পাৰেনে?”

lv ১১১-১১২ ¶১–২

“ব্যভিচাৰৰ পৰা পলোৱা”

এজন মাছমৰীয়াই মাছ মাৰিবলৈ নিজৰ পছন্দৰ ঠাইলৈ যায়। তেওঁ এক বিশেষ ধৰণৰ মাছ ধৰাৰ উদ্দেশ্যেৰে সেই ঠাইলৈ গৈছে। সেইবাবে, তেওঁ বৰশীত ভালদৰে টোপ লগাই পানীত পেলাই দিয়ে। কিছুসময়ৰ পাছত বৰশীৰ সূতা টান খায় আৰু বৰশী বেঁকা হৈ পৰে। ব্যক্তিজনে নিজৰ সম্পূৰ্ণ শক্তি ব্যৱহাৰ কৰি বৰশীডাল ওপৰলৈ টানি আনে। ব্যক্তিজনৰ মুখত এক মিচিকীয়া হাঁহি বিৰিঙি উঠে, কাৰণ তেওঁ লগোৱা টোপে কাম কৰিলে।

২ এই উদাহৰণে আমাক বিলিয়ম নামৰ এজন ব্যক্তিৰ বিষয়ে মনত পেলাই দিয়ে। তেওঁ খ্ৰীষ্টপূৰ্ব ১৪৭৩ ঈশ্বৰৰ লোকসকলক এটা টোপ ব্যৱহাৰ কৰি ফান্দত পেলাবলৈ পৰিকল্পনা কৰিছিল। সেইসময়ত ইস্ৰায়েলীসকলে প্ৰতিজ্ঞা কৰা দেশৰ সীমাত থকা মোৱাবৰ সমতল ভূমিত ছাউনি পাতি আছিল। বিলিয়মে নিজকে যিহোৱাৰ ভৱিষ্যতবক্তা বুলি দাবী কৰিছিল। কিন্তু আচলতে তেওঁ এজন লুভীয়া ব্যক্তি আছিল আৰু ইস্ৰায়েলীসকলক শাও দিয়াৰ বাবে তেওঁক অনা হৈছিল। যেতিয়া বিলিয়মে ইস্ৰায়েলীসকলক শাও দিব বিচাৰিছিল, তেতিয়া যিহোৱা ঈশ্বৰে হস্তক্ষেপ কৰিছিল। তেওঁৰ মুখৰপৰা শাও ওলোৱাৰ পৰিৱৰ্তে আশীৰ্বাদহে ওলাইছিল। কিন্তু লুভীয়া বিলিয়মে যিকোনো উপায়েৰে পুৰস্কাৰ লাভ কৰিব বিচাৰিছিল। এই লক্ষ্যত উপনিত হ’বলৈ তেওঁ এটা টোপ ব্যৱহাৰ কৰিবলৈ ষড়যন্ত্ৰ কৰিলে। যদি ইস্ৰায়েলীসকলে প্ৰলোভনত পৰি গভীৰ পাপ কৰে, তেনেহ’লে যিহোৱা ঈশ্বৰে নিজে তেওঁলোকক শাও দিব। সেইবাবে বিলিয়মে মোৱাবৰ যুৱতীসকলক ব্যৱহাৰ কৰি ইস্ৰায়েলীসকলক অনৈতিক কাৰ্য্য কৰিবলৈ প্ৰলোভিত কৰিলে।—গণনা পুস্তক ২২:​১-৭; ৩১:​১৫, ১৬; প্ৰকাশিত বাক্য ২:১৪.

lv ১১২–১১৩ ¶৪

“ব্যভিচাৰৰ পৰা পলোৱা”

৪ প্ৰকৃততে কিহৰ বাবে ইস্ৰায়েলীসকলে এই বিপদত পৰিবলগীয়া হয়? বহুতো ইস্ৰায়েলীয়ে যিহোৱাৰপৰা আঁতৰি গৈছিল। তেওঁলোকে নিজৰ হৃদয়ক কঠোৰ কৰি লৈছিল। যিজন ঈশ্বৰে তেওঁলোকক মিচৰৰপৰা উদ্ধাৰ কৰিছিল, জনবসতিহীন ঠাইত আহাৰৰ প্ৰৱন্ধ কৰিছিল আৰু প্ৰতিজ্ঞা কৰা দেশলৈ লৈ গৈছিল, সেই ঈশ্বৰৰ কথা তেওঁলোকে পাহৰি গৈছিল। (ইব্ৰী ৩:১২) সেই ঘটনাক মনত পেলাই পাঁচনি পৌলে এইদৰে লিখিছিল: “তেওঁবিলাকৰ কিছুমানে যেনেকৈ ব্যভিচাৰ কৰাত; একে দিনাই একুৰি তিনি হাজাৰ মানুহ মৰা পৰিল, তেনেকৈ আমি ব্যভিচাৰ নকৰোঁহঁক।”—১ কৰিন্থীয়া ১০:⁠৮.

আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক

it-১ ৩৫৯ ¶১-২

মাটিৰ সীমা

ইস্ৰায়েলীসকলৰ ফৈদৰ অনুসৰি মাটি ভাগ কৰিবলৈ দুটা পদ্ধতি ব্যৱহাৰ কৰা হৈছিল। প্ৰথমটো, চিঠি খেলাৰ যোগেদি আৰু দ্বিতীয়টো, ফৈদ কিমান ডাঙৰ বা সৰু আছিল, তাৰ অনুসৰি মাটি ভাগ কৰা হৈছিল। চিঠি খেলাৰ যোগেদি নিৰ্ণয় কৰা হৈছিল যে কোনটো ফৈদে দেশৰ কোন ভাগত মাটি পাব। যেনে উত্তৰ, দক্ষিণ, পূৰ্ব নে পশ্চিম দিশত, সমুদ্ৰৰ কাষত বা পাহাৰৰ ওচৰত। চিঠি খেলাৰ অৰ্থ আছিল যে নিৰ্ণয় যিয়ে নোলায় কিয় সেয়া যিহোৱাৰ নিৰ্ণয় বুলি মানি লোৱা হʼব আৰু এটা ফৈদে আন এটা ফৈদৰ সৈতে বিবাদ বা ঈৰ্ষা নকৰিব। (হিতো ১৬:৩৩) যিহোৱাই চিঠিৰ যোগেদি নিজৰ নিৰ্ণয় জনোৱাৰ সময়ত এয়াও ধ্যান দিলে যে প্ৰতিটো ফৈদে, যাতে যাকোবে কৰা ভৱিষ্যতবাণীৰ অনুসৰি মাটি লাভ কৰে।

প্ৰথমে কোন ফৈদে ক’ত মাটি পাব, তাৰ নিৰ্ণয় লোৱা হৈছিল। দ্বিতীয়তে, ফৈদবিলাক কিমান ডাঙৰ বা সৰু আছিল, ইয়াৰ অনুসৰি তেওঁলোকে কিমান ডোখৰ মাটিৰ ভাগ পাব তাৰ নিৰ্ণয় লোৱা হৈছিল। যিহোৱাই আজ্ঞা দিছিল যে, “তোমালোকে চিঠি-খেলেৰে নিজ নিজ গোষ্ঠী অনুসাৰে দেশ অধিকাৰ কৰি লবা; অধিকক অধিক আধিপত্য, আৰু কমক কম আধিপত্য দিবা; আৰু যাৰ ভাগ যি ঠাইত পৰে, তাৰ ভাগ সেই ঠাইতে হব; তোমালোকে নিজ নিজ পিতৃ-ফৈদ অনুসাৰে তাক অধিকাৰ কৰি লবা।”—গণ ৩৩:⁠৫৪.

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