জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা
মেʼ ৩-৯
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ২৭-২৯
“যিহোৱাৰ দৰে নিৰপেক্ষ হওক”
w১৩ ৬/১৫ ১০ ¶১৪
यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए
14 पाँचों बहनें मूसा के पास आयीं और उन्होंने उससे पूछा: “हमारे पिता का नाम उसके कुल में से पुत्र न होने के कारण क्यों मिट जाए?” उन्होंने बिनती की: “हमारे चाचाओं के बीच हमें भी कुछ भूमि निज भाग करके दे।” क्या मूसा ने उन्हें इस तरह जवाब दिया, ‘हम आपके लिए नया कानून नहीं बना सकते’? नहीं, इसके बजाय “उनकी यह बिनती मूसा ने यहोवा को सुनाई।” (गिन. 27:2-5) मूसा को क्या जवाब मिला? यहोवा ने उससे कहा: “सलोफाद की बेटियां ठीक कहती हैं; इसलिये तू उनके चाचाओं के बीच उनको भी अवश्य ही कुछ भूमि निज भाग करके दे, अर्थात्इनके पिता का भाग उनके हाथ सौंप दे।” यहोवा ने कुछ और भी किया। उसने एक नया कानून बनाया और मूसा को यह हिदायत दी: “यदि कोई मनुष्य निपुत्र मर जाए, तो उसका भाग उसकी बेटी के हाथ सौंपना।” (गिन. 27:6-8; यहो. 17:1-6) इसके बाद से जो भी इसराएली स्त्री ऐसे हालात में होती, उसे अपनी विरासत ज़रूर मिलती।
w১৩ ৬/১৫ ১১ ¶১৫
यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए
15 यह कितना प्यार-भरा और निष्पक्ष फैसला था! ये पाँच बहनें बेबस थीं, लेकिन यहोवा उनके साथ उसी गरिमा से पेश आया जैसे वह बाकी सभी इसराएलियों के साथ पेश आया था। (भज. 68:5) यह बाइबल में दर्ज़ उन बहुत-से वाकयों में से सिर्फ एक है, जो दिल छू लेनेवाली इस सच्चाई का बयान करता है कि यहोवा अपने सभी सेवकों के साथ एक समान पेश आता है, वह किसी के साथ भेदभाव नहीं करता।—1 शमू. 16:1-13; प्रेषि. 10:30-35, 44-48.
w১৩ ৬/১৫ ১১ ¶১৬
यहोवा के गुणों की दिल से कदर कीजिए
16 भेदभाव न करने के मामले में हम यहोवा की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं? याद कीजिए कि भेदभाव न करने में दो बातें शामिल हैं। जब हमारे मन में भेदभाव की भावना नहीं होगी, तभी हम दूसरों के साथ अपने व्यवहार में भेदभाव नहीं करेंगे। यह सच है कि हम सभी अपने बारे में यही सोचते हैं कि हम भेदभाव नहीं करते। लेकिन यह भी सच है कि हम हमेशा अपनी भावनाओं का सही-सही जायज़ा नहीं कर सकते। तो हम असल में भेदभाव करते हैं कि नहीं, यह पता लगाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? यीशु की मिसाल पर गौर कीजिए। जब वह जानना चाहता था कि लोग उसके बारे में क्या कह रहे हैं, तो उसने अपने भरोसेमंद दोस्तों से पूछा: “लोग क्या कहते हैं, इंसान का बेटा कौन है?” (मत्ती 16:13, 14) यीशु की तरह क्यों न आप अपने किसी ऐसे दोस्त से बात करें, जो आपके सवाल का सच-सच जवाब देगा और उससे पूछें, “क्या तुम्हें लगता है कि मैं पक्षपाती हूँ? और लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं?” अगर वह आपको बताता है कि आप किसी की जाति या तबके की वजह से या फिर किसी की दौलत आँककर थोड़ा-बहुत भेदभाव करते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? सच्चे मन से यहोवा से बिनती कीजिए कि वह आपको अपना नज़रिया बदलने में मदद दे, ताकि आप यहोवा की मिसाल पर और नज़दीकी से चल सकें और किसी के साथ भेदभाव न करें।—मत्ती 7:7; कुलु. 3:10, 11.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it-২ ৫২৮ ¶৫
উৎসৰ্গ
পেয় নৈবেদ্য। পেয় নৈবেদ্যত দ্ৰাক্ষাৰস আছিল আৰু ইয়াক সম্পূৰ্ণৰূপে বেদিত ঢালি দিয়া হৈছিল। (গণ ২৮:৭, ১৪; যাত্ৰা ৩০:৯ আৰু গণ ১৫:১০ পদৰ লগত তুলনা কৰক) পৌলে ফিলিপীয়া মণ্ডলীক এইদৰে লিখিছিল, “তোমালোকৰ বিশ্বাসৰূপ যজ্ঞত আৰু সেৱাৰ কাৰ্য্যত, যদিও মই নৈবেদ্যস্বৰূপে ঢলা যাওঁ, তথাপি মই আনন্দ কৰোঁ।” পৌলে কোৱাৰ অৰ্থ আছিল যে যিদৰে নৈবেদ্য বেদিত সম্পূৰ্ণৰূপে ঢালি দিয়া হৈছিল, ঠিক সেইদৰে তেওঁ ভাই-ভনীসকলৰ বাবে নিজকে দিবলৈ সাজু আছিল।—ফিলি ২:১৭.
মেʼ ১০-১৬
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ৩০-৩১
“আপোনাৰ প্ৰতিজ্ঞা পূৰ কৰক”
it-২ ১১৬২
मन्नत
मन्नत पूरी करना ज़रूरी। इसराएली अपनी मरज़ी से मन्नत मान सकते थे। किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं की जाती थी। लेकिन परमेश्वर का कानून था कि अगर कोई मन्नत माने, तो वह उसे ज़रूर पूरा करे। कानून में बताया गया था कि जब कोई मन्नत मानता है, तो वह “खुद पर बंदिश लगाता है” यानी अगर वह अपनी मन्नत या शपथ पूरा नहीं करता, तो उसे मौत की सज़ा मिलती। (गि 30:2; रोम 1:31, 32 भी देखें।) इसलिए बाइबल में ज़ोर देकर बताया गया है कि मन्नत मानने या शपथ लेने से पहले हमें अच्छी तरह सोचना चाहिए कि हम पर क्या-क्या ज़िम्मेदारियाँ आ सकती हैं और क्या हम वह ज़िम्मेदारियाँ लेने के लिए तैयार हैं। कानून में लिखा है, ‘अगर तुम यहोवा के लिए कोई मन्नत मानते हो, तो यहोवा तुमसे ज़रूर इसकी माँग करेगा। अगर तुम उसे पूरा नहीं करते तो तुम पापी ठहरोगे। लेकिन अगर तुम कोई मन्नत नहीं मानते तो तुम पाप के दोषी नहीं हो।’—व्य 23:21, 22.
it-২ ১১৬২
मन्नत
एक इसराएली परमेश्वर से पूरी गंभीरता के साथ जो वादा करता, उसे मन्नत कहा जाता था। वह चाहे तो कोई चढ़ावा चढ़ाने, भेंट देने, किसी तरह की सेवा करने या कुछ ऐसी चीज़ों का त्याग करने का वादा कर सकता था जो कानून के मुताबिक गलत नहीं थीं। मन्नत अपनी मरज़ी से मानी जाती थी। मन्नत को शपथ के जितना गंभीर समझा जाता था और कुछ आयतों में मन्नत और शपथ का एक-साथ ज़िक्र किया गया है। (गि 30:2; मत 5:33) मन्नत मानने का मतलब है वादा करना और शपथ का मतलब है अपने से किसी बड़े के नाम पर गारंटी देना कि मैं अपना वादा ज़रूर पूरा करूँगा। लोग करार करते समय अकसर शपथ लिया करते थे।—उत 26:28; 31:44, 53.
গণনা পুস্তক কিতাপৰ আলোকপাত
৩০:৬-৮—এজন খ্ৰীষ্টান পুৰুষে তেওঁৰ পত্নীক কৰা প্ৰতিজ্ঞা ভঙ্গ কৰিব পাৰেনে? প্ৰতিজ্ঞাৰ সম্পৰ্কে যিহোৱাই বৰ্তমান সময়ত তেওঁৰ উপাসকসকলৰ সৈতে ব্যক্তিগতভাৱে আচৰণ কৰে। উদাহৰণস্বৰূপে, সমৰ্পণ হৈছে ঈশ্বৰলৈ কৰা এটা ব্যক্তিগত প্ৰতিজ্ঞা। (গালাতীয়া ৬:৫) এতেকে এজন খ্ৰীষ্টান পুৰুষে তেওঁৰ পত্নীলৈ কৰা প্ৰতিজ্ঞাক ভঙ্গ বা ৰদ কৰাৰ কোনো অধিকাৰ নাই। এগৰাকী পত্নীয়ে তেনেদৰে কোনো প্ৰতিজ্ঞা নকৰে যি ঈশ্বৰৰ বাক্য বা তাইৰ স্বামীৰ প্ৰতি থকা কৰ্তব্যৰ বিপৰীত।
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it-২ ২৮ ¶১
যিপ্তহ
চমূৱেল জন্ম হোৱাৰ আগতেই হান্নাই প্ৰতিজ্ঞা কৰিছিল যে যদি তাইৰ লʼৰা জন্ম হয়, তেন্তে তেওঁক যিহোৱাৰ সেৱাত দিব। হান্নাৰ স্বামী ইলকানাই তাইৰ প্ৰতিজ্ঞা পূৰ কৰিবলৈ অনুমতি দিছিল। সেইবাবে, চমূৱেলক যিহোৱাৰ মন্দিৰত সেৱা কৰিবলৈ দিবলৈ যোৱাৰ সময়ত হান্না আৰু ইলকানাই বলিদানো নিছিল।—১ চমূ ১:১১, ২২-২৮; ২:১১.
মেʼ ১৭-২৩
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ৩২-৩৩
“সেই দেশ নিবাসী সকলো লোকক দূৰ কৰিবা”
w১০ ৮/১ ২৩
क्या आप जानते हैं?
इब्रानी शास्त्र में बतायी गयी ‘पूजा की ऊँची जगह’ क्या थीं?
परमेश्वर ने इसराएलियों को जो देश देने का वादा किया था, वहाँ पहले कनानी लोग रहते थे। कनानियों ने वहाँ कई पूजा-स्थल बना रखे थे। इसलिए जब इसराएली उस देश में जानेवाले थे, तो यहोवा ने उनसे कहा, ‘तुम उनकी सभी मूरतें चूर-चूर कर देना, फिर चाहे वे पत्थर की नक्काशीदार मूरतें हों या धातु की मूरतें और उनकी पूजा की सभी ऊँची जगह ढा देना।’ (गिनती 33:52) ये पूजा की ऊँची जगह शायद पहाड़ियों पर खुले में बनायी गयी थीं। और कुछ जगह पेड़ों के नीचे या शहर में कहीं ऊँचे चबूतरों पर बनायी गयी थीं। (1राजा 14:23; 2राजा 17:29; यहेजकेल 6:3) इन पूजा-स्थलों में वेदियाँ, पूजा-लाठें या खंभे, मूरतें, धूप-स्तंभ और पूजा-पाठ की दूसरी चीज़ें हुआ करती थीं।
w০৮ ২/১৫ ২৭ ¶৫-৬
इस्राएलियों की गलतियों से सीखिए
इस्राएलियों की तरह आज हम भी कई चुनौतियों का सामना करते हैं। भले ही आज के ज़माने में बाल की उपासना नहीं की जाती, लेकिन ऐसी कई चीज़ों और लोगों को ईश्वर माना जाता है। जैसे पैसा, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी, राजनीतिक संगठन, धर्म-गुरु और परिवार के सदस्य भी। इनमें से कोई भी चीज़ या व्यक्ति हमारी ज़िंदगी में पहली जगह ले सकता है। जो लोग यहोवा से प्यार नहीं करते, उनके साथ गहरी दोस्ती करना खतरे से खाली नहीं। क्योंकि इससे हम यहोवा के साथ अपने रिश्ते को बिगाड़ सकते हैं।
बाल की उपासना का एक अहम हिस्सा था, नाजायज़ लैंगिक संबंध। और इस फँदे में न जाने कितने इस्राएली जा फँसे थे। आज भी परमेश्वर के कई सेवक इस फँदे में फँस जाते हैं। मिसाल के लिए, अगर एक इंसान सतर्क न रहे तो वह घर बैठे ही बड़ी आसानी से इंटरनेट पर पोर्नोग्राफी देख सकता है और अपने विवेक को अशुद्ध कर सकता है। अगर एक मसीही के साथ ऐसा हो, तो यह कितने दुःख की बात होगी।
it-১ ৪০৪ ¶২
कनान
यहोवा ने मूसा के ज़रिए यहोशू को आज्ञा दी थी कि वह कनानी लोगों का नाश कर दे। यहोशू ने ठीक वैसा ही किया। उसने “कोई भी काम अधूरा नहीं छोड़ा।” (यह 11:15) मगर बाद में इसराएलियों ने यहोशू की तरह काम नहीं किया। उन्होंने उन कनानी लोगों को छोड़ दिया जो देश में बच गए थे। इन कनानी लोगों की वजह से बाद में इसराएल देश में अपराध, बदचलनी और मूर्तिपूजा होने लगी। इसका नतीजा यह था कि कई लोगों की मौत हो गयी। अगर इसराएली परमेश्वर की बात मानते और सभी कनानियों का नाश कर देते, तो ऐसा नहीं होता। (गिन 33:55, 56; न्या 2:1-3, 11-23; भज 106:34-43) यहोवा ने इसराएलियों को पहले ही बता दिया था कि अगर वे कनानी लोगों से दोस्ती करेंगे, उनसे शादी करेंगे, उनके धर्म के रीति-रिवाज़ अपना लेंगे और उनके जैसे नीच काम करेंगे, तो वह उन्हें सज़ा देगा। जैसे उसने कनानी लोगों का नाश किया, उसी तरह वह इसराएलियों का भी नाश कर देगा। वह कोई भेदभाव नहीं करेगा। उन्हें भी उस देश से ‘खदेड़ दिया जाएगा।’—निर्ग 23:32, 33; 34:12-17; लैव 18:26-30; व्य 7:2-5, 25, 26.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it-১ ৩৫৯ ¶২
সীমা
ইস্ৰায়েলৰ প্ৰতিটো ফৈদে কʼত আৰু কিমান মাটিৰ ভাগ পাব, সেয়া চিঠি খেলৰ যোগেদি নিৰ্ণয় লোৱা হৈছিল। ডাঙৰ ফৈদক মাটিৰ ভাগ বেছিকৈ দিয়া হৈছিল আৰু সৰু ফৈদক কমকৈ দিয়া হৈছিল। এইদৰে ইস্ৰায়েলৰ ফৈদক মাটিৰ ভাগ দিয়া হৈছিল।
মেʼ ২৪-৩০
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | গণনা পুস্তক ৩৪-৩৬
“যিহোৱাৰ আশ্ৰয় লওক”
w১৭.১১ ৯ ¶৪
क्या आप यहोवा की पनाह लेते हैं?
4 लेकिन तब क्या जब एक इसराएली के हाथों गलती से किसी का खून हो जाता था? हालाँकि उसने जानबूझकर खून नहीं किया था, फिर भी वह एक बेकसूर की जान लेने का दोषी था। (उत्प. 9:5) ऐसे मामले में यहोवा ने कहा था कि उस आदमी पर दया की जा सकती है। अनजाने में खून करनेवाला छ: शरण नगरों में से किसी एक में भागकर शरण ले सकता था ताकि खून का बदला लेनेवाले से अपनी जान बचा सके। शरण नगर में उसे हिफाज़त मिलती थी। फिर महायाजक की मौत तक उसे शरण नगर के अंदर ही रहना होता था।—गिन. 35:15, 28.
w১৭.১১ ৯ ¶৬
क्या आप यहोवा की पनाह लेते हैं?
6 अगर एक इसराएली गलती से किसी का खून करता था, तो उसे शरण नगर में भागना होता था और नगर के फाटक पर मुखियाओं के सामने “अपना मामला पेश करना” होता था। तब मुखिया उसे नगर में ले लेते थे। (यहो. 20:4) फिर कुछ समय बाद उसे वापस उस शहर भेजा जाता था जहाँ खून हुआ था ताकि वहाँ के मुखिया उसके मुकदमे का फैसला करें। (गिनती 35:24, 25 पढ़िए।) अगर मुखिया यह फैसला सुनाते कि उससे अनजाने में खून हुआ है और वह निर्दोष है, तो उसे वापस शरण नगर भेज दिया जाता था।
w১৭.১১ ১১ ¶১৩
क्या आप यहोवा की पनाह लेते हैं?
13 जो इंसान शरण नगर में भागकर जाता था, वहाँ वह सुरक्षित रहता था। यहोवा ने साफ बताया था, ‘वहाँ उसे हिफाज़त मिलेगी।’ (यहो. 20:2, 3) यहोवा ने कहा था कि उस पर दोबारा मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और न ही खून का बदला लेनेवाले को नगर में घुसकर उसे मार डालने की इजाज़त थी। शरण नगर में अब वह इंसान यहोवा की पनाह में महफूज़ रह सकता था। लेकिन यह नगर कोई जेल नहीं था। उसे काम करने की छूट थी, वह दूसरों की मदद कर सकता था और शांति से यहोवा की सेवा कर सकता था। जी हाँ, वह शरण नगर में रहकर खुशहाल ज़िंदगी जी सकता था!
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
w৯১ ২/১৫ ১৩ ¶১৩
সকলোৰে বাবে মুক্তিপণ
১৩ মোচিৰ নিয়মত লিখা আছে যে “মানুহ বধীৰ প্ৰাণৰ নিমিত্তে তোমালোকে কোনো প্ৰায়শ্চিত্ত নলবা; কিন্তু তাৰ প্ৰাণদণ্ড অৱশ্যে হব।” (গণ ৩৫:৩১) সিদ্ধ হোৱাৰ সত্ত্বেও আদম আৰু হৱাই জানি-শুনি পাপ কৰিছিল। সেইবাবে, তেওঁলোকৰ মৃত্যু হʼল। তেওঁলোকৰ বাবে আজি সকলো মানৱজাতিয়ে মৃত্যু হʼবলগীয়া হৈছে। সেইবাবে, যীচুৰ বলিদানৰপৰা আদম আৰু হৱাই লাভৱান নহʼব।
মেʼ ৩১–জুন ৬
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | দ্বিতীয় বিবৰণ ১-২
“‘বিচাৰ ঈশ্বৰৰ’ পৰা হয়”
w৯৬ ৩/১৫ ২৩ ¶১
यहोवा धार्मिकता और न्याय से प्रीति रखनेवाला
नियुक्त कलीसिया प्राचीन गंभीर कुकर्म के मामलों में न्याय करने के लिए बाध्य हैं। (1 कुरिन्थियों 5:12, 13) ऐसा करते समय, वे याद रखते हैं कि परमेश्वर का न्याय जहाँ संभव हो वहाँ दया दिखाने का प्रयास करता है। यदि उसके लिए कोई आधार न हो—जैसा कि पश्चाताप-रहित पापियों के मामले में—तो दया नहीं दिखायी जा सकती। लेकिन प्राचीन एक ऐसे कुकर्मी को दण्ड देने की भावना से कलीसिया से बाहर नहीं करते। वे आशा करते हैं कि बहिष्कृत करने की कार्यवाही आप ही उसे होश में ले आएगी। (यहेजकेल 18:23 से तुलना कीजिए।) मसीह के मुखियापन के अधीन, प्राचीन न्याय के हित में कार्य करते हैं, और इसमें “आंधी से छिपने का स्थान” होना सम्मिलित है। (यशायाह 32:1, 2) इसलिए उन्हें निष्पक्षता और कोमलता दिखाने की ज़रूरत है।—व्यवस्थाविवरण 1:16, 17.
ঈশ্বৰীয় অধিকাৰপ্ৰাপ্ত ব্যক্তিসকলৰ প্ৰতি আনুগত্যভাৱে অধীনস্থ হওক
৪ ন্যায়কৰ্ত্তা হিচাবে তেওঁলোকৰ ব্যৱস্থাৰ বিষয়ে জ্ঞান থকাৰ উপৰিও তেওঁলোকে অধিক কিছু জনা আৱশ্যক আছিল। অসিদ্ধতা হোৱাৰ হেতুকে তেওঁলোকে যাতে নিজৰ বিচাৰধাৰা, স্বাৰ্থপৰ ভাৱনা বা পক্ষপাতিত্বমূলক বিচাৰ দাঙি নধৰে তাৰ প্ৰতি সাৱধান হʼব লাগিছিল। সেইবাবে মোচিয়ে তেওঁলোকক কৈছিল: “তোমালোকে বিচাৰত কাৰো মুখলৈ নাচাবা; সৰু বা বৰৰ কথা সমানে শুনিবা; আৰু মানুহৰ মুখ দেখি ভয় নাখাবা; কিয়নো বিচাৰ ঈশ্বৰৰ।” বাস্তৱতে তেওঁলোকে যিহোৱাৰ হৈ লোকসকলক ন্যায় কৰিব লাগিছিল। এনে কাৰ্য্য কৰাটো তেওঁলোকৰ বাবে কিযে এক মহান বিশেষাধিকাৰ আছিল!—দ্বিতীয় বিবৰণ ১:১৬, ১৭.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
w১৩ ৯/১৫ ৯ ¶৯
যিহোৱাই সোঁৱৰণ কৰা কথাবোৰ বিশ্বাসযোগ্য
৯ যেতিয়া ইস্ৰায়েলীসকলে ৪০ বছৰ অৰণ্যত যাত্ৰা কৰিছিল, তেতিয়া যিহোৱাই তেওঁলোকক দিনত মেঘস্তম্ভ আৰু ৰাতি অগ্নিস্তম্ভৰ যোগেদি সহায় কৰি তেওঁলোকক সোঁৱৰাই দিছিল যে এই গোটেই যাত্ৰাত যিহোৱা তেওঁলোকৰ লগত আছে। (যাত্ৰা ৪০:৩৬-৩৮; দ্বিতী ১:১৯) যিহোৱাই তেওঁলোকৰ সকলো প্ৰয়োজনীয়তা পূৰ কৰিলে। “তেওঁবিলাকৰ একোৰো অভাৱ নহল; তেওঁবিলাকৰ কাপোৰ পুৰণি হৈ ফাটি নগল, আৰু তেওঁবিলাকৰ ভৰিত পানীজোলা নুফুটিল।”—নহি ৯:১৯-২১.
জুন ৭-১৩
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | দ্বিতীয় বিবৰণ ৩-৪
“যিহোৱাৰ নিয়ম পালন কৰাটোৱে বুদ্ধিমানৰ কাম”
it-২ ১১৪০ ¶৫
समझ
जो व्यक्ति परमेश्वर के वचन का अच्छी तरह अध्ययन करेगा और परमेश्वर की आज्ञाएँ मानेगा, उसे उन लोगों से भी ज़्यादा समझ मिल सकती है जो उससे उम्र में बड़े हैं या जिन्होंने उसे पहले कुछ सिखाया हो। (भज 119:99, 100, 130; लूक 2:46, 47 से तुलना कीजिए।) परमेश्वर ने हमें इस तरह के कानून दिए हैं कि उन्हें मानने से हम बुद्धिमान बन सकते हैं। अगर इसराएली हमेशा परमेश्वर के कानूनों को मानते, तो आस-पास के देशों के लोग ज़रूर कहते कि वे बहुत “बुद्धिमान और समझदार हैं।” (व्य 4:5-8; भज 111:7, 8, 10; 1रा 2:3 से तुलना करें।) जिस इंसान में समझ होती है, उसे एहसास रहता है कि उसे परमेश्वर के खिलाफ कोई काम नहीं करना चाहिए बल्कि उसके मुताबिक ही काम करना चाहिए और इसके लिए परमेश्वर से मदद माँगनी चाहिए। (भज 119:169) वह कोशिश करता है कि परमेश्वर की बातें उसके दिल में गहराई तक असर करें (मत 13:19-23), वह परमेश्वर की बातों को अपने “दिल की पटिया” पर लिख लेता है (नीत 3:3-6; 7:1-4) और “हर झूठी राह से” नफरत करता है। (भज 119:104) जब परमेश्वर का बेटा धरती पर था, तो उसने भी समझ से काम लिया। परमेश्वर के वचन में उसके बारे में जो लिखा था उसे पूरा करने के लिए वह काठ पर मरने को भी तैयार हो गया। उसने मौत से बचने की कोशिश नहीं की।—मत 26:51-54.
w৯৯ ১১/১ ২০ ¶৬-৭
जब दरियादिली दिखायी जाती है
रानी तो ये सब कुछ देख-सुनकर हैरान रह गई और बड़ी दीनता से बोली: “धन्य हैं तेरे ये सेवक! जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं।” (1 राजा 10:4-8) रानी ने सुलैमान के सेवकों को धन्य कहा, क्या इसलिए कि वे बेशुमार धन-दौलत से घिरे हुए थे? जी नहीं। मगर इसलिए क्योंकि वे सुलैमान से बुद्धि की बातें हमेशा सुन सकते थे, ऐसी बुद्धि जो परमेश्वर ने उसे दी थी। आज यहोवा के लोगों के लिए शीबा की रानी कितनी बढ़िया मिसाल है क्योंकि वे तो खुद अपने सृष्टिकर्ता यहोवा और उसके बेटे यीशु मसीह की बुद्धि की बातों का हमेशा आनंद लेते हैं!
लेकिन इसके बाद रानी ने जो बात सुलैमान से कही, वह गौर करने लायक है: “धन्य है तेरा परमेश्वर यहोवा!” (1 राजा 10:9) उसने ज़रूर देखा होगा कि सुलैमान को बुद्धि और ऐश्वर्य देनेवाला और कोई नहीं बल्कि यहोवा था। जो वादा यहोवा ने इस्राएल से किया था वह सुलैमान के मामले में बिलकुल ठीक बैठता था। उसने कहा था, अगर मेरी ‘विधियों को मानोगे’ तो “देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात्वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है।”—व्यवस्थाविवरण 4:5-7.
w০৭ ৮/১ ৩০ ¶১৩
क्या आप “परमेश्वर की दृष्टि में धनी” हैं?
13 यहोवा हमेशा अपने लोगों को सबसे बेहतरीन आशीषें देता है। (याकूब 1:17) मिसाल के लिए, उसने इस्राएलियों को एक ऐसे देश में बसाया था, जिसमें “दूध और मधु की धाराएं बहती” थीं। हालाँकि मिस्र देश के बारे में भी यही कहा जाता था, मगर उसमें और इस्राएलियों को दिए गए देश में कम-से-कम एक बड़ा फर्क ज़रूर था। वह फर्क क्या था? मूसा ने इस्राएलियों से कहा: “वह ऐसा देश है जिसकी देखभाल तुम्हारा परमेश्वर यहोवा करता है।” (NHT) दूसरे शब्दों में कहें तो इस्राएली इसलिए फलते-फूलते, क्योंकि यहोवा उनकी देखभाल करता। इसलिए जब तक वे यहोवा के वफादार बने रहे, तब तक वह उन्हें भरपूर आशीषें देता रहा। साथ ही, यह साफ ज़ाहिर था कि आस-पास की जातियों के मुकाबले, उनके जीने का स्तर कहीं ज़्यादा ऊँचा था। वाकई, यहोवा की आशीष की बदौलत ही इंसान “धनवान बनता है”!—गिनती 16:13; व्यवस्थाविवरण 4:5-8; 11:8-15.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
দ্বিতীয় বিবৰণ কিতাপৰ আলোকপাত
৪:১৫-২০, ২৩, ২৪—খোদিত কৰি কোনো প্ৰতিমা নবনাবলৈ দিয়া আজ্ঞাৰ অৰ্থ এইটোনে যে কাৰুশিল্পৰ উদ্দেশ্যৰে কোনো বস্তুৰ আৰ্হি বনোৱাটো ভুল? অৱশ্যেই নহয়। ইয়াত কৰা নিষেধাজ্ঞা কেৱল প্ৰতিমা বনাই তাক উপাসনা অথবা ‘সেইবোৰৰ আগত প্ৰণিপাত নকৰিবলৈহে’ দিয়া হৈছিল। শাস্ত্ৰই কাৰুশিল্পৰ অৰ্থে কোনো বস্তুৰ আৰ্হি খোদিত বা চিত্ৰবিদ্যা কৰাৰ বাবে কোনো নিষেধাজ্ঞা দিয়া নাই।—১ ৰাজাৱলি ৭:১৮, ২৫.
জুন ১৪-২০
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | দ্বিতীয় বিবৰণ ৫-৬
“যিহোৱাক প্ৰেম কৰিবলৈ সন্তানক শিকাওক”
পিতৃ-মাতৃয়ে পৰিয়ালৰ আৱশ্যকতাবোৰ পূৰ্ণ কৰে
১১ এই সম্বন্ধে হয়তো দ্বিতীয় বিবৰণ ৬:৫-৭ পদটো সঘনাই উদ্ধৃত কৰা হয়। অনুগ্ৰহ কৰি আপুনি সেই পদবোৰ পঢ়ি চাওক। লক্ষ্য কৰক যে তাত পিতৃসকলক নিজৰ আধ্যাত্মিকতা, যিহোৱাৰ প্ৰতি প্ৰেম বিকশিত আৰু তেওঁৰ বাক্যবোৰক হৃদয়ত লিখি ৰাখিবলৈ কোৱা হৈছে। বাস্তৱতে আপোনালোকে যিহোৱাৰ পথ, সিদ্ধান্ত আৰু বিধিবোৰক ভালকৈ বুজিবলৈ আৰু সেইবোৰক প্ৰেম কৰিবলৈ তেওঁৰ বাক্যক নিতৌ পঢ়া আৰু মনোযোগ দিয়া উচিত। ফলস্বৰূপে, আপোনালোকৰ হৃদয় তেওঁৰ বাক্যৰ সত্যতাৰে উপচি পৰিব যি আপোনালোকক যিহোৱাৰ প্ৰতি প্ৰেম আৰু আদৰ প্ৰকাশ কৰি আনন্দিত হʼবলৈ প্ৰেৰিত কৰিব। তদুপৰি আপোনালোকে নিজৰ লʼৰা-ছোৱালীক প্ৰচুৰমাত্ৰাত আধ্যাত্মিক জ্ঞান বিতৰণ কৰিবলৈ সক্ষম হʼব।—লূক ৬:৪৫.
w০৭ ৫/১৫ ১৫-১৬
मैं अपने बच्चों को सही तरह की शिक्षा कैसे दे सकता हूँ?
माता-पिता की बातों से नहीं बल्कि उनके व्यवहार और जीने के तरीके से पता चलेगा कि उनके लक्ष्य और उसूल क्या हैं और वे किन बातों को अहमियत देते हैं। (रोमियों 2:21, 22) बच्चे दूध पीने की उम्र से ही अपने माता-पिता पर ध्यान देते हैं और उनसे सीखते हैं। वे समझ जाते हैं कि उनके माता-पिता किन बातों को ज़रूरी मानते हैं। ज़्यादातर बच्चे भी उन्हीं बातों को ज़रूरी समझने लगते हैं। अगर आप सच में यहोवा से प्यार करते हैं, तो यह आपके बच्चों को ज़रूर नज़र आएगा। अगर आप रोज़ बाइबल पढ़ते हैं, उसका अध्ययन करते हैं और राज के कामों को ज़िंदगी में पहली जगह देते हैं, तो आपके बच्चे साफ देख सकेंगे कि आप इन बातों को बहुत ज़रूरी समझते हैं। (मत 6:33) अगर आप लगातार सभाओं और प्रचार में जाते हैं, तो बच्चे समझ पाएँगे कि यहोवा की पवित्र सेवा आपकी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अहमियत रखती है।—मत 28:19, 20; इब्र 10:24, 25.
পিতৃ-মাতৃয়ে পৰিয়ালৰ আৱশ্যকতাবোৰ পূৰ্ণ কৰে
১৪ আন বহুতো উপলক্ষ্যত আপোনালোকে নিজৰ লʼৰা-ছোৱালীক আধ্যাত্মিক বিষয়ে যে শিক্ষা প্ৰদান কৰিব পাৰে, সেই বিষয়ে দ্বিতীয় বিবৰণ ৬:৭ পদত উল্লেখ কৰিছে। হয়তো একেলগে যাত্ৰা, কাম কৰা বা জিৰণি লোৱাৰ সময়ত তেনে শিক্ষা দিব পাৰি। কিন্তু সদায়ে মনত ৰাখা উচিত যে তেনে উপলক্ষ্যবোৰ নিৰন্তৰে “ভাষণ” দি থকা উদ্দেশ্যৰে হʼব নালাগে। তাৰ পৰিৱৰ্তে উৎসাহ আৰু আধ্যাত্মিকভাৱে গঢ়ি তুলা উদ্দেশ্যৰে পৰিয়ালত কথোপকথন হোৱা উচিত। উদাহৰণস্বৰূপে, এই বিষয়ে সচেতন! আলোচনীখনত বিভিন্ন প্ৰকাৰৰ লেখবোৰ ছপোৱা হৈছে। কথোপকথনৰ সময়ত হয়তো তেনে লেখবোৰত থকা প্ৰাণীজগত, প্ৰাকৃতিক সৌন্দৰ্য্যতা, মানৱ জীৱনৰ ভিন্ন সংস্কৃতি আৰু শিক্ষা-দীক্ষাৰ বিষয়ে আলোচনা কৰাটো উত্তম হʼব। তেনে ধৰণৰ কথোপকথনে হয়তো লʼৰা-ছোৱালীবিলাকক বিশ্বাসী আৰু বুদ্ধিমান দাসে প্ৰবন্ধ কৰা প্ৰকাশনবোৰ অধিক আগ্ৰহেৰে পঢ়িবলৈ প্ৰেৰিত কৰিব।—মথি ২৪:৪৫-৪৭.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
w১৯.০২ ২২ ¶১১
প্ৰাচীন ইস্ৰায়েলত প্ৰেম আৰু ন্যায়ৰ গুৰুত্বতা
১১ শিক্ষা: আমাৰ সকলো চিন্তাধাৰা, ভাবনা আৰু কাম যিহোৱাৰপৰা লুকাই নাথাকে। এয়া সঁচা যে তেওঁ আমাৰ ভাল গুণবোৰ লক্ষ্য কৰে। কিন্তু তেওঁ আমাৰপৰা কিবা আশাও কৰে। আমি যাতে পাপ নকৰোঁ, তাৰ বাবে আমি নিজকে পৰীক্ষা কৰা আৰু মনলৈ অহা বেয়া চিন্তাবোৰ দূৰ কৰাটো তেওঁ বিচাৰে।—২ বং ১৬:৯; মথি ৫:২৭-৩০.
জুন ২১-২৭
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | দ্বিতীয় বিবৰণ ৭-৮
“সিহঁতেৰে সৈতে বিবাহৰ সম্বন্ধ নকৰিবা”
w১২ ৭/১ ২৯ ¶২
यहोवा ने अपने लोगों से क्यों कहा कि वे सिर्फ उसकी उपासना करनेवालों से शादी करें?
यहोवा जानता था कि शैतान उसके लोगों को झूठी उपासना में फँसाकर उन्हें भ्रष्ट करने की कोशिश करेगा। यहोवा ने उन्हें सावधान किया कि झूठे देवताओं को पूजनेवाले “तुम्हारे बच्चों को बहका देंगे और तुम्हारे बच्चे मुझसे मुँह मोड़ लेंगे और दूसरे देवताओं की सेवा करने लगेंगे।” अगर इसराएली दूसरे देवी-देवताओं को पूजते, तो भारी नुकसान होता। यहोवा उन्हें आशीषें देना और उनकी रक्षा करना छोड़ देता। तब दुश्मन आकर उनका नाश कर देते। फिर मसीहा उस राष्ट्र में पैदा नहीं होता। शैतान भी यह सब जानता था, इसीलिए उसने इसराएलियों को बहकाने की कोशिश की ताकि वे झूठी उपासना करनेवालों से शादी कर लें।
w১৫ ৩/১৫ ৩০-৩১
“सिर्फ प्रभु में” शादी करना—क्या वाकई इसमें अक्लमंदी है?
फिर भी बाइबल में यहोवा ने हमें सिर्फ प्रभु में शादी करने की आज्ञा दी है। क्यों? क्योंकि वह जानता है कि हमारी भलाई किस में है और वह हमारी हिफाज़त करना चाहता है। वह नहीं चाहता कि हम ऐसे फैसले लें जिनसे हमें नुकसान हो या दुख उठाना पड़े। नहेमायाह के दिनों में कई यहूदी ऐसी स्त्रियों से शादी कर रहे थे, जो यहोवा की उपासक नहीं थीं। इसलिए नहेमायाह ने सुलैमान की बुरी मिसाल का ज़िक्र किया। सुलैमान “अपने परमेश्वर का प्रिय . . . था, और परमेश्वर ने उसे सारे इस्राएल के ऊपर राजा नियुक्त किया; परन्तु उसको भी अन्यजाति स्त्रियों ने पाप में फंसाया।” (नहे. 13:23-26) यहोवा जानता है कि उसकी हिदायतें मानने में हमारी भलाई है, इसलिए उसने हमें आज्ञा दी है कि हम सिर्फ सच्चे उपासकों में ही जीवन-साथी चुनें। (भज. 19:7-10; यशा. 48:17, 18) हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि वह हमें प्यार-भरी और भरोसेमंद सलाह देता है। जब हम यहोवा को अपना राजा मानकर उसकी आज्ञा मानते हैं, तो हम यह कबूल करते हैं कि उसे हमें यह बताने का हक है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।—नीति. 1:5.
w১৫ ৮/১৫ ২৬ ¶১২
इन आखिरी दिनों में बुरी संगति से खबरदार रहिए!
12 जो मसीही शादी करना चाहते हैं, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वे किसके साथ संगति करते हैं। परमेश्वर का वचन हमें खबरदार करता है, “अविश्वासियों के साथ बेमेल जूए में न जुतो। क्योंकि नेकी के साथ दुराचार का क्या मेल? या रौशनी के साथ अंधेरे की क्या साझेदारी?” (2 कुरिं. 6:14) बाइबल परमेश्वर के सेवकों को सलाह देती है कि वे “सिर्फ प्रभु में” शादी करें। इसका मतलब, एक मसीही को सिर्फ ऐसे व्यक्ति से शादी करनी चाहिए, जो समर्पित और बपतिस्मा-शुदा यहोवा का साक्षी हो और यहोवा के स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी जीता हो। (1 कुरिं. 7:39) जब आप एक ऐसे व्यक्ति से शादी करेंगे जो यहोवा से प्यार करता है तो आपको एक ऐसा साथी मिलेगा जो परमेश्वर के वफादार बने रहने में आपकी मदद करेगा।
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
যিহোৱা ঈশ্বৰে আমাৰ দৈনন্দিন আৱশ্যকতাসমূহৰ যোগান ধৰে
৪ দৈনিক আহাৰৰ সম্বন্ধে কৰা আমাৰ প্ৰাৰ্থনাই আমাক নিয়মিত আধ্যাত্মিক আহাৰৰ প্ৰয়োজনীয়তাৰ বিষয়েও সোঁৱৰায়। অতি ভোকাতুৰ অৱস্থাত থকা সময়ত চয়তানে যেতিয়া যীচুক শিলবোৰ পিঠালৈ পৰিণত কৰিবলৈ প্ৰলোভিত কৰিছিল তেতিয়া তেওঁ এইদৰে কৈছিল: “মানুহ কেৱল পিঠাৰেই নিজীব, কিন্তু ঈশ্বৰৰ মুখৰ পৰা ওলোৱা প্ৰত্যেক বাক্যেৰেহে জীব, এই বুলি লিখা আছে।” (মথি ৪:৪) সেই সময়ত যীচুৱে, মোচিয়ে ইস্ৰায়েল জাতিক কোৱা এই কথাষাৰ উদ্ধৃত কৰিছিল: “মানুহ কেৱল পিঠাৰে যে নিজীয়ে, কিন্তু যিহোৱাৰ মুখৰ পৰা যি যি ওলায়, তাৰেহে যে জীয়ে, ইয়াকে তুমি জানিবৰ নিমিত্তে, তেওঁ তোমাক নম্ৰ কৰিলে, ভোক লগা কৰিলে, আৰু তুমি নজনা আৰু তোমাৰ পূৰ্ব্ব-পুৰুষবিলাকে নজনা মান্না ভোজন কৰানে।” (দ্বিতীয় বিবৰণ ৮:৩) যিহোৱাই যি ধৰণে ইস্ৰায়েলজাতিৰ বাবে মান্নাৰ যোগান ধৰিছিল, সেইয়া কেৱল শাৰীৰিক আহাৰেই নহয় কিন্তু আধ্যাত্মিক শিক্ষাসমূহো সন্মিলিত আছিল। ইয়াৰ এটা আধ্যাত্মিক শিক্ষা আছিল যে তেওঁলোকে “দিনৰ আহাৰ দিনে” গোটোৱা উচিত। যদি তেওঁলোকে প্ৰয়োজনতকৈ অধিক গোটাই তেন্তে ৰাতিপূৱালৈকে অৱশিষ্টখিনিত পোক জন্মি দুৰ্গন্ধ ওলাব। (যাত্ৰাপুস্তক ১৬:৪, ২০) যিহেতু সপ্তম দিনা বিশ্ৰাম-দিন হোৱাৰ বাবে তেওঁলোকে ষষ্ঠ দিনাই দুগুণকৈ গোটাই ৰাখিব লাগিছিল আৰু সেই পিঠাগুৰিত পোক জন্মা আৰু দুৰ্গন্ধিত হোৱা নাছিল। (যাত্ৰাপুস্তক ১৬:৫, ২৩, ২৪) গতিকে সেই মান্নাই তেওঁলোক আজ্ঞাকাৰীতা হোৱাৰ উপৰি তেওঁলোকৰ জীৱন যে “যিহোৱাৰ মুখৰ পৰা যি যি ওলায়” তাৰ ওপৰতহে নিৰ্ভৰ কৰে, ইয়াকো সোঁৱৰাইছিল।—যাত্ৰাপুস্তক ১৬:৫, ২৩, ২৪.
জুন ২৮–জুলাই ৪
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান | দ্বিতীয় বিবৰণ ৯-১০
“তোমাৰ ঈশ্বৰ যিহোৱাই তোমাৰ পৰা আৰু কি খুজিছে?”
w১০ ৭/১ ১৬ ¶৩-৪
यहोवा हमसे क्या चाहता है?
कौन-सी बातें हमें खुशी-खुशी परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए उकसा सकती हैं? एक बात मूसा ने बतायी: “तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मा[न]।” (आयत 12) यह भय इस बात का खौफ नहीं कि परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने से हमें बुरे अंजाम भुगतने पड़ेंगे। बल्कि इसका मतलब है परमेश्वर और उसके मार्गों के लिए गहरा विस्मय और आदर होना। अगर हममें परमेश्वर के लिए गहरी श्रद्धा होगी, तो हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे यहोवा नाराज़ हो जाए।
लेकिन परमेश्वर की आज्ञा मानने के पीछे हमारा इरादा क्या होना चाहिए? मूसा ने कहा: ‘यहोवा से प्रेम रखो और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करो।’ (आयत 12) परमेश्वर से प्यार करने का सिर्फ यह मतलब नहीं कि दिल में उसके लिए प्यार-भरी भावनाएँ होना। एक किताब कहती है: “इब्रानी भाषा में भावनाओं के लिए जो क्रियाएँ इस्तेमाल की जाती हैं, उनमें कई बार वे काम भी शामिल होते हैं जो एक इंसान उन भावनाओं के उभारे जाने पर करता है।” अगर हम परमेश्वर से सचमुच प्यार करते हैं, तो हम वही करेंगे जो उसे भाता है।—नीतिवचन 27:11.
w১০ ৭/১ ১৬ ¶৬
यहोवा हमसे क्या चाहता है?
अगर हम खुशी-खुशी परमेश्वर की हर आज्ञा मानें, तो हम पर उसकी आशीष होगी। मूसा ने लिखा: ‘जो-जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं, उनको ग्रहण कर जिससे तेरा भला हो।’ (आयत 13) जी हाँ, यहोवा की हर आज्ञा, हर माँग हमारे भले के लिए है। क्योंकि बाइबल कहती है कि “परमेश्वर प्यार है।” (1 यूहन्ना 4:8) तो ज़ाहिर-सी बात है कि वह हमें सिर्फ ऐसी आज्ञाएँ देगा, जिन पर चलकर हमें हमेशा का फायदा हो। (यशायाह 48:17) यहोवा हमसे जो भी चाहता है, अगर हम उसे पूरा करें तो आज हम कई परेशानियों से बच सकते हैं। यही नहीं, आगे चलकर जब परमेश्वर का राज इस धरती पर हुकूमत करेगा, तब हमें ढेरों आशीषें मिलेंगी।
cl ১৬ ¶২
क्या आप सचमुच “परमेश्वर के करीब” आ सकते हैं?
2 प्राचीनकाल के इब्राहीम का, परमेश्वर के साथ ऐसा ही करीबी रिश्ता था। यहोवा ने इब्राहीम को ‘मेरा मित्र’ कहा। (यशायाह 41:8, NHT) जी हाँ यहोवा, इब्राहीम को अपना करीबी दोस्त मानता था। परमेश्वर ने इब्राहीम को अपना दोस्त इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि उसने “परमेश्वर पर विश्वास किया।” (याकूब 2:23, NHT) आज भी, यहोवा ऐसे मौकों की तलाश में रहता है कि वह कैसे अपने उन सेवकों के लिए “स्नेह” दिखाए जो प्रेम की खातिर उसकी सेवा करते हैं। (व्यवस्थाविवरण 10:15) उसका वचन उकसाता है: “परमेश्वर के करीब आओ, और वह तुम्हारे करीब आएगा।” (याकूब 4:8, NW) इन शब्दों में हमें न सिर्फ एक न्यौता दिया गया है, बल्कि हमसे एक वादा भी किया गया है।
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it-১ ১০৩
অনাকৰ লোক
অনাকৰ লোকসকল প্ৰয়োজনতকৈ বেছি ওখ আৰু ডাঙৰ আছিল। হিব্ৰোণত ১২ জন ইস্ৰায়েলী চোৰাংচোৱাই প্ৰথমবাৰ অনাকৰ লোকসকলক দেখিছিল। তেওঁলোকৰ মাজৰ ১০ জন চোৰাংচোৱাই অনাকৰ লোকসকলৰ বিষয়ে ইস্ৰায়েলীসকলক কৈছিল আৰু সেয়া শুনি তেওঁলোকে ভয় কৰিছিল। তেওঁলোকে কৈছিল যে অনাকৰ লোকসকল জল-প্লাবনৰ আগত থকা নাফিলৰ বংশৰ হয় আৰু তেওঁলোকৰ ওচৰত আমি ফৰিংৰ দৰে হয়।—গণ ১৩:২৮-৩৩; দ্বিতী ৯:১-৩.