জীৱন আৰু পৰিচৰ্য্যা সভাৰ বাবে অধ্যয়ন পুস্তিকাৰ বৰ্ণনা
নৱেম্বৰ ১-৭
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| যিহোচূৱা ১৮-১৯
“যিহোৱাই বুদ্ধিমতাৰে মাটি ভগাই”
it–১ ৩৫৯ ¶১
सरहद
इसराएल के गोत्रों में ज़मीन का बँटवारा करने के लिए दो काम किए गए। पहले तो चिट्ठियाँ डाली गयीं और फिर यह देखा गया कि फलाँ गोत्र कितना बड़ा है। शायद चिट्ठियाँ डालकर सिर्फ यह तय किया गया कि फलाँ गोत्र को देश में ज़मीन कहाँ पर मिलनी चाहिए—उत्तर में, दक्षिण में, पूरब में, पश्चिम में, समुंदर किनारे के मैदानी इलाके में या पहाड़ी प्रदेश में। चिट्ठियाँ इसलिए डाली गयीं ताकि जो भी फैसला निकले वह यहोवा का फैसला माना जाए और किसी गोत्र को दूसरे गोत्र से जलन न हो और उनके बीच झगड़े न हों। (नीत 16:33) यहोवा ने चिट्ठियों के ज़रिए अपना फैसला बताकर इस बात का भी ध्यान रखा कि हर गोत्र को इलाका याकूब की भविष्यवाणी के हिसाब से मिले। यह भविष्यवाणी उसने अपनी मौत से पहले की थी और यह उत्पत्ति 49:1-33 में लिखी हुई है।
it–১ ১২০০ ¶১
विरासत
उत्पत्ति 49:5, 7 में ज़िक्र की गयी याकूब की भविष्यवाणी के मुताबिक शिमोन और लेवी गोत्र को अलग से विरासत की ज़मीन नहीं दी गयी। शिमोन गोत्र को यहूदा गोत्र के हिस्से में से ही विरासत की ज़मीन मिली (यह 19:1-9) और लेवी गोत्र को पूरे इसराएल देश में सभी गोत्रों के इलाकों में से 48 शहर दिए गए।
it–১ ৩৫৯ ¶২
सरहद
एक बार जब यह फैसला हो गया कि गोत्रों को कहाँ-कहाँ ज़मीन मिलनी चाहिए, तो इसके बाद यह तय किया गया कि हर गोत्र को कितना बड़ा इलाका मिलना चाहिए। इसके लिए यह देखा गया कि एक गोत्र कितना बड़ा है। यहोवा ने यह निर्देश दिया था, “तुम चिट्ठियाँ डालकर देश की ज़मीन अपने सभी घरानों में बाँट देना। जो समूह बड़ा है उसे विरासत में ज़्यादा ज़मीन देना और जो समूह छोटा है उसे कम देना। चिट्ठियाँ डालकर तय किया जाए कि देश में किसे कहाँ पर विरासत की ज़मीन मिलेगी।” (गि 33:54) हर गोत्र को देश में वहीं पर ज़मीन दी जानी थी जो चिट्ठियों के मुताबिक तय हुआ था। इसमें कोई फेरबदल नहीं किया जाना था। मगर गोत्र बड़ा है या छोटा, यह देखकर उसका इलाका बढ़ाया जा सकता था या घटाया जा सकता था। इसी वजह से जब देखा गया कि यहूदा को मिलनेवाला इलाका कुछ ज़्यादा ही बड़ा है, तो उसे घटा दिया गया। और उसी के इलाके में कहीं-कहीं पर शिमोन गोत्र को ज़मीन दी गयी।—यह 19:9.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it–১ ৩৫৯ ¶৫
সীমা
ইস্ৰায়েলীৰ সাতটা ফৈদে যৰ্দ্দনৰ পশ্চিমফালৰ এলেকাৰ ওপৰত দখল কৰিবলৈ কিয় দেৰি কৰিছিল? বাইবেলৰ ওপৰত অনুসন্ধান কৰা লোকসকলে মন্তব্য দিয়ে যে ইয়াৰ বহুতো কাৰণ হʼব পাৰে। ইয়াৰ এটা কাৰণ হʼব পাৰে যে ইস্ৰায়েলীসকলে এতিয়ালৈকে যিবোৰ এলেকা দখল কৰিছিল, সেই ঠাইৰপৰা বহুতো সা-সম্পত্তি লৈ আনিছিল। কনান দেশৰ লোকসকলে তেওঁলোকক আক্ৰমণ কৰিব বুলি কোনো ভয় কৰা নাছিল, সেইবাবে তেওঁলোকে ভাবিছিল যে আন এলেকাবোৰত সোনকালে দখল কৰাৰ কোনো প্ৰয়োজন নাই। আন এটা কাৰণৰ বাবে হয়তো তেওঁলোকে ভাবিছিল যে আন এলেকাবোৰত শত্ৰুবিলাকক পৰাজয় কৰাটো সহজ নহʼব, কিয়নো তেওঁলোকৰ সংখ্যা বেছি আৰু শক্তিশালী আছিল। (যিহূ ১৩:১-৭) ইয়াৰ উপৰিও দখল কৰা এলেকাবোৰৰ বিষয়ে যিমান তেওঁলোকে জানিছিল, কিন্তু তাৰ তুলনা এই এলেকাবোৰৰ বিষয়ে সিমান জনা নাছিল। সেইবাবে, তেওঁলোকে দখল কৰাত এলেহুৱা কৰিবলৈ ধৰিলে।
নৱেম্বৰ ৮-১৪
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| যিহোচূৱা ২০-২২
“ভুল বুজাবুজিৰপৰা শিক্ষা”
w০৬ ৪/১৫ ৫ ¶৩
अपने साथी से बात करने के लिए क्या ज़रूरी है?
खुली बातचीत से गलतफहमियाँ पैदा ही नहीं होतीं, ना ही हमारी बात का गलत मतलब निकाला जाता है। इसकी एक मिसाल इस्राएल देश के शुरू के इतिहास में देखी जा सकती है। इस्राएलियों के ज़्यादातर गोत्र यरदन नदी के पश्चिम में बस गए मगर रूबेन, गाद और मनश्शे के आधे गोत्र को यरदन के पूर्व में इलाके दिए गए। पूर्व के इन गोत्रों ने यरदन के किनारे पर “देखने के योग्य एक बड़ी वेदी” बनायी। बाकी गोत्रों ने उनके इस काम का गलत मतलब निकाला। उन्हें लगा कि यरदन के पार उनके भाई सच्ची उपासना के खिलाफ जा रहे हैं, इसलिए उन्हें सज़ा देने के लिए वे उनसे लड़ने को तैयार हो गए। मगर लड़ाई पर जाने से पहले उन्होंने पूर्वी गोत्रों से बात करने के लिए अपना एक दल भेजा। यह वाकई अक्लमंदी का काम था! क्यों? क्योंकि उनसे बात करने पर उन्हें पता चला कि वह वेदी ऐसे बलिदान चढ़ाने के लिए नहीं बनायी गयी थी, जिन्हें चढ़ाना परमेश्वर की कानून-व्यवस्था के मुताबिक गलत होता। दरअसल, पूर्वी गोत्रों को डर था कि आगे चलकर पश्चिम के गोत्र उनसे कहेंगे: “यहोवा में तुम्हारा कोई भाग नहीं है।” इसलिए यह वेदी पश्चिम के गोत्रों को गवाही देती कि यरदन के पूर्व में रहनेवाले उनके भाई भी यहोवा के उपासक हैं। (यहोशू 22:10-29) उन्होंने इस वेदी का नाम साक्षी रखा शायद इसलिए कि वह वेदी इस बात की गवाही देती कि पूर्वी गोत्र, यहोवा को सच्चा परमेश्वर मानते थे।—यहोशू 22:34, फुटनोट।
w০৮ ১১/১৫ ১৮ ¶৫
‘उन बातों की कोशिश कीजिए जिनसे मेल मिलाप हो’
कुछ इस्राएलियों को शायद लगा हो कि रूबेनी, गादी, और मनश्शे के गोत्र यकीनन गुनहगार हैं, इसलिए उन पर अचानक हमला बोल देने में कोई हर्ज़ नहीं। इस तरह, लड़ाई में उनके अपने लोग भी कम मरते। लेकिन जल्दबाज़ी में कदम उठाने के बजाय, उन्होंने पहले अपने भाइयों से बातचीत करने के लिए कुछ आदमी भेजे। इन आदमियों ने उनसे कहा: ‘तुम ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा का यह कैसा विश्वासघात किया कि आज तुम ने उसके पीछे चलना छोड़ दिया?’ दरअसल इस्राएल के इन गोत्रों ने वेदी खड़ी करके कोई विश्वासघात नहीं किया था। तो फिर, यह गलत इलज़ाम सुनकर उन्हें कैसा लगा? क्या वे इलज़ाम लगानेवालों पर बरस पड़े या फिर उनसे बात करना बंद कर दिया? जी नहीं। उन्होंने नरमी से जवाब दिया और बताया कि उन्होंने यह वेदी एक साक्षी के तौर पर बनायी थी, ताकि परमेश्वर की उपासना करने का रास्ता उनके और उनकी संतानों के लिए हमेशा खुला रहे। इस तरह नरमी से जवाब देने से परमेश्वर के साथ उनका रिश्ता बरकरार रहा और कई बेगुनाहों की जान बच गयी। जी हाँ, शांत होकर बात करने से मसला हल हुआ और उनका आपस में मेल मिलाप हो गया।—यहो. 22:13–34.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it–১ ৪০২ ¶৩
কনান
ইস্ৰায়েলীসকলৰ আশে-পাশে থকা কনানীয়াসকলে তেওঁলোকক ভয় কৰিছিল। কনানীয়াসকলৰপৰা ইস্ৰায়েলীসকলৰ কোনো বিপদ নাছিল, কিয়নো ইস্ৰায়েলীসকলে যেতিয়ালৈকে যিহোৱাৰ আজ্ঞা পালন কৰিব, তেতিয়ালৈকে তেওঁলোক সুৰক্ষাত থাকিব। যিহোৱাই আগতীয়াকৈ কৈছিল যে তেওঁ কনানীয়াসকলক “ক্ৰমে ক্ৰমে” দেশৰপৰা দূৰ কৰিব। সেইসময়ত ইস্ৰায়েলীসকলৰ সংখ্যা নিচেই কম আছিল। সেইবাবে, তেওঁলোকক গোটেই দেশৰ এলেকাবোৰ প্ৰয়োজন হোৱা নাছিল। সকলো কনানীয়াক আন এটা কাৰণৰ বাবে যিহোৱাই এবাৰতে ধ্বংস কৰা নাছিল। যিহোৱাই সেই এলেকাৰ সকলোকে ধ্বংস কৰা হʼলে, দেশৰ কিছুমান ঠাই নিজান হৈ পৰিলেহেঁতেন আৰু সেই ঠাইত বনৰীয়া জীৱ-জন্তুৰ সংখ্যা বাঢ়ি গলহেঁতেন।—যাত্ৰা ২৩:২৯, ৩০; দ্বিতী ৭:২২.
নৱেম্বৰ ১৫-২১
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| যিহোচূৱা ২৩-২৪
“যিহোচূৱাৰ শেষ পৰামৰ্শ”
it–১ ৭৫
मेल-जोल
इसराएलियों को कनान देश पर कब्ज़ा करने का पूरा अधिकार था, क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ने उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था। वे उस देश में परदेसियों की तरह नहीं रहनेवाले थे, इसलिए उन्हें कनानी लोगों के साथ कोई करार करने की ज़रूरत नहीं थी। यहोवा ने उनसे साफ-साफ कहा था कि वे उनके साथ कोई करार न करें, क्योंकि वे झूठे-देवी देवताओं को पूजते हैं। (निर्ग 23:31–33; 34:11–16) यहोवा ने उनसे यह भी कहा था कि वे कनानी लोगों से शादी न करें। उनके साथ रिश्ता जोड़ने से वे भी पाप कर बैठते। अपनी पत्नी या दूसरे रिश्तेदारों की देखा-देखी, वे भी झूठे धार्मिक रीति-रिवाज़ मानने लग सकते थे। अगर वे ऐसा करके यहोवा के खिलाफ जाते, तो वह उनकी हिफाज़त नहीं करता और उन्हें आशीष नहीं देता।—व्य 7:2–4; निर्ग 34:16; यह 23:12, 13.
w০৭ ১১/১ ২৭-২৮ ¶১৯-২০
परमेश्वर का वचन बिना पूरा हुए नहीं रहता
19 हमने अपनी आँखों से जो होते देखा है, उसकी बिना पर हम भी यकीनन यह कह सकते हैं: “जितनी भलाई की बातें हमारे परमेश्वर यहोवा ने हमारे विषय में कहीं उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही; वे सब की सब तुम पर घट गई हैं, उन में से एक भी बिना पूरी हुए नहीं रही।” (यहोशू 23:14) वाकई, यहोवा अपने सेवकों को छुड़ाता है, उनकी हिफाज़त और देखभाल करता है। क्या आप परमेश्वर का कोई भी ऐसा वादा बता सकते हैं, जो उसके ठहराए हुए वक्त पर पूरा न हुआ हो? यह बताना नामुमकिन है। इसलिए हम समझदारी से काम लेते हुए परमेश्वर के वचन पर भरोसा रखते हैं।
20 आनेवाले कल में क्या होगा? यहोवा ने हममें से ज़्यादातर लोगों को इसी धरती पर जीने की आशा दी है, जो खूबसूरत फिरदौस में तबदील की जाएगी। जबकि कुछ लोगों को उसने मसीह के साथ स्वर्ग में राज करने की आशा दी है। हमारी आशा चाहे जो भी हो, यहोशू की तरह वफादार बने रहने की हमारे पास हरेक वजह है। वह दिन दूर नहीं, जब हमारी आशा हकीकत में बदल जाएगी। तब हम भी यहोशू की तरह यहोवा के सभी वादों को याद करके कहेंगे: ‘वे सब के सब पूरे हुए।’
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
যিহোচূৱা কিতাপৰ আলোকপাত
২৪:২—অব্ৰাহামৰ পিতৃ তেৰহ মূৰ্ত্তি পূজক আছিলনে? পূৰ্বতে তেৰহ যিহোৱাৰ উপাসক নাছিল। সম্ভৱতঃ তেওঁ ঊৰ দেশৰ প্ৰসিদ্ধ দেৱ-দেৱী অৰ্থাৎ চীন নামৰ চন্দ্ৰ দেৱতাক উপাসনা কৰিছিল। ইহুদী ৰীতি-নীতিৰ অনুসাৰে তেৰহে হয়তো মূৰ্ত্তিবিলাকৰ নিৰ্মাণ কৰিছিল। কিন্তু ঈশ্বৰৰ আজ্ঞাৰ অনুসাৰে অব্ৰাহামে ঊৰ দেশ ত্যাগ কৰাত তেৰহও অব্ৰাহামৰ সৈতে হাৰণ নগৰলৈ গʼল।—আদিপুস্তক ১১:৩১.
নৱেম্বৰ ২২-২৮
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক ১-৩
“সাহস আৰু ষড়যন্ত্ৰৰ ঘটনা”
w০৪ ৩/১৫ ৩১ ¶৩
एहूद एक अत्याचारी के जुए को तोड़ डालता है
एहूद की योजना इस वजह से कामयाब नहीं हुई कि वह चतुर था या उसके दुश्मन काबिल नहीं थे। परमेश्वर अपना मकसद पूरा करने के लिए इंसानों का मोहताज नहीं है। एहूद की कामयाबी की अहम वजह यह थी कि परमेश्वर ने उसका साथ दिया जब उसने परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक उसके लोगों को छुड़ाया और उसकी मरज़ी को पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता। एहूद को परमेश्वर ने चुना था, “और जब जब यहोवा [अपने लोगों के] लिये न्यायी को ठहराता तब तब वह उस न्यायी के संग रह[ता]।”—न्यायियों 2:18; 3:15.
w০৪ ৩/১৫ ৩০ ¶১-৩
एहूद एक अत्याचारी के जुए को तोड़ डालता है
एहूद ने सबसे पहले अपने लिए एक ऐसी “तलवार” बनायी जो दोधारी थी और इतनी छोटी कि उसे आसानी से कपड़े के नीचे छिपाया जा सकता था। शायद उसे मालूम था कि उसकी तलाशी ली जाएगी। आम तौर पर दाएँ हाथवाला इंसान, तलवार को अपनी बायीं तरफ रखता ताकि ज़रूरत पड़ने पर उसे फुर्ती से निकाल सके। लेकिन एहूद बैंहत्था था, इसलिए उसने हथियार “अपने वस्त्र के नीचे दाहिनी जांघ पर लटका लिया।” और राजा के पहरेदारों की उस जगह पर तलाशी लेने की गुंजाइश भी कम थी। इसलिए वह बिना किसी रोक-टोक के ‘मोआब के राजा एग्लोन के पास भेंट ले गया।’—न्यायियों 3:16, 17.
राजा एग्लोन के दरबार में एहूद के साथ उसकी पहली मुलाकात में क्या-क्या हुआ, इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी गयी है। बाइबल बस इतना बताती है: ‘जब एहूद भेंट दे चुका, तब उसने भेंट लानेवाले को विदा किया।’ (न्यायियों 3:18) भेंट देने के बाद, एहूद भेंट लानेवालों के संग एग्लोन के महल से बाहर कुछ दूर गया और उन्हें विदा करके वापस महल लौटा। वह वापस क्यों लौटा? आखिर वह अपने साथ उन आदमियों को क्यों लाया था? अपनी हिफाज़त के लिए, या वह उस ज़माने का दस्तूर था, या फिर महज़ भेंट उठाकर लाने के लिए? और वह उनके साथ कुछ दूर क्यों गया? क्या वह उन्हें सही-सलामत बाहर पहुँचा देना चाहता था, इससे पहले कि वह अपनी योजना को अंजाम दे? वजह चाहे जो भी रही हो, एहूद बड़ी बहादुरी दिखाते हुए अकेले ही महल में दोबारा लौट आया।
वृत्तांत कहता है: “[एहूद] आप गिलगाल के निकट की खुदी हुई मूरतों के पास लौट गया, और एग्लोन के पास कहला भेजा, कि हे राजा, मुझे तुझ से एक भेद की बात कहनी है।” एहूद को दोबारा राजा के सामने हाज़िर होने की इजाज़त कैसे मिल गयी, इस बारे में बाइबल में कुछ नहीं बताया गया है। क्या पहरेदारों ने एहूद पर शक नहीं किया? या क्या उन्होंने यह सोचकर उसे जाने दिया कि भला एक इस्राएली उनके राजा का क्या बिगाड़ सकता है? क्या एहूद का अकेला जाना ऐसा लगा होगा कि वह अपने ही जाति-भाइयों के साथ गद्दारी कर रहा है? बात चाहे जो हो, एहूद ने अकेले में राजा से बात करने की इजाज़त माँगी, सो उसे मिल गयी।—न्यायियों 3:19.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক কিতাপৰ আলোকপাত
২:১০-১২. ‘যিহোৱা ঈশ্বৰৰ সকলো উপকাৰ নাপাহৰিবলৈ’ আমি নিতৌ বাইবেল অধ্যয়ন কৰিবলৈ তালিকা তৈয়াৰ কৰা উচিত। (গীত ১০৩:৫) পিতৃ-মাতৃসকলে নিজৰ লʼৰা-ছোৱালীৰ হৃদয়ত ঈশ্বৰৰ বাক্যৰ সত্যতা প্ৰবিষ্ট কৰা উচিত।—দ্বিতীয় বিবৰণ ৬:৬-৯.
নৱেম্বৰ ২৯–ডিচেম্বৰ ৫
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক ৪-৫
“দুগৰাকী তিৰোতাৰ যোগেদি যিহোৱাই নিজৰ লোকসকলক ৰক্ষা কৰিলে”
w১৫ ৮/১ ১৩ ¶১
‘इसराएल में माँ बनकर मैंने उन्हें सँभाला’
कनान के सेनापति सीसरा का नाम सुनते ही इसराएलियों की जान सूख जाती थी। कनान के लोग बहुत बेरहम थे और बहुत ही घिनौने काम करते थे। उनके मंदिरों में औरतें वेश्या का काम करती थीं और आदमी दूसरे आदमियों के साथ संभोग करते थे। वे अपने बच्चों की बलि भी चढ़ा देते थे। सेनापति सीसरा और उसकी सेना ने इसराएलियों का जीना दुश्वार कर दिया था। भविष्यवक्तिन दबोरा के गीत से पता चलता है कि देश में सफर करना बहुत मुश्किल हो गया था और गाँव-के-गाँव खाली हो गए थे। (न्यायियों 5:6, 7) कनानियों के डर से शायद लोग ऐसी बस्तियों में रहने से घबराते थे जिनके चारों तरफ सुरक्षा के लिए कोई दीवार नहीं थी। वे शायद वहाँ खेती-बाड़ी भी नहीं करते थे और अपनी जान बचाने के लिए जंगलों और पहाड़ों में छिपते थे। उन्हें सड़कों पर आने-जाने से भी डर लगा होगा कि कहीं कनानी लोग उन पर हमला न कर दें, उनके बच्चों को उठा न लें या फिर औरतों का बलात्कार न करें।
w১৫ ৮/১ ১৩ ¶২
‘इसराएल में माँ बनकर मैंने उन्हें सँभाला’
इसराएली यहोवा की बात नहीं मानते थे और बहुत ढीठ हो गए थे, इसलिए यहोवा ने उन्हें कनानी राजा याबीन के हाथ कर दिया। याबीन और सेनापति सीसरा ने इसराएलियों पर बहुत ज़ुल्म किए। ऐसा कई सालों तक चलता रहा। फिर बीस साल बाद इसराएलियों को अपने किए पर अफसोस हुआ और वे यहोवा के पास लौट आए। तब यहोवा ने दबोरा के ज़रिए अपने लोगों की रक्षा की। दबोरा लप्पीदोत नाम के एक आदमी की पत्नी थी। यहोवा ने दबोरा को यह काम सौंपा कि जैसे एक माँ अपने बच्चों की रक्षा करती है, वैसे ही वह इसराएलियों को बचाने के लिए कुछ कदम उठाए। उसने दबोरा से कहा कि वह न्यायी बाराक को बुलवाए और उससे कहे कि वह जाकर सेनापति सीसरा से लड़े। दबोरा ने इसराएलियों को ऐसे सँभाला जैसे एक माँ अपने बच्चों को सँभालती है। इसी घटना का ज़िक्र करते हुए उसने गीत गाया, ‘मैं उनकी मदद के लिए खड़ी हुई, उनकी माँ बनकर मैंने उन्हें सँभाला।’—न्यायियों 4:3, 6, 7; 5:7.
w১৫ ৮/১ ১৫ ¶২
‘इसराएल में माँ बनकर मैंने उन्हें सँभाला’
याएल के पास ज़्यादा समय नहीं था, उसे जल्दी कदम उठाना था। उसने सेनापति सीसरा से कहा कि वह उसके तंबू में थोड़ा आराम कर ले। सीसरा ने उससे कहा कि अगर कोई आदमी उसके बारे में पूछे, तो वह उसे न बताए कि वह यहाँ है। फिर सीसरा लेट गया और याएल ने उसे कंबल ओढ़ा दिया। जब उसने पानी माँगा, तो याएल ने उसे मलाईवाला दूध दिया। कुछ ही देर में सीसरा गहरी नींद सो गया। उस ज़माने में औरतें भी तंबू लगाने के लिए खूँटी और हथौड़ा चलाने में माहिर होती थीं। याएल ने खूँटी और हथौड़ा लिया और दबे पाँव सीसरा के पास आयी। अब सीसरा की जान उसके हाथ में थी। क्या वह उसे मारकर यहोवा के लोगों को जीत दिलाएगी? अगर वह ज़रा भी हिचकिचाएगी या सोच में पड़ जाएगी कि मैं सीसरा को मारूँ या न मारूँ, तो इतने में सीसरा जाग जाएगा और उसकी जान ले लेगा। तो याएल ने मन में क्या सोचा होगा? यही कि सीसरा ने पिछले 20 सालों से यहोवा के लोगों पर कितने ज़ुल्म किए हैं। अब मुझे यहोवा ने अपने लोगों की मदद करने का मौका दिया है, इसलिए मैं यह मौका हाथ से नहीं जाने दूँगी और सीसरा की जान लेकर ही रहूँगी। बाइबल में नहीं लिखा है कि उसने क्या सोचा था। लेकिन इतना ज़रूर लिखा है कि उसने बिना देर किए सीसरा को मार डाला।—न्यायियों 4:18–21; 5:24–27.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক কিতাপৰ আলোকপাত
৫:২০—বাৰাকৰ হৈ আকশ-মণ্ডলত থকা তৰাসমষ্টিয়ে কেনেকৈ যুদ্ধ কৰিছিল? বাইবেলত এইটো কোৱা নাই যে বাৰাকক স্বৰ্গদুতবিলাকে সহায় কৰিছিল। আকাশৰ পৰা উল্কাবৃষ্টি হোৱাক লৈ চীচৰাৰ জ্ঞানী ব্যক্তিসকলে কোনো অমঙ্গলসূচক চিন বা জ্যোতিষবিদসকলে চীচৰা বিফল হʼব বুলি পূৰ্বানুমান কৰিছিল। নিঃসন্দেহে ইয়াত কোনো প্ৰকাৰৰ ঈশ্বৰীয় হস্তক্ষেপ আছিল।
ভাষণ
w০৬ ৩/১ ২৮-২৯
তৃতীয় বাৰ, পৌলে কেৱল খ্ৰীষ্টান ভনীসকলৰ বিষয়ে এইদৰে কৈছিল, “মণ্ডলীবিলাকতো তিৰোতা মানুহে নিজম দি থাকক; কিয়নো কথা কবলৈ তেওঁবিলাকক দিয়া নাযায়; কিন্তু তেওঁবিলাক বশীভূত থাকক।” (১ কৰিন্থীয়া ১৪:৩৪) পৌলে খ্ৰীষ্টান ভনীসকলক এই আজ্ঞা কিয় দিছিল? মণ্ডলীত সকলো কাম শৃংখলাবদ্ধভাৱে হʼবলৈ পৌলে এইদৰে কৈছিল। তেওঁ কৈছিল, “তেওঁবিলাকে যদি কিবা সুধি শিক্ষা পাব খোজে, তেন্তে ঘৰতে নিজ নিজ স্বামীক সোধক; কিয়নো মণ্ডলীত তিৰোতা মানুহে কথা কোৱা লাজৰ বিষয়।”—১ কৰিন্থীয়া ১৪:৩৫.
হয়তো কিছুমান ভনীয়ে মণ্ডলীত কোৱা কথাৰ বিৰোধে কথা কৈছিল। সেইবাবে, পৌলৰ এই পৰামৰ্শৰপৰা হয়তো ভনীসকলে নিজৰ মনোবৃত্তি সলনি কৰিবলৈ বহুতো সহায় লাভ কৰিলে, যাৰ বাবে মণ্ডলীত অশান্তিৰ সৃষ্টি হʼলহেঁতেন। ইয়াৰ উপৰিও যিহোৱাই মুৰব্বীৰ যি ব্যৱস্থা কৰিছে, তাক নম্ৰতাৰে স্বীকাৰ কৰিবলৈ আৰু বিশেষকৈ নিজৰ স্বামীৰ অধীনত থাকিবলৈ তেওঁলোকে সহায় পালে। (১ কৰিন্থীয়া ১১:৩) ইয়াৰ উপৰিও ভনীসকলে যদি মণ্ডলীৰ সভাত নিজম দি থাকে অৰ্থাৎ মনে-মনে থাকে, তেনেহʼলে ইয়াৰপৰা বুজিব পাৰি যে তেওঁলোকে মণ্ডলীত শিক্ষকৰ পদ পাবলৈ ইচ্ছা কৰা নাই। যেতিয়া পৌলে তীমথিয়লৈ চিঠি লিখিছিল, তেতিয়া তেওঁ কৈছিল যে মণ্ডলীত ভনীসকলে শিক্ষকৰ পদ লোৱাটো ভুল হয়: “শিক্ষা দিবলৈ, বা পুৰুষৰ ওপৰত ক্ষমাত চলাবলৈ, মই তিৰোতাক অনুমতি নিদিওঁ।”—১ তীমথিয় ২:১২.
গতিকে ইয়াৰ অৰ্থ এইটো নেকি যে খ্ৰীষ্টান ভনীসকলে মণ্ডলীৰ সভাৰ সময়ত একেবাৰে মনে-মনে থকা উচিত? নহয়। পৌলৰ সময়ত খ্ৰীষ্টান ভনীসকলে হয়তো পবিত্ৰ আত্মাৰ দ্বাৰা অনুপ্ৰাণিত হৈ বহুবাৰ মণ্ডলীত প্ৰাৰ্থনা বা ভৱিষ্যতবাণী কৰিছিল। কিন্তু তেওঁলোকে অধীনতা দেখুৱাবলৈ এইবোৰ কৰাৰ সময়ত মূৰত ওৰণি লৈছিল। (১ কৰিন্থীয়া ১১:৫) যিদৰে পৌলৰ সময়ত হৈছিল, ঠিক সেইদৰে আজিও ভাইসকলৰ লগত মিলি ভনীসকলক নিজৰ আশাৰ বিষয়ে আনক জনাবলৈ উৎসাহিত কৰা হয়। (ইব্ৰী ১০:২৩-২৫) প্ৰচাৰলৈ যোৱাৰ উপৰিও, ভনীসকলে মণ্ডলীত বহুতো উপায়েৰে নিজৰ আশাৰ বিষয়ে জনায় আৰু আনক উৎসাহিত কৰে। যেনে, প্ৰশ্ন সোধাৰ সময়ত ভাবি-চিন্তি উত্তৰ দিয়ে, প্ৰদৰ্শন দেখুৱায় আৰু বিদ্যাৰ্থী ভাগ আগবঢ়ায়।
গতিকে খ্ৰীষ্টান ভনীসকলে “নিজম দি” থকাৰ অৰ্থ হৈছে পুৰুষৰ ঠাই কাঢ়ি লʼবলৈ চেষ্টা নকৰা আৰু মণ্ডলীত পৰামৰ্শ দিবলৈ চেষ্টা নকৰা। ইয়াৰ উপৰিও তেওঁলোকে তৰ্ক-বিতৰ্ক নকৰে, যাতে মণ্ডলীত শিক্ষা দিয়াসকলৰ অধিকাৰৰ ওপৰত প্ৰশ্ন নুঠে। যেতিয়া খ্ৰীষ্টান ভনীসকলে নিজৰ ভূমিকা ভালদৰে পালন কৰে, তেতিয়া মণ্ডলীত শান্তি থাকে, যি মণ্ডলীৰ ‘ধৰ্ম্মত বৃদ্ধি’ কৰিবলৈ কৰা হয়।
ডিচেম্বৰ ৬-১২
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক ৬-৭
“তুমি নিজৰ এই বলেৰে যোৱা”
w০২ ২/১৫ ৬-৭
परमेश्वर के बताए उसूलों से आपको लाभ हो सकता है
प्राचीन समय के इब्रानी लोगों का न्यायी, गिदोन ऐसा इंसान था, जिसने अपने बारे में सही नज़रिया रखा और अपनी कीमत को सही-सही आँका। उसने इस्राएलियों का अगुवा बनने की कोशिश नहीं की। और जब उसे वह पद सौंपा गया तो उसने अपनी कमज़ोरियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि वह उस पद के लायक नहीं है। उसने कहा: “मेरा कुल तो मनश्शे के गोत्र में सबसे छोटा है और मैं अपने पिता के पूरे घराने में एक मामूली इंसान हूँ।”—न्यायियों 6:12–16.
w০৫ ৭/১৫ ১৬ ¶৩
“यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार”!
अब देखिए मिद्यानियों की छावनी में कैसा तहलका मच जाता है! अचानक, और एक-साथ 300 घड़ों का चूर-चूर होना, 300 नरसिंगों के फूँकने की आवाज़ और उन 300 आदमियों का चिल्लाना, रात की खामोशी को चीरता हुआ पूरे माहौल में आतंक फैला देता है। जब गिदोन के आदमी “यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार” कहकर चिल्लाते हैं तो मिद्यानियों के छक्के छूट जाते हैं। वे भी डर के मारे चीखने-चिल्लाने लगते हैं, जिससे और भी कोलाहल मच जाता है। इस अफरा-तफरी में मिद्यानियों को समझ नहीं आता कि दुश्मन कौन है और दोस्त कौन। मगर गिदोन के 300 आदमी अब भी अपनी-अपनी जगह पर खड़े हैं और देखते हैं कि परमेश्वर दुश्मनों को कैसे उलझन में डाल देता है, जिससे वे आपस में एक-दूसरे का घात कर देते हैं। बचे हुए मिद्यानी भागना शुरू करते हैं। मगर कुछ को बीच रास्ते में ही रोककर मार डाला जाता है। और बाकियों का गिदोन और उसके आदमी दूर-दूर तक पीछा करते हैं और एक-एक को मार गिराते हैं। इस तरह मिद्यानियों का खतरा हमेशा के लिए टल जाता है। आखिरकार, एक लंबे अरसे से चला आ रहा ज़ुल्मों का दौर खत्म हो जाता है!—न्यायियों 7:19–25; 8:10–12, 28.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক কিতাপৰ আলোকপাত
৬:২৫-২৭. বিৰোধীসকলক অকাৰণতে ক্ৰোধিত নকৰিবলৈ গিদিয়োনে সতৰ্কতা অৱলম্বন কৰিছিল। একেইদৰে আমি শুভবাৰ্ত্তা প্ৰচাৰ কৰাৰ সময়ত আনক অকাৰণতে অসন্তুষ্ট নকৰিবলৈ সতৰ্কতাৰে কথোপকথন হোৱা উচিত।
ডিচেম্বৰ ১৩-১৯
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক ৮-৯
“অহংকাৰ কৰাৰ পৰিৱৰ্তে নম্ৰ হওক”
w০০ ৮/১৫ ২৫ ¶৪
खटपट हो जाए तो क्या किया जाए?
मिद्यान से जंग करते वक्त गिदोन ने मदद के लिए एप्रैमियों को बुलाया। एप्रैमियों की मदद से गिदोन को फतेह हासिल हुई। लेकिन जंग खतम होने के बाद एप्रैमी गिदोन से बहुत गुस्सा हो गए और शिकायत करने लगे कि मिद्यानियों से लड़ने के लिए गिदोन ने उन्हें जंग से पहले क्यों नहीं बुलाया। बाइबल बताती है “वे गिदोन से झगड़ने लगे।” जवाब में गिदोन ने एप्रैमियों से कहा: “मैं कौन होता हूँ तुम्हारी बराबरी करनेवाला? हम अबीएजेर के आदमियों ने जो किया, उससे कहीं बढ़कर तुम एप्रैमियों ने किया। मिद्यानियों के हाकिम ओरेब और ज़ाएब को परमेश्वर ने तुम्हारे हवाले कर दिया। मैंने जो किया वह तुम्हारे मुकाबले कुछ भी नहीं।” (न्यायियों 8:1–3) सोच-समझकर बोलने से गिदोन ने एप्रैमियों के गुस्से को ठंडा किया जिससे एक घमासान युद्ध होने से बच गया। एप्रैमी लोग शायद घमण्डी थे या खुद को बहुत बड़ा सूरमा समझते थे। खैर वे जैसे भी थे, गिदोन शांति से खटपट या तकरार को रोकने में कामयाब रहा। क्या हम भी उसकी तरह कर सकते हैं?
w১৭.০১ ২০ ¶১৫
मर्यादा में रहना क्यों ज़रूरी है?
15 गिदोन ने मर्यादा में रहने की एक बढ़िया मिसाल रखी। जब यहोवा ने उसे यह काम सौंपा कि वह इसराएलियों को मिद्यानियों से बचाए तो गिदोन ने कहा, “मेरा कुल तो मनश्शे के गोत्र में सबसे छोटा है और मैं अपने पिता के पूरे घराने में एक मामूली इंसान हूँ।” (न्यायि. 6:15) लेकिन गिदोन ने यहोवा पर भरोसा रखा और यह काम कबूल किया। फिर गिदोन ने यह जानने की भी कोशिश की कि यहोवा उससे ठीक-ठीक क्या चाहता है और उसने मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की। (न्यायि. 6:36–40) गिदोन बहुत हिम्मतवाला था लेकिन वह बुद्धिमान भी था और सतर्क भी रहता था। (न्यायि. 6:11, 27) बाद में जब लोग चाहते थे कि वह उन पर राज करे तो उसने मना कर दिया। यहोवा ने उससे जो करने के लिए कहा था वह करने के बाद, वह वापस घर लौट गया।—न्यायि. 8:22, 23, 29.
w০৮ ২/১৫ ৯ ¶৯
यहोवा के मार्गों पर चलिए
9 परमेश्वर के मित्र बनने के लिए, हमें “नम्र” बनना होगा। (1 पत. 3:8; भज. 138:6) नम्रता का गुण क्यों ज़रूरी है, यह न्यायियों की किताब के अध्याय 9 में बताया गया है। वहाँ गिदोन के बेटे, योताम ने कहा: “किसी युग में वृक्ष किसी का अभिषेक करके अपने ऊपर राजा ठहराने को चले।” उन्होंने एक-एक करके जैतून के पेड़, अंजीर के पेड़ और दाखलता से पूछा कि क्या वे उन पर राज्य करेंगे। मगर उन तीनों ने साफ इनकार कर दिया। लेकिन जब उन्होंने झड़बेरी से पूछा, तो वह खुशी-खुशी राज़ी हो गयी। जैतून और अंजीर के पेड़, साथ ही दाखलता, उन काबिल पुरुषों को दर्शाते थे, जो अपने संगी इस्राएलियों पर हुकूमत करना नहीं चाहते थे। जबकि झड़बेरी, जो सिर्फ ईंधन के तौर पर काम आती है, मगरूर अबीमेलेक की हुकूमत को दर्शाती थी। अबीमेलेक एक हत्यारा था और दूसरों पर राज करने का उस पर जुनून सवार था। हालाँकि उसने “इस्राएल पर तीन वर्ष तक शासन किया” (NHT), मगर आखिर में वह बेवक्त मौत का शिकार हो गया। (न्यायि. 9:8–15, 22, 50–54) यह उदाहरण साफ दिखाता है कि “नम्र” बने रहना लाख गुना बेहतर है।
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it–১ ৭৫৩ ¶১
এফোদ, I
গিদিয়োনৰ এফোদ বনোৱাৰ উদ্দেশ্য ভুল নাছিল। যিহোৱাই ইস্ৰায়েলীসকলক যুদ্ধত জয় কৰাইছিল, তেওঁ এই কথাটো মনত থʼব বিচাৰিছিল, লগতে তেওঁ যিহোৱাৰ মহিমা কৰিব বিচাৰিছিল, সেইবাবে তেওঁ এফোদ বনাইছিল। কিন্তু এই এফোদ, “গিদিয়োন আৰু তেওৰ বংশলৈ ফান্দস্বৰূপ হল,” কিয়নো ইস্ৰায়েলীসকলে এফোদক পূজা কৰিবলৈ ধৰিলে। (বিচা ৮:২৭) কিন্তু গিদিয়োনেও সেই এফোদক পূজা কৰিছিল বুলি বাইবেলত কʼতো উল্লেখ নাই। বাইবেলত তেওঁক ঈশ্বৰৰ এজন বিশ্বাসী সেৱক বুলি কোৱা হৈছে। প্ৰাচীন সময়ৰ বিশ্বাসী লোকসকলৰ বিষয়ে কোৱাৰ সময়ত পাঁচনি পৌলে গিদিয়োনৰ বিষয়েও উল্লেখ কৰিছিল।—ইব্ৰী ১১:৩২; ১২:১.
ডিচেম্বৰ ২০-২৬
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক ১০-১২
“যিহোৱাৰ লগত যিপ্তহৰ মজবুত সম্পৰ্ক আছিল”
w১৬.০৪ ৭ ¶৯
विश्वास बनाए रहने से परमेश्वर की मंज़ूरी मिलती है
9 यिप्तह को शायद यूसुफ की मिसाल से मदद मिली होगी। उसने सीखा होगा कि कैसे यूसुफ ने अपने भाइयों पर दया की, जबकि वे उससे नफरत करते थे। (उत्प. 37:4; 45:4, 5) शायद यूसुफ के उदाहरण पर मनन करने से यिप्तह ऐसा व्यवहार कर पाया जिससे यहोवा खुश हुआ। यिप्तह के भाइयों ने उसके साथ जो किया उससे ज़रूर उसके दिल को चोट पहुँची होगी। पर उसके लिए अपनी भावनाओं से ज़्यादा यह मायने रखता था कि वह यहोवा के नाम और उसके लोगों की खातिर लड़े। (न्यायि. 11:9) उसने ठान लिया था कि वह यहोवा पर से अपना विश्वास उठने नहीं देगा। ऐसा रवैया होने की वजह से उसे और इसराएलियों को यहोवा से आशीषें मिलीं।—इब्रा. 11:32, 33.
it–২ ২৭ ¶২
यिप्तह
अम्मोनियों के राजा ने इसराएलियों पर दोष लगाया कि उन्होंने उनका इलाका छीन लिया है। (न्या 11:12, 13) तब यिप्तह ने उसे जो संदेश भिजवाया, उससे पता चलता है कि वह बस एक वीर योद्धा नहीं था, बल्कि उसे इसराएलियों के इतिहास के बारे में भी काफी जानकारी थी। उसे मालूम था कि बीते समय में यहोवा ने अपने लोगों के लिए क्या-क्या किया था। अम्मोनियों ने इसराएलियों पर जो इलज़ाम लगाया था, उसे झूठा साबित करने के लिए उसने तीन बातें कहीं: (1) मिस्र से आज़ाद होने पर इसराएलियों ने अम्मोन, मोआब और एदोम के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया था (न्या 11:14–18; व्य 2:9, 19, 37; 2इत 20:10, 11); (2) अम्मोनी जिस इलाके की बात कर रहे थे, वह उनका था ही नहीं। वह तो एमोरियों का था। यहोवा ने इसराएलियों को एमोरियों पर जीत दिलायी थी और उनके राजा और उसके पूरे इलाके को इसराएल के हाथ कर दिया था; (3) पिछले 300 सालों से इसराएली उस इलाके में बसे हुए हैं। इतने सालों में अम्मोनियों ने कभी उसे लेने की कोशिश नहीं की, तो अब वे किस अधिकार से उसे माँग रहे हैं?—न्या 11:19–27.
it–২ ২৭ ¶৩
यिप्तह
यिप्तह ने अम्मोनियों के राजा को बताया कि इसराएल देश का इलाका वह अम्मोनियों को क्यों नहीं दे सकते। उसने इसकी असली वजह बतायी। यह इलाका परमेश्वर यहोवा ने इसराएलियों को दिया क्योंकि वे उसकी उपासना करनेवाले लोग हैं। वे अम्मोनियों को इसका एक टुकड़ा भी नहीं दे सकते, क्योंकि वे झूठे देवता की उपासना करते हैं।—न्या 11:24; 1रा 11:1, 7, 8, 33; 2रा 23:13.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
it–২ ২৬
যিপ্তহ
যিপ্তহ অবৈধ সন্তান নাছিল। তেওঁৰ মাতৃ আগতে ‘এজনী বেশ্যা’ আছিল। কিন্তু যিপ্তহৰ পিতৃ গিলিয়দে কোনো বেশ্যাৰ লগত সম্পৰ্ক ৰখাৰ বাবে যিপ্তহৰ জন্ম হোৱা নাছিল। এইদৰে হোৱা হʼলে তেওঁ অবৈধ সন্তান হʼলেহেঁতেন। যিদৰে ৰাহাবে চলোমনৰ লগত বিয়া হোৱাৰ আগতে বেশ্যা আছিল। ঠিক সেইদৰে যিপ্তহৰ মাতৃয়েও বিয়া হোৱাৰ আগতে বেশ্যা আছিল। কিন্তু পাছত তাই গিলিয়দৰ লগত বিয়া হʼল। যিপ্তহৰ মাতৃ গিলিয়দৰ দ্বিতীয় পত্নী আছিল। (বিচা ১১:১; যিহো ২:১; মথি ১:৫) ইয়াৰ অৰ্থ হৈছিল যিপ্তহ অবৈধ সন্তান নাছিল। ইয়াৰ এটা প্ৰমাণ হৈছে যিপ্তহৰ সতীয়া ভাইসকলে (গিলিয়দৰ প্ৰথম পত্নীৰ লʼৰাসকলে) তেওঁক ঘৰৰপৰা খেদি দিছিল, যাতে তেওঁ পিতৃৰ উত্তৰাধিকাৰ নাপায়। তেওঁ অবৈধ সন্তান হোৱা হʼলে উত্তৰাধিকাৰ নাপালেহেঁতেন। (বিচা ১১:২) যিপ্তহ অবৈধ সন্তান নাছিল বুলি কোৱাৰ আন এটা কাৰণ হৈছে, তেওঁ আগলৈ গৈ গিলিয়দৰ লোকসকলৰ নেতৃত্ব লৈছিল। যিপ্তহৰ ভাইসকল বিখ্যাত মানুহ আছিল। যিপ্তহ অবৈধ সন্তান হোৱা হʼলে, তেওঁৰ ভাইসকলে কেতিয়াও তেওঁক নেতৃত্ব লʼবলৈ নিদিলেহেঁতেন। (বিচা ১১:১১) যিপ্তহ অবৈধ সন্তান নোহোৱাৰ তৃতীয় কাৰণ হৈছে, তেওঁ আবাসত ঈশ্বৰৰ উদ্দেশ্যে বলিদান দিছিল। তেওঁ অবৈধ সন্তান হোৱা হʼলে এইদৰে কৰিব নোৱাৰিলেহেঁতেন। কিয়নো মোচিৰ নিয়মৰ অনুসৰি “জহৰা মানুহ যিহোৱাৰ সমাজত নোসোমাব; তাৰ দহ পুৰুষলৈকে তাৰ কোনেও যিহোৱাৰ সমাজত সোমাব নোৱাৰিব।”—দ্বিতী ২৩:২.
ডিচেম্বৰ ২৭–জানুৱাৰী ২
ঈশ্বৰৰ বাক্যৰপৰা অমূল্য জ্ঞান| বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক ১৩-১৪
“মানোহ আৰু তেওঁৰ পত্নীৰপৰা পিতৃ-মাতৃসকলে কি শিকিব পাৰে”
w১৩ ৮/১৫ ১৬ ¶১
माता-पिताओ, अपने बच्चों को शिशुपन से तालीम दीजिए
ज़रा दानियों के कुल के मानोह पर गौर कीजिए, जो पुराने ज़माने के इसराएल में सोरा नाम के नगर में रहता था। मानोह की पत्नी का कोई बच्चा नहीं था, पर यहोवा के स्वर्गदूत ने मानोह की पत्नी को बताया कि वह एक पुत्र को जन्म देगी। (न्यायि. 13:2, 3) इसमें कोई शक नहीं कि यह खबर सुनकर वफादार मानोह और उसकी पत्नी खुशी से झूम उठे होंगे। लेकिन उन्हें कुछ चिंताएँ भी थीं। इसलिए मानोह ने प्रार्थना की: “हे प्रभु, बिनती सुन, परमेश्वर का वह जन जिसे तू ने भेजा था फिर हमारे पास आए, और हमें सिखलाए कि जो बालक उत्पन्न होनेवाला है उस से हम क्या-क्या करें।” (न्यायि. 13:8) मानोह और उसकी पत्नी को अपने होनेवाले बच्चे की परवरिश की चिंता थी। बेशक, उन्होंने अपने बेटे शिमशोन को, परमेश्वर का कानून सिखाया और उनकी मेहनत रंग लायी। बाइबल बताती है कि यहोवा की पवित्र शक्ति ने शिमशोन की मदद की, जिससे वह इसराएलियों के न्यायी के तौर पर बहुत-से शक्तिशाली काम कर पाया।—न्यायि. 13:25; 14:5, 6; 15:14, 15.
w০৫ ৩/১৫ ২৫-২৬
शिमशोन ने यहोवा की शक्ति से जीत पायी!
जैसे-जैसे शिमशोन बड़ा होता गया, “यहोवा की आशीष उसके साथ रही।” (न्यायियों 13:24) एक दिन शिमशोन ने अपने माता-पिता के पास आकर कहा: “तिमना में मैंने एक पलिश्ती लड़की देखी है। मैं चाहता हूँ कि तुम उससे मेरी शादी करवा दो।” (न्यायियों 14:2) सोचिए कि यह बात सुनकर उसके माता-पिता कितने चौंक गए होंगे! उनका बेटा उन ज़ालिमों के हाथों से इस्राएलियों को छुड़ाने के बजाय उनके साथ रिश्ता जोड़ना चाहता है। झूठे देवताओं को पूजनेवाली किसी औरत से शादी करना परमेश्वर के कानून के खिलाफ था। (निर्गमन 34:11–16) इसलिए उसके माता-पिता ने एतराज़ करते हुए कहा: “क्या तुझे हमारे रिश्तेदारों और हमारे लोगों में कोई लड़की नहीं मिली, जो तू खतनारहित पलिश्तियों की लड़की से शादी करना चाहता है?” लेकिन शिमशोन अपनी ज़िद पर अड़ा रहा: “मेरी शादी उसी से करवा दो, वही मेरे लिए सही रहेगी।”—न्यायियों 14:3.
আধ্যাত্মিক ৰত্ন বিচাৰক
w০৫ ৩/১৫ ২৬ ¶১
চিমচোনে যিহোৱাৰ শক্তিৰে জয়লাভ কৰিলে!
চিমচোনৰ দৃষ্টিত পলেষ্টীয়া ছোৱালীজনী কি অৰ্থত “মনোহৰী” আছিল? মেল্কিটং আৰু স্ট্ৰংগৰ চাইক্লʼপিডিয়াৰ অনুসৰি তাই দেখিবলৈ “ধুনীয়া আৰু আকৰ্ষণীয় আছিল, এনে নহয়। ইয়াৰ পৰিৱৰ্তে তাই এটা বিশেষ উদ্দেশ্য পূৰ কৰাত” মনোহৰী বা ভাল আছিল। সেই উদ্দেশ্য কি আছিল? বিচাৰকৰ্ত্তাবিলাক ১৪:৪ পদত কোৱা হৈছে যে চিমচোনে “পলেষ্টীয়াবিলাকৰ বিৰুদ্ধে ছিদ্ৰ বিচাৰিছিল” অৰ্থাৎ পলিষ্টিয়াবিলাকৰ বিৰুদ্ধে পদক্ষেপ লʼবলৈ ৰাস্তা বিচাৰিছল। এই উদ্দেশ্যৰ বাবে তেওঁ সেই ছোৱালীজনীক নিজৰ পত্নী বনাব বিচাৰিছিল। আচলতে যেতিয়া চিমচোন সৰু আছিল, তেতিয়াৰেপৰা ‘যিহোৱাৰ আত্মাই চিমচোনক চলাবলৈ ধৰিলে।’ অৰ্থাৎ তেওঁ কাম কৰিবলৈ উদ্যমী হৈ পৰিল। (বিচা ১৩:২৫) গতিকে এয়া কোৱাটো সঠিক হʼব যে যিহোৱাৰ আত্মাৰ দ্বাৰাই অনুপ্ৰাণিত হৈ চিমচোনে সেই ছোৱালীজনীক বিয়া কৰিব বিচাৰিছিল আৰু তেওঁ গোটেই জীৱন ইস্ৰায়েলৰ বিচাৰকৰ্তা হোৱাৰ দায়িত্ব পালন কৰিছিল। চিমচোনে বিচাৰা সেই সুযোগটো তেওঁ পালেনে? এই প্ৰশ্নৰ উত্তৰ জনাৰ আগতে আহক আমি চাওঁ যে যিহোৱা তেওঁৰ লগত আছে বুলি তেওঁ চিমচোনক কেনেকৈ আশ্বাস দিলে।