Vòchtavör ÒNLĀIN LAËPRËRĪ
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ÒNLĀIN LAËPRËRĪ
Nicobarese
  • PAIPÖL
  • LĪPÖRE
  • MINË MĪTING
  • lfb Lesön 28 p. 70-p. 71 par. 1
  • Ṙò-òvö Ngam Köttö Pēlām

Öt ōt vitiō nö in ngih katöllö meh pāt.

Aṙēlen hī, öt taōnlōtngöre ön ngam vitiō.

  • Ṙò-òvö Ngam Köttö Pēlām
  • Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
lfb Lesön 28 p. 70-p. 71 par. 1
बिलाम की गधी रास्ते में स्वर्गदूत को देखकर नीचे बैठ जाती है

Lesön 28

Ṙò-òvö Ngam Köttö Pēlām

इसराएलियों को वीराने में रहे करीब 40 साल हो गए। उन्होंने कई ताकतवर शहरों को हरा दिया। अब उन्होंने यरदन नदी के पूरब में मोआब के मैदानों में तंबू खड़े किए। कुछ ही समय के अंदर वे वादा किए गए देश में जाते। मोआब के राजा बालाक को डर था कि इसराएली उसका देश छीन लेंगे। इसलिए उसने बिलाम नाम के आदमी को मोआब बुलाया ताकि वह इसराएलियों को शाप दे।

मगर यहोवा ने बिलाम से कहा, ‘तू इसराएलियों को शाप मत देना।’ इसलिए बिलाम ने मोआब जाने से इनकार कर दिया। राजा बालाक ने एक और बार बिलाम को बुलाया और उससे वादा किया कि वह जो माँगेगा वह उसे देगा। फिर भी बिलाम ने इनकार कर दिया। तब परमेश्‍वर ने बिलाम से कहा, ‘तू मोआब जा सकता है, मगर तू वही कहेगा जो मैं तुझे बताऊँगा।’

बिलाम अपनी गधी पर चढ़कर दक्षिण की तरफ मोआब जाने लगा। उसने इसराएलियों को शाप देने की सोची, जबकि यहोवा ने उससे कहा था कि वह ऐसा न करे। तब तीन बार यहोवा का स्वर्गदूत उसे रोकने के लिए रास्ते में खड़ा हो गया। बिलाम उसे नहीं देख पाया, मगर उसकी गधी ने उसे देख लिया। पहली बार जब गधी ने स्वर्गदूत को देखा तो वह रास्ते से हटकर एक खेत में चली गयी। दूसरी बार वह एक पत्थर की दीवार से ऐसे सट गयी कि बिलाम का पैर दीवार से दबने लगा। तीसरी बार वह रास्ते के बीच बैठ गयी। तीनों बार बिलाम ने गधी को लाठी से पीटा।

तीसरी बार जब उसने गधी को मारा तो यहोवा ने ऐसा किया कि गधी बात करने लगी। गधी ने बिलाम से पूछा, ‘तू मुझे क्यों मार रहा है?’ बिलाम ने कहा, “तूने मेरा मज़ाक बनाया है। अगर मेरे पास तलवार होती तो मैं तुझे मार ही डालता!” गधी ने कहा, ‘मैं कितने साल से तुझे अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाती रही। क्या इससे पहले कभी मैंने ऐसा किया है?’

तब यहोवा ने ऐसा किया कि बिलाम ने स्वर्गदूत को देखा। स्वर्गदूत ने उससे कहा, ‘यहोवा ने तुझसे कहा था कि तू इसराएल को शाप मत देना।’ बिलाम ने कहा, ‘मुझसे गलती हो गयी। मैं घर लौट जाऊँगा।’ मगर स्वर्गदूत ने कहा, ‘तू मोआब जा सकता है, मगर तू वही कहेगा जो यहोवा तुझे बताएगा।’

क्या बिलाम ने सबक सीखा? नहीं। इसके बाद भी उसने तीन बार इसराएल को शाप देने की कोशिश की। मगर तीनों बार यहोवा ने उसके मुँह से इसराएलियों को आशीर्वाद दिलवाया। आखिरकार, इसराएलियों ने मोआब पर हमला कर दिया और बिलाम मारा गया। अगर बिलाम पहले ही यहोवा की बात मान लेता तो क्या उसके साथ ऐसा होता?

“हर तरह के लालच से खुद को बचाए रखो, क्योंकि चाहे इंसान के पास बहुत कुछ हो, तो भी उसकी दौलत उसे ज़िंदगी नहीं दे सकती।”—लूका 12:15

Intöönö: Kūö yòh ök Pēlām nö chuh Mō-ap? Asuh ök inlahen el talöökö ò nö chuh in e?

Kinṙeūkö 22:1–24:25; 31:8; Nahimiā 13:2; 2 Pītör 2:15, 16; Yūt 11

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