Lesön 58
Ngam inhetngö Yērūsalëm
यहूदा के लोग बार-बार यहोवा को छोड़कर झूठे देवताओं को पूजते थे। कई सालों तक यहोवा ने उनकी मदद करने की कोशिश की। उसने उन्हें खबरदार करने के लिए कई भविष्यवक्ता भेजे, मगर उन्होंने उनकी बात नहीं सुनी। इसके बजाय उन्होंने भविष्यवक्ताओं का मज़ाक उड़ाया। यहोवा ने उनकी मूर्तिपूजा का अंत कैसे किया?
बैबिलोन का राजा नबूकदनेस्सर एक-एक करके कई देशों पर कब्ज़ा कर रहा था। जब उसने पहली बार यरूशलेम पर कब्ज़ा किया तो उसने राजा यहोयाकीन, उसके हाकिमों, सैनिकों और कारीगरों को बंदी बना लिया और वह उन सबको बैबिलोन ले गया। वह यहोवा के मंदिर का सारा खज़ाना भी ले गया। इसके बाद उसने सिदकियाह को यहूदा का राजा बनाया।
सिदकियाह ने शुरू में नबूकदनेस्सर की बात मानी। मगर बाद में आस-पास के देशों और झूठे भविष्यवक्ताओं ने उससे कहा कि वह बैबिलोन से बगावत करे। यिर्मयाह ने सिदकियाह से कहा, ‘अगर तू बगावत करेगा तो यहूदा में खून-खराबा होगा, खाने की कमी होगी और बीमारी फैलेगी।’
सिदकियाह ने आठ साल तक राज करने के बाद बैबिलोन से बगावत करने का फैसला किया। उसने मिस्री सेना से मदद माँगी। तब नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम पर हमला करने के लिए अपने सैनिक भेजे और उन्होंने शहर को घेर लिया। यिर्मयाह ने सिदकियाह से कहा, ‘यहोवा ने कहा है कि तू बैबिलोन के आगे हार मान ले। तब तू और यह शहर, दोनों बच जाएँगे। लेकिन अगर तू ऐसा नहीं करेगा तो बैबिलोन के लोग यरूशलेम को जला देंगे और तुझे बंदी बनाकर ले जाएँगे।’ सिदकियाह ने कहा, ‘मैं हार नहीं मानूँगा!’
डेढ़ साल बाद बैबिलोन के सैनिक यरूशलेम की दीवारें तोड़कर शहर में घुस गए और उन्होंने उसमें आग लगा दी। उन्होंने मंदिर को जलाकर राख कर दिया, बहुत-से लोगों को मार डाला और वे हज़ारों लोगों को बंदी बनाकर ले गए।
सिदकियाह यरूशलेम से भाग गया, मगर बैबिलोन के सैनिकों ने उसका पीछा किया। उन्होंने यरीहो के पास उसे पकड़ लिया और बैबिलोन के राजा नबूकदनेस्सर के पास ले गए। नबूकदनेस्सर ने सिदकियाह की आँखों के सामने उसके बेटों को मार डाला। फिर उसने सिदकियाह को अंधा कर दिया और उसे जेल में डाल दिया। बाद में वह वहाँ मर गया। मगर यहोवा ने यहूदा के लोगों से वादा किया, ‘मैं 70 साल बाद तुम्हें वापस यरूशलेम ले आऊँगा।’
उन जवानों का क्या हुआ जिन्हें पकड़कर बैबिलोन जे जाया गया था? क्या वे यहोवा के वफादार रहे?
“हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा, तेरे फैसले वाकई नेक और सच्चे हैं।”—प्रकाशितवाक्य 16:7