Lesön 32
Minā Tö Nëttak Yöngnyīö Töt Pa-ekūö hēk Töm Yöngṙen
यहोशू ने कई सालों तक यहोवा के लोगों की अगुवाई की थी। फिर 110 साल की उम्र में उसकी मौत हो गयी। जब तक वह ज़िंदा था इसराएली यहोवा की उपासना करते थे। मगर उसकी मौत के बाद वे कनानियों की तरह मूर्तियों की पूजा करने लगे। इसराएलियों ने यहोवा की बात माननी छोड़ दी। इसलिए जब कनान के एक राजा याबीन ने उनका जीना मुश्किल कर दिया तो यहोवा ने उसे नहीं रोका। तब लोगों ने मदद के लिए यहोवा से बहुत बिनती की। यहोवा ने उन्हें एक नया अगुवा दिया जिसका नाम बाराक था। बाराक ने लोगों को यहोवा के पास लौट आने में मदद दी।
दबोरा नाम की एक भविष्यवक्तिन ने बाराक को बुलवाया। उसने बाराक को यहोवा का यह संदेश दिया, ‘अपने साथ 10,000 आदमियों को लेकर कीशोन नदी के पास जा और वहाँ याबीन की सेना से लड़। वहाँ तू याबीन के सेनापति सीसरा को हरा देगा।’ बाराक ने दबोरा से कहा, “मैं वहाँ तभी जाऊँगा जब तू मेरे साथ चलेगी।” दबोरा ने कहा, ‘मैं तेरे साथ चलूँगी। मगर यह जान ले कि सीसरा तेरे हाथों नहीं मरेगा। यहोवा ने कहा है कि एक औरत उसे मार डालेगी।’
दबोरा, बाराक और उसकी सेना के साथ ताबोर पहाड़ पर गयी ताकि युद्ध की तैयारी कर सके। जैसे ही सीसरा को यह खबर मिली, उसने अपने युद्ध-रथों और सेना को नीचे घाटी में इकट्ठा किया। दबोरा ने बाराक से कहा, ‘आज यहोवा तुझे जीत दिलाएगा।’ बाराक और उसके 10,000 आदमी पहाड़ से नीचे उतरे ताकि सीसरा की बड़ी सेना से लड़ सकें।
फिर यहोवा ने कीशोन नदी में बाढ़ ला दी। सीसरा के युद्ध-रथ कीचड़ में धँस गए। सीसरा अपना रथ छोड़कर भागने लगा। बाराक और उसके सैनिकों ने सीसरा की सेना को हरा दिया, मगर सीसरा बचकर भाग गया! वह जाकर याएल नाम की एक औरत के तंबू में छिप गया। याएल ने उसे पीने के लिए दूध दिया और उसे कंबल ओढ़ा दिया। सीसरा बहुत थका हुआ था, इसलिए वह सो गया। फिर याएल चुपके से उसके पास गयी और उसने तंबू लगाने की एक कील उसके सिर में ठोंक दी। तब वह मर गया।
बाराक, सीसरा को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते तंबू के पास आया। याएल ने तंबू से बाहर निकलकर कहा, “मेरे साथ अंदर आ। जिस आदमी को तू ढूँढ़ रहा है वह यहाँ है।” जब बाराक अंदर गया तो उसने देखा कि सीसरा मरा पड़ा है। बाराक और दबोरा ने यहोवा की तारीफ में एक गीत गाया क्योंकि उसने इसराएलियों को दुश्मनों पर जीत दिलायी। अगले 40 सालों तक इसराएल देश में शांति रही।
“खुशखबरी सुनानेवाली औरतों की एक बड़ी सेना है।”—भजन 68:11