Vòchtavör ÒNLĀIN LAËPRËRĪ
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ÒNLĀIN LAËPRËRĪ
Nicobarese
  • PAIPÖL
  • LĪPÖRE
  • MINË MĪTING
  • lfb Lesön 79 p. 186-p. 187 par. 2
  • Pōyen nuk Pinngangkūö La-en Yēsū

Öt ōt vitiō nö in ngih katöllö meh pāt.

Aṙēlen hī, öt taōnlōtngöre ön ngam vitiō.

  • Pōyen nuk Pinngangkūö La-en Yēsū
  • Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
lfb Lesön 79 p. 186-p. 187 par. 2
बीमार लोग ठीक होने के लिए यीशु के पास आ रहे हैं

Lesön 79

Pōyen nuk Pinngangkūö La-en Yēsū

यीशु, परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी सुनाने धरती पर आया था। यहोवा ने उसे पवित्र शक्‍ति दी ताकि वह बहुत-से चमत्कार करे और इस तरह दिखाए कि राजा बनने के बाद वह क्या-क्या करेगा। वह हर तरह की बीमारी दूर कर सकता था। वह जहाँ भी जाता बीमार लोग उसके पास आते थे और वह उन सबको ठीक करता था। अंधे लोग देखने लगे, बहरे सुनने लगे और जो बिस्तर से उठ नहीं सकते थे वे चलने लगे। यीशु ने लोगों में समाए दुष्ट स्वर्गदूतों को निकाला। लोग जब यीशु के कपड़े के बस छोर को छूते तो भी उनकी बीमारी ठीक हो जाती थी। यीशु जहाँ कहीं जाता लोग उसके पीछे-पीछे जाते थे। जब वह कहीं अकेला रहना चाहता था तब भी अगर लोग उसके पास आते तो वह उन्हें जाने के लिए नहीं कहता था।

एक बार जब यीशु एक घर में रुका था तो कुछ लोग उसके पास एक ऐसे आदमी को लाना चाहते थे जो बिस्तर से नहीं उठ सकता था। मगर घर में इतनी भीड़ थी कि वे अंदर नहीं जा पाए। इसलिए उन्होंने छत में एक छेद कर दी और उस आदमी को नीचे यीशु के पास उतार दिया। यीशु ने उस आदमी से कहा, ‘उठ और चल।’ जब वह उठकर चलने लगा तो लोग हैरान रह गए।

एक और बार जब यीशु एक गाँव के अंदर जा रहा था तो दूर में 10 आदमी खड़े थे जिन्हें कोढ़ की बीमारी थी। उन्होंने चिल्लाकर कहा, ‘यीशु, हमारी मदद कर!’ उन दिनों, कोढ़ियों को दूसरे लोगों के पास नहीं जाने दिया जाता था। यीशु ने उन आदमियों से कहा कि वे मंदिर जाएँ, क्योंकि यहोवा के कानून में लिखा था कि जब कोई कोढ़ी ठीक हो जाता है तो उसे मंदिर जाना चाहिए। जब वे वहाँ जा रहे थे तो रास्ते में ठीक हो गए। उनमें से एक कोढ़ी ने जब देखा कि वह ठीक हो गया है तो वह वापस यीशु के पास आया। उसने यीशु को शुक्रिया कहा और परमेश्‍वर की महिमा की। उन 10 आदमियों में से सिर्फ एक ने यीशु को शुक्रिया कहा।

एक औरत 12 साल से बीमार थी और वह किसी तरह ठीक होना चाहती थी। वह एक भीड़ में यीशु के पीछे से आयी और उसके कपड़े का छोर छुआ। उसे छूते ही वह ठीक हो गयी। तब यीशु ने पूछा, “किसने मुझे छुआ?” वह औरत डर गयी, फिर भी उसने सामने आकर सच बता दिया। यीशु ने यह कहकर उसका डर दूर किया, ‘बेटी, जा और चिंता मत कर।’

याइर नाम के एक अधिकारी ने यीशु से बिनती की, ‘मेरे घर आ! मेरी बच्ची बहुत बीमार है।’ मगर यीशु के वहाँ पहुँचने से पहले ही वह लड़की मर गयी। जब यीशु वहाँ पहुँचा तो उसने देखा कि बहुत-से लोग उस परिवार के साथ दुख मनाने आए थे। यीशु ने उनसे कहा, ‘मत रो, बच्ची बस सो रही है।’ फिर उसने लड़की का हाथ पकड़कर कहा, “बच्ची, उठ!” लड़की फौरन उठ गयी। यीशु ने उसके माता-पिता से कहा कि वे उसे कुछ खाने को दें। ज़रा सोचिए, उस बच्ची के माता-पिता कितने खुश हुए होंगे!

यीशु याइर की बेटी को ज़िंदा करता है

“परमेश्‍वर ने . . . पवित्र शक्‍ति से उसका अभिषेक किया और उसे ताकत दी और वह पूरे देश में भलाई करता रहा और शैतान के सताए हुओं को ठीक करता रहा, क्योंकि परमेश्‍वर उसके साथ था।”—प्रेषितों 10:38

Intöönö: Kūö yòh ang Yēsū nö heuveū-en nö halānken nup taṙòkhöre invah yik tarik? Asuh ök inlahngen ök kūön Yāirös?

Mëtiv 9:18-26; 14:36; Mākös 2:1-12; 5:21-43; 6:55, 56; Lūkös 6:19; 8:41-56; 17:11-19

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