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  • Achīö ök Yōp?
    Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
    • अय्यूब के पूरे शरीर पर फोड़े हैं और उसे देखने तीन आदमी आए हैं

      Lesön 16

      Achīö ök Yōp?

      ऊज़ देश में अय्यूब नाम का एक आदमी रहता था जो यहोवा की उपासना करता था। वह बहुत अमीर था और उसका एक बड़ा परिवार था। वह एक अच्छा आदमी था जो गरीबों की और ऐसी औरतों की भी मदद करता था जिनके पति की मौत हो चुकी थी। वह ऐसे बच्चों की भी मदद करता था जिनके माँ-बाप नहीं रहे। वह हमेशा सही काम करता था। तो क्या इस वजह से उस पर कभी कोई तकलीफ नहीं आयी?

      शैतान

      शैतान, अय्यूब को देख रहा था और यह बात अय्यूब नहीं जानता था। यहोवा ने शैतान से कहा, ‘क्या तूने मेरे सेवक अय्यूब पर ध्यान दिया? उसके जैसा धरती पर कोई नहीं है। वह मेरी बात मानता है और सही काम करता है।’ शैतान ने कहा, ‘अय्यूब तेरी बात क्यों नहीं मानेगा? तू तो हमेशा उसे बचाता है और आशीष देता है। तूने उसे ज़मीन और बहुत-से जानवर दिए हैं। उससे वह सब ले ले और फिर देखना, वह तेरी उपासना करना छोड़ देगा।’ यहोवा ने कहा, ‘तू चाहे तो अय्यूब की परीक्षा ले सकता है, मगर उसकी जान मत लेना।’ यहोवा ने शैतान को अय्यूब की परीक्षा लेने क्यों दी? क्योंकि उसे पूरा भरोसा था कि अय्यूब उसकी उपासना करना कभी नहीं छोड़ेगा।

      शैतान, अय्यूब की परीक्षा लेने के लिए उस पर कई तकलीफें ले आया। सबसे पहले उसने सबाई लोगों को भेजा जो अय्यूब के गाय-बैलों और गधों को चुराकर ले गए। फिर अय्यूब की भेड़ों पर आग बरसी और वे सब मर गयीं। इसके बाद कसदी लोग आकर उसके ऊँटों को चुराकर ले गए। इन जानवरों की देखभाल करनेवाले सेवकों को भी मार डाला गया। इसके बाद अय्यूब पर सबसे बड़ी मुसीबत आयी। उसके सभी बच्चे जिस घर में खाना खा रहे थे वह उन पर गिर पड़ा और वे मर गए। अय्यूब बहुत दुखी हो गया, फिर भी उसने यहोवा की उपासना करना नहीं छोड़ा।

      शैतान अय्यूब को और भी दुख देना चाहता था, इसलिए उसने ऐसा किया कि अय्यूब के पूरे शरीर पर फोड़े निकल आए। उसे बहुत दर्द सहना पड़ा। वह नहीं जानता था कि उसके साथ यह सब क्यों हो रहा है। फिर भी वह यहोवा की उपासना करता रहा। यह देखकर परमेश्‍वर अय्यूब से बहुत खुश हुआ।

      इसके बाद शैतान ने अय्यूब की परीक्षा लेने के लिए उसके पास तीन आदमी भेजे। उन्होंने उससे कहा, ‘तूने ज़रूर चोरी-छिपे कोई पाप किया होगा, इसलिए परमेश्‍वर तुझे सज़ा दे रहा है।’ अय्यूब ने कहा, ‘मैंने कोई गलत काम नहीं किया है।’ मगर फिर वह सोचने लगा कि यहोवा उसे तकलीफें दे रहा है और उसने कहा कि परमेश्‍वर उसके साथ बुरा कर रहा है।

      एलीहू नाम का एक जवान आदमी चुपचाप उनकी बात सुन रहा था। फिर उसने कहा, ‘तुम सबने जो कहा वह गलत है। यहोवा बहुत महान है। वह कभी कोई बुरा काम नहीं कर सकता। वह सबकुछ देखता है और लोगों को तकलीफें सहने में मदद देता है।’

      अय्यूब और उसकी पत्नी और उनके पास एक छोटा बच्चा है

      फिर यहोवा ने अय्यूब से बात की। उसने कहा, ‘जब मैंने आकाश और धरती बनायी तो तू कहाँ था? तू क्यों कहता है कि मैंने तेरे साथ बुरा किया है? तू नहीं जानता कि यह सब क्यों हो रहा है, फिर भी तू बोलता है।’ तब अय्यूब ने कहा, ‘मैंने जो कहा वह गलत है। मैंने तेरे बारे में सुना था, मगर अब मैंने तुझे सचमुच जाना है। तू जो चाहे वह कर सकता है। मैंने जो कहा उसके लिए मुझे माफ कर दे।’

      जब अय्यूब की परीक्षा खत्म हुई तो यहोवा ने उसकी बीमारी ठीक कर दी और उसके पास पहले जो था उससे कहीं ज़्यादा उसे दिया। अय्यूब बहुत साल जीया और उसे ज़िंदगी में बहुत खुशियाँ मिलीं। उसने मुश्‍किल वक्‍त में भी यहोवा की बात मानी, इसलिए यहोवा ने उसे आशीष दी। क्या आप भी अय्यूब की तरह यहोवा की उपासना करते रहेंगे, फिर चाहे कोई भी तकलीफ आए?

      “तुमने सुना है कि अय्यूब ने कैसे धीरज धरा था और यहोवा ने उसे क्या इनाम दिया था।”—याकूब 5:11

      Intöönö: Sitih inlahen tī ang ngam Satān nö kalaha Yōp? Asuh nuk inkòlô Yōp kahëtö Yāvē?

      Yōp 1:1–3:26; 4:7; 32:1-5; 34:5, 21; 35:2; 36:15, 26; 38:1-7; 40:8; 42:1-17

  • Katöllö Ngam Lōnre ang Môsös nö Ha-öinyö Yāvē
    Haköplö Hī Töpōiṙāi Aṅmat ngam Paipöl
    • फिरौन की बेटी को नन्हा मूसा मिलता है और मिरयम पास खड़ी देख रही है

      Lesön 17

      Katöllö Ngam Lōnre ang Môsös nö Ha-öinyö Yāvē

      मिस्र में याकूब के परिवार को इसराएली कहा जाता था। याकूब और यूसुफ की मौत के बाद एक नया फिरौन राज करने लगा। उसे डर था कि इसराएली, मिस्र के लोगों से ज़्यादा ताकतवर हो जाएँगे। इसलिए उसने उन्हें गुलाम बना लिया। वह उनसे ज़बरदस्ती ईंटें बनवाता और खेतों में खूब मज़दूरी करवाता था। मिस्रियों ने इसराएलियों को बहुत सताया, फिर भी इसराएलियों की गिनती बढ़ती गयी। फिरौन को यह अच्छा नहीं लगा, इसलिए उसने हुक्म दिया कि अब से इसराएलियों के जो भी लड़के बच्चे होंगे उन्हें मार डाला जाए। क्या आप सोच सकते हैं, यह सुनकर इसराएली कितने डर गए होंगे?

      योकेबेद नाम की एक इसराएली औरत का एक बेटा हुआ जो बहुत सुंदर था। उसने बच्चे को बचाने के लिए उसे एक टोकरी में रखा और टोकरी नील नदी के नरकटों यानी लंबी-लंबी घास के बीच छिपा दी। बच्चे की बहन मिरयम यह देखने के लिए पास खड़ी रही कि बच्चे के साथ क्या होगा।

      फिरौन की बेटी नदी में नहाने आयी और उसने टोकरी देखी। उसने टोकरी में देखा कि एक बच्चा रो रहा है। उसे बच्चे पर दया आयी। मिरयम ने उससे पूछा, ‘क्या मैं जाकर किसी औरत को बुला लाऊँ ताकि वह इस बच्चे को दूध पिलाए और इसकी देखभाल करे?’ फिरौन की बेटी ने ‘हाँ’ कहा और मिरयम जाकर अपनी माँ योकेबेद को बुला लायी। फिरौन की बेटी ने योकेबेद से कहा, ‘इस बच्चे को ले जा और दूध पिलाकर इसकी देखभाल कर। मैं तुझे इसकी मज़दूरी दूँगी।’

      मूसा भाग रहा है

      जब बच्चा बड़ा हुआ तो योकेबेद उसे फिरौन की बेटी के पास ले गयी। फिरौन की बेटी ने उसका नाम मूसा रखा और उसे अपने बेटे की तरह पाला। मूसा राजकुमार की तरह बड़ा हुआ और वह जो चाहे पा सकता था। मगर वह यहोवा को कभी नहीं भूला। वह जानता था कि वह एक मिस्री नहीं बल्कि इसराएली है। उसने यहोवा की सेवा करने का फैसला किया।

      जब मूसा 40 साल का हुआ तो उसने सोचा कि वह अपने लोगों की मदद करेगा। जब उसने देखा कि एक मिस्री आदमी एक इसराएली गुलाम को मार रहा है, तो उसने उस मिस्री आदमी को इतनी ज़ोर से मारा कि वह मर गया। मूसा ने उसकी लाश बालू में छिपा दी। जब फिरौन को पता चला तो उसने मूसा को मार डालने की कोशिश की। मगर मूसा भाग गया और मिद्यान देश चला गया। वहाँ यहोवा ने उसकी देखभाल की।

      “विश्‍वास ही से मूसा ने . . . फिरौन की बेटी का बेटा कहलाने से इनकार कर दिया। और . . . परमेश्‍वर के लोगों के साथ दुख भोगने का चुनाव किया।”—इब्रानियों 11:24, 25

      Intöönö: Asuh nuk inlanken yik tarik aṅ Israel nö i Aikup? Kūö yòh ök Môsös nö falngöre nö ṙā-ang Aikup?

      Ranehlö 49:33; Maneutnyi 1:1-14, 22; 2:1-15; Inlahen 7:17-29; Heprāi 11:23-27

Ṙô Tarik Līpöre (2014-2025)
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