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1 कुरिंथियों 4:1

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2012, पेज 11-12

    8/1/2000, पेज 14-15

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    प्रहरीदुर्ग,

    12/15/2012, पेज 12-13

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    प्रहरीदुर्ग, 2/15/1996, पेज 30

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2008, पेज 7

    2/1/1991, पेज 18-19

1 कुरिंथियों 4:8

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    प्रहरीदुर्ग,

    1/15/2008, पेज 22

    1/1/1994, पेज 29-30

1 कुरिंथियों 4:9

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    प्रहरीदुर्ग,

    5/15/2009, पेज 24

    9/1/1990, पेज 28

    राज-सेवा,

    8/2001, पेज 1

    सजग होइए!,

    9/8/1998, पेज 24

1 कुरिंथियों 4:15

फुटनोट

  • *

    1कुरिं 4:15 शाब्दिक, “संरक्षक,” जिस पर बच्चों की देखरेख और हिफाज़त की ज़िम्मेदारी होती थी।

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    प्रहरीदुर्ग,

    8/1/1993, पेज 14

1 कुरिंथियों 4:17

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    4/2018, पेज 14

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    1/2017, पेज 30-31

    प्रहरीदुर्ग,

    9/1/1988, पेज 26

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
1 कुरिंथियों 4:1-21

1 कुरिंथियों

4 लोग हमें मसीह के अधीन काम करनेवाले सेवक और ऐसे प्रबंधक समझें जिन्हें परमेश्‍वर के पवित्र रहस्य सौंपे गए हैं। 2 और एक प्रबंधक में यह देखा जाता है कि वह विश्‍वासयोग्य पाया जाए। 3 मेरे लिए यह बात कोई खास मायने नहीं रखती कि तुम या कोई इंसानी अदालत मेरी जाँच-पड़ताल करे। यहाँ तक कि मैं खुद अपनी जाँच-पड़ताल नहीं करता। 4 मुझे खुद में कोई बुराई नज़र नहीं आती। फिर भी इस बात से मैं नेक साबित नहीं होता, लेकिन जो मेरी जाँच-पड़ताल करता है वह यहोवा है। 5 इसलिए तय वक्‍त से पहले किसी बात का न्याय न करो, जब तक कि प्रभु नहीं आता। वही अंधकार में छिपी हुई बातों को रौशनी में लाएगा और दिलों के खयालों को ज़ाहिर कर देगा, और तब हर कोई अपने लिए परमेश्‍वर से तारीफ पाएगा।

6 भाइयो, मैंने तुम्हारे फायदे के लिए खुद को और अप्पुलोस को मिसाल बनाकर ये बातें कही हैं जिससे तुम हमारी मिसाल से यह नियम सीख सको: “जो लिखा है उससे आगे न जाना,” ताकि तुम एक के खिलाफ दूसरे का पक्ष लेते हुए घमंड से फूल न जाओ। 7 कौन-सी ऐसी बात है जो तुझे दूसरे से अलग दिखाती है? दरअसल, तेरे पास ऐसा क्या है जो तू ने पाया न हो? तो अगर तू ने इसे पाया है, तो तू इस तरह शेखी क्यों मारता है मानो तू ने नहीं पाया?

8 क्या तुम लोग पहले ही भरे-पूरे हो चुके हो? क्या तुम पहले ही दौलतमंद हो चुके हो? क्या तुमने हमारे बिना ही राज करना शुरू कर दिया है? वाकई मेरी यही ख्वाहिश है कि तुमने सचमुच राजाओं की हैसियत से राज करना शुरू कर दिया होता, ताकि हम भी तुम्हारे साथ राजाओं की हैसियत से राज कर सकते। 9 मुझे ऐसा लगता है कि परमेश्‍वर ने हम प्रेषितों को, उन आदमियों की तरह जो मौत के लिए ठहराए गए हैं, सबसे आखिर में नुमाइश में लाने के लिए रखा है, क्योंकि हम दुनिया के लिए और स्वर्गदूतों के लिए और इंसानों के लिए तमाशा बन चुके हैं। 10 हमें मसीह की खातिर मूर्ख समझा जाता है, मगर तुम खुद को मसीह में सूझ-बूझवाले समझते हो। हम कमज़ोर हैं, मगर तुम तो बलवान हो। तुम तो बड़े इज़्ज़तदार हो, मगर हमारी कोई इज़्ज़त नहीं। 11 आज के दिन तक हम भूखे-प्यासे और फटेहाल हैं, मार खाते फिरते हैं और बेघर हैं 12 और अपने ही हाथों से घोर परिश्रम करते हैं। लोग गाली-गलौज करते हैं, मगर हम आशीष का कारण बनते हैं। वे ज़ुल्म करते हैं, हम सह लेते हैं। 13 बदनाम किए जाने पर हम गुज़ारिश करते हैं। आज तक हमें दुनिया का कचरा और सब चीज़ों का कूड़ा-करकट समझा जाता है।

14 मैं तुम्हें शर्मिंदा करने के लिए ये बातें नहीं लिख रहा, बल्कि अपने प्यारे बच्चे समझकर तुम्हें समझा रहा हूँ। 15 इसलिए कि मसीह में चाहे तुम्हारे सिखानेवाले* दस हज़ार हों, तो भी तुम्हारे पिता बहुत नहीं हैं। क्योंकि खुशखबरी के ज़रिए मसीह यीशु में, मैं तुम्हारा पिता बना हूँ। 16 इसलिए मैं तुम से गुज़ारिश करता हूँ कि मेरी मिसाल पर चलो। 17 इसी वजह से मैं तुम्हारे पास तीमुथियुस को भेज रहा हूँ जो प्रभु में मेरा प्यारा और विश्‍वासयोग्य बच्चा है। वह मसीह की सेवा से जुड़े मेरे तौर-तरीके तुम्हारे मन में फिर से बिठाएगा, जिन तरीकों से मैं जगह-जगह हर मंडली में सिखा रहा हूँ।

18 कुछ तो इस तरह घमंड से फूल गए हैं मानो मैं वापस तुम्हारे पास आनेवाला ही नहीं। 19 लेकिन अगर यहोवा की मरज़ी हुई, तो मैं बहुत जल्द तुम्हारे पास आऊँगा और जो घमंड से फूल गए हैं, मुझे उनकी बातों से कोई सरोकार नहीं, बल्कि मैं यह देखूँगा कि उनमें परमेश्‍वर की शक्‍ति है या नहीं। 20 इसलिए कि परमेश्‍वर के राज का आधार बातें नहीं, बल्कि परमेश्‍वर से मिलनेवाली शक्‍ति है। 21 तुम क्या चाहते हो? क्या मैं डंडा लेकर तुम्हारे पास आऊँ या फिर प्यार और कोमल स्वभाव के साथ आऊँ?

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