2 थिस्सलुनीकियों
3 भाइयो, आखिर में मैं यह कहता हूँ कि हमारे लिए प्रार्थना करते रहो ताकि यहोवा का वचन तेज़ी से बढ़ता जाए और यह वैसे ही आदर के साथ स्वीकार किया जाए जैसे तुम्हारे बीच स्वीकार किया गया है। 2 और यह भी प्रार्थना करो कि हम ऐसे लोगों से बचाए जाएँ जो खतरनाक और दुष्ट हैं, क्योंकि विश्वास हर किसी में नहीं होता। 3 मगर प्रभु विश्वासयोग्य है और वह तुम्हें मज़बूत करेगा और उस दुष्ट से बचाए रखेगा। 4 और हमें प्रभु में तुम्हारे बारे में यह भरोसा है कि हमने जिन-जिन बातों का आदेश दिया है तुम वह सब कर रहे हो और आगे भी करते रहोगे। 5 हमारी दुआ है कि प्रभु तुम्हारे दिलों को कामयाबी से सही दिशा में ले जाए, और तुम इसी तरह परमेश्वर से प्यार करते रहो और मसीह की खातिर धीरज धरते रहो।
6 भाइयो, हम प्रभु यीशु मसीह के नाम से तुम्हें आदेश देते हैं कि ऐसे किसी भी भाई से दूर हो जाओ और उससे कोई मेल-जोल न रखो जो कायदे से नहीं चलता और जो उस दस्तूर के मुताबिक नहीं चलता जो तुमने हमसे पाया है। 7 तुम खुद जानते हो कि तुम्हें कैसे हमारी मिसाल पर चलना चाहिए, क्योंकि हमने तुम्हारे बीच रहते वक्त अपनी मनमानी नहीं की, 8 न ही हमने मुफ्त की रोटी तोड़ी। इसके बजाय, हम रात-दिन कड़ी मेहनत और घोर मज़दूरी करते थे ताकि तुममें से किसी पर भी खर्चीला बोझ न डालें। 9 ऐसा नहीं कि हमें अधिकार नहीं है, बल्कि हमने यह इसलिए किया कि हम तुम्हारे लिए ऐसी मिसाल बनें जिस पर तुम चलो। 10 सच तो यह है कि जब हम तुम्हारे साथ थे, तो हम तुम्हें यह आदेश दिया करते थे: “अगर कोई काम नहीं करना चाहता, तो उसे खाने का भी हक नहीं।” 11 हमने सुना है कि तुम्हारे बीच कुछ लोग अपनी मनमानी कर रहे हैं। वे कोई काम-धंधा नहीं करते बल्कि उन बातों में दखल देते फिरते हैं जिनसे उनका कोई लेना-देना नहीं। 12 ऐसे लोगों को हम प्रभु यीशु मसीह में आदेश देते और उकसाते हैं कि वे शांति से अपना काम-धंधा करें और अपनी ही कमाई की रोटी खाएँ।
13 भाइयो, जहाँ तक तुम्हारी बात है, सही काम करने में हार न मानो। 14 लेकिन अगर कोई उन बातों को जो इस चिट्ठी के ज़रिए हमने कही हैं नहीं मानता, तो ऐसे आदमी पर नज़र रखो और उसके साथ मिलना-जुलना छोड़ दो ताकि वह शर्मिंदा हो। 15 फिर भी उसे दुश्मन न समझो, मगर एक भाई के नाते उसे समझाते-बुझाते रहो।
16 हमारी दुआ है कि शांति का प्रभु तुम्हें हर वक्त और हर तरह से शांति दे। प्रभु तुम सबके साथ हो।
17 मैं पौलुस खुद अपने हाथ से यह नमस्कार लिख रहा हूँ, जो मेरी हर चिट्ठी की पहचान है। मेरे लिखने का तरीका यही है।
18 हमारे प्रभु यीशु मसीह की महा-कृपा तुम सबके साथ हो।