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  • 1 कुरिंथियों 2
  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र

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1 कुरिंथियों 2:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2008, पेज 27

1 कुरिंथियों 2:6

फुटनोट

  • *

    1कुरिं 2:6 या, “दुनिया की व्यवस्था।”

1 कुरिंथियों 2:7

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यहोवा के करीब, पेज 189-198

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2003, पेज 24-25

    6/1/1997, पेज 13

    8/1/1994, पेज 22

1 कुरिंथियों 2:8

फुटनोट

  • *

    1कुरिं 2:8 या, “दुनिया की व्यवस्था।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सभा पुस्तिका के लिए हवाले, 3/2019, पेज 5

1 कुरिंथियों 2:9

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    यशायाह की भविष्यवाणी-II, पेज 366

1 कुरिंथियों 2:10

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 20-24

    11/1/2007, पेज 28-30

1 कुरिंथियों 2:11

फुटनोट

  • *

    1कुरिं 2:11 यूनानी में, नफ्मा।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    सजग होइए!,

    3/8/1998, पेज 14-15

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1994, पेज 18-19

    9/1/1987, पेज 22-23

1 कुरिंथियों 2:12

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्यार के लायक, पेज 63-64

    परमेश्‍वर का प्यार, पेज 62-64

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/2012, पेज 13

    7/15/2010, पेज 3-4

    10/1/2006, पेज 24-25

    4/1/2004, पेज 9-14

    9/1/1999, पेज 8

    10/1/1997, पेज 25-26

    4/1/1994, पेज 14-19

    4/1/1988, पेज 11-12, 16-17

    सजग होइए!,

    4/2010, पेज 20-21

1 कुरिंथियों 2:13

फुटनोट

  • *

    1कुरिं 2:13 या, “शब्द जो परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के मुताबिक हैं।”

1 कुरिंथियों 2:14

फुटनोट

  • *

    1कुरिं 2:14 शाब्दिक, “शारीरिक।”

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2018, पेज 19

    सजग होइए!,

    4/2010, पेज 20-21

1 कुरिंथियों 2:15

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2018, पेज 19

1 कुरिंथियों 2:16

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    3/2022, पेज 9

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    2/2018, पेज 22

    प्रहरीदुर्ग (जनता के लिए),

    अंक 1 2016, पेज 13

    10/15/2010, पेज 3-7

    7/15/2008, पेज 27

    8/1/2007, पेज 4-7

    3/15/2002, पेज 18

    2/15/2000, पेज 10-25

    9/1/1998, पेज 6

    6/15/1995, पेज 22-23

दूसरें अनुवाद

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  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
1 कुरिंथियों 2:1-16

1 कुरिंथियों

2 इसलिए भाइयो, जब मैं तुम्हारे पास परमेश्‍वर का पवित्र रहस्य सुनाता हुआ आया, तो लच्छेदार भाषा या बुद्धि का दिखावा करता हुआ नहीं आया। 2 क्योंकि जब मैं तुम्हारे साथ था तो मैंने तय किया था कि यीशु मसीह और उसके सूली पर चढ़ाए जाने को छोड़ किसी और बात पर तुम्हारा ध्यान न खींचूं। 3 मैं बहुत कमज़ोरी और डर के साथ थरथराता हुआ तुम्हारे पास आया। 4 मैंने जो बातें कहीं और जो प्रचार किया वह बुद्धि से भरे कायल करनेवाले शब्दों के साथ नहीं था, बल्कि मेरे वचनों ने परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति और ताकत को ज़ाहिर किया, 5 ताकि तुम्हारा विश्‍वास इंसानों की बुद्धि पर नहीं, बल्कि परमेश्‍वर की ताकत पर हो।

6 जो सयाने और समझदार हैं, हम उनके बीच बुद्धि की बातें करते हैं, मगर न तो इस ज़माने* की बुद्धि के बारे में, न ही इस ज़माने में राज करनेवालों की बुद्धि के बारे में, जो मिटनेवाले हैं। 7 बल्कि हम एक पवित्र रहस्य में परमेश्‍वर की बुद्धि, हाँ, उस छिपी हुई बुद्धि के बारे में बताते हैं। परमेश्‍वर ने इसे दुनिया की व्यवस्थाओं की शुरूआत के पहले से ठहराया था। उसने यह इसलिए किया ताकि हम आदर पाएँ। 8 इस बुद्धि को इस ज़माने* में राज करनेवालों में से कोई न जान सका, क्योंकि अगर वे इसे जानते, तो वे महिमावान प्रभु को सूली पर न चढ़ाते। 9 मगर ठीक जैसा लिखा है: “जो बातें आँखों ने नहीं देखीं और कानों ने नहीं सुनीं, न ही जिनका खयाल इंसान के दिल में आया, उन्हीं बातों को परमेश्‍वर ने उनके लिए तैयार किया है जो उससे प्यार करते हैं।” 10 इसलिए कि परमेश्‍वर ने हम पर अपनी पवित्र शक्‍ति के ज़रिए ये बातें ज़ाहिर की हैं, क्योंकि उसकी पवित्र शक्‍ति सब बातों की खोजबीन करती है, यहाँ तक कि परमेश्‍वर के गहरे रहस्यों की भी।

11 इंसानों में कौन जानता है कि किसी इंसान के दिल में क्या है, सिवा उसके अंदर के इंसान* के? वैसे ही, परमेश्‍वर के दिल में क्या है, यह कोई नहीं जान पाया है, सिवा उसकी पवित्र शक्‍ति के। 12 हमने दुनिया की फितरत नहीं पायी बल्कि वह पवित्र शक्‍ति पायी है जो परमेश्‍वर की तरफ से है, ताकि हम उन बातों को जान सकें जो परमेश्‍वर ने हम पर कृपा करते हुए हमें दी हैं। 13 यही बातें हम बताते भी हैं, मगर इंसान की बुद्धि के सिखाए शब्दों से नहीं बल्कि पवित्र शक्‍ति के सिखाए शब्दों से, क्योंकि हम परमेश्‍वर के शब्दों* से परमेश्‍वर की बातें समझाते हैं।

14 मगर दुनियावी ख्वाहिशें रखनेवाला* इंसान परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की बातें स्वीकार नहीं करता, क्योंकि उसकी नज़र में ये मूर्खता की बातें हैं। वह इन बातों को जान नहीं सकता, क्योंकि इन्हें परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की मदद से ही जाँचा-परखा जाता है। 15 मगर परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलनेवाला इंसान सबकुछ जाँच-परख सकता है, मगर वह खुद किसी इंसान के ज़रिए जाँचा-परखा नहीं जाता। 16 क्योंकि “कौन है जो यहोवा का मन जान सका है कि वह उसे हिदायत दे सके?” मगर हमारे पास मसीह का मन है।

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