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    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    7/2023, पेज 3

    गवाही दो, पेज 131-132

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 21

    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2015, पेज 22-23

    8/15/1999, पेज 21-22

    12/1/1998, पेज 18

    “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र” (2इति–यशा), पेज 11

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    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2022, पेज 3

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2019, पेज 9-10

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/1997, पेज 16-17

    6/15/1995, पेज 20

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 12

    सजग होइए!,

    अंक 1 2020 पेज 12

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2019, पेज 10-12

    प्रहरीदुर्ग,

    11/15/2008, पेज 24

    3/15/1997, पेज 16-17

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    8/2019, पेज 12

    प्रहरीदुर्ग,

    5/1/2007, पेज 11-12

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    प्रहरीदुर्ग,

    2/15/2013, पेज 14-16

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2129

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/1995, पेज 30

फिलिप्पियों 1:22

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    फिलि 1:22 शाब्दिक, “शरीर में।”

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2008, पेज 28

    3/1/1995, पेज 30-31

फिलिप्पियों 1:27

फुटनोट

  • *

    फिलि 1:27 शाब्दिक, “नागरिकों जैसा बर्ताव करो।”

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    8/15/2012, पेज 11-12

    9/15/2010, पेज 13-14

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
फिलिप्पियों 1:1-30

फिलिप्पियों

1 मैं पौलुस और तीमुथियुस, जो मसीह यीशु के दास हैं, फिलिप्पी में रहनेवाले सभी पवित्र जनों को जो मसीह यीशु में हैं, साथ ही निगरानी करनेवालों और सहायक सेवकों को लिख रहे हैं:

2 तुम्हें परमेश्‍वर हमारे पिता की तरफ से और प्रभु यीशु मसीह की तरफ से महा-कृपा और शांति मिले।

3 मैं जब-जब तुम्हें याद करता हूँ, तब-तब अपने परमेश्‍वर का धन्यवाद करता हूँ। 4 तुम सबके लिए अपनी हरेक मिन्‍नत में मैं हमेशा उसे धन्यवाद देता हूँ। मैं खुशी-खुशी तुम्हारे लिए मिन्‍नतें करता हूँ, 5 क्योंकि जिस दिन से तुमने खुशखबरी सुनी, उस दिन से लेकर आज के दिन तक तुमने खुशखबरी फैलाने में योगदान दिया है। 6 मुझे इस बात का यकीन है कि परमेश्‍वर जिसने तुम्हारे बीच एक भले काम की शुरूआत की है, वह यीशु मसीह के दिन तक उसे पूरा भी करेगा। 7 तुम सबके बारे में ऐसा सोचना मेरे लिए बिलकुल सही है। तुम सब मेरे दिल में बसे हो, क्योंकि चाहे मेरी ज़ंजीरों में कैद होने की बात हो या खुशखबरी की पैरवी करने और उसे कानूनी तौर पर मान्यता दिलाने की, तुम सब मेरे साथ परमेश्‍वर की महा-कृपा में साझेदार रहे हो।

8 परमेश्‍वर मेरा गवाह है कि मैं तुम सबसे मिलने के लिए कितना तरस रहा हूँ, क्योंकि मैं तुमसे वैसा ही गहरा लगाव रखता हूँ जैसा मसीह यीशु रखता है। 9 और मैं यही प्रार्थना करता रहता हूँ कि सही ज्ञान और पूरी परख-शक्‍ति के साथ तुम्हारा प्यार और भी बढ़ता जाए, 10 ताकि तुम पहचान सको कि ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं, जिससे कि मसीह के दिन तक तुम्हारे अंदर कोई खामी न हो और तुम दूसरों के विश्‍वास में बाधा न बनो, 11 और नेकी के फलों से लद जाओ जो तुम यीशु मसीह की बदौलत पैदा कर पाओगे और जिनसे परमेश्‍वर की महिमा और तारीफ होती है।

12 भाइयो, मैं चाहता हूँ कि तुम यह जान लो कि मेरे साथ जो कुछ हुआ है, उससे खुशखबरी के फैलने में रुकावट नहीं आयी बल्कि तरक्की ही हुई है। 13 सम्राट के अंगरक्षक-दल में से हर कोई और बाकी सभी लोग यह जान गए हैं कि मैं मसीह की वजह से ज़ंजीरों में हूँ। 14 और ज़्यादातर भाई मेरी ज़ंजीरों की वजह से प्रभु में पूरा भरोसा रखते हुए निडर होकर और भी हिम्मत के साथ परमेश्‍वर का वचन सुना रहे हैं।

15 यह सच है कि कुछ लोग ईर्ष्या और होड़ लगाने की भावना से मसीह का प्रचार कर रहे हैं, मगर दूसरे अच्छी भावना से प्रचार कर रहे हैं। 16 जो अच्छी भावना रखते हैं वे प्यार की वजह से मसीह का प्रचार करते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि मैं खुशखबरी की पैरवी करने के लिए ही यहाँ ठहराया गया हूँ। 17 मगर जो ईर्ष्या करते हैं, वे नेक इरादे से नहीं बल्कि झगड़े और विरोध की भावना से प्रचार करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस तरह वे कैद में मेरे दुःख को और बढ़ा सकेंगे। 18 तो क्या हुआ? कुछ नहीं! बस इतना कि चाहे बुरी भावना से हो या सच्ची भावना से, मसीह का प्रचार हर तरह से हो रहा है और यह बात मुझे खुशी देती है। दरअसल, मैं खुशी मनाता रहूँगा, 19 क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुम्हारी मिन्‍नतों की वजह से और यीशु मसीह से ज़रूरी पवित्र शक्‍ति मिलने से मेरा उद्धार होगा। 20 और मैं दिल से यही उम्मीद और आशा करता हूँ कि मुझे किसी भी तरह से शर्मिंदा न होना पड़ेगा। इसके बजाय जैसे हमेशा होता आया है, वैसे ही अब भी मेरे बेझिझक होकर बोलने की वजह से मेरे शरीर के ज़रिए मसीह की बड़ाई होगी, फिर चाहे मैं जीऊँ या मर जाऊँ।

21 मेरे मामले में ज़िंदगी का मतलब है मसीह की सेवा में लगे रहना, और मौत का मतलब है फायदा। 22 जब तक मैं दुनिया में* ज़िंदा हूँ, मैं अपने काम से और ज़्यादा फल पैदा कर सकूँगा। मैं नहीं बताता कि मैं क्या चुनूँगा। 23 मैं इन दोनों चुनावों के दबाव में हूँ। मगर मैं तो यही चाहता हूँ कि छुड़ाए जाकर मसीह के साथ रहूँ, क्योंकि वाकई यह बाकी सबसे कहीं बढ़कर है। 24 लेकिन, तुम्हारी खातिर मेरे लिए इस दुनिया में जीते रहना ज़्यादा ज़रूरी है। 25 मुझे इस बात का भरोसा है और मैं जानता हूँ कि मैं यहीं तुम सबके साथ रहूँगा ताकि तुम तरक्की करो और वह खुशी पाओ जो तुम्हारे विश्‍वास से है, 26 ताकि जब मैं तुम्हारे बीच फिर से मौजूद रहूँ, तो मसीह यीशु में तुम्हारी खुशी उमड़ती रहे।

27 सिर्फ इसका ध्यान रखो कि तुम ऐसे पेश आओ* जैसे मसीह की खुशखबरी के योग्य है, ताकि चाहे मैं आकर तुमसे मिलूँ या चाहे दूर रहूँ, मैं तुम्हारे बारे में यही सुनूँ कि तुम सब एक ही सोच रखते हुए, मज़बूती से एक-साथ खड़े हो और खुशखबरी पर विश्‍वास के लिए कंधे-से-कंधा मिलाकर कड़ा संघर्ष कर रहे हो 28 और किसी भी तरह विरोधियों से नहीं डरते। यही उनके लिए इस बात का सबूत है कि वे नाश किए जाएँगे, और तुम्हारे लिए यह सबूत है कि तुम्हारा उद्धार होगा। और यह निशानी परमेश्‍वर की तरफ से है। 29 क्योंकि मसीह की खातिर तुम्हें यह सम्मान दिया गया कि तुम न सिर्फ उस पर विश्‍वास करो बल्कि उसकी खातिर दुःख भी सहो। 30 इसी वजह से तुम्हारा भी वैसा ही संघर्ष है जैसा तुमने मेरे मामले में देखा था और जैसा तुम मेरे मामले में सुनते हो कि मैं अब भी संघर्ष कर रहा हूँ।

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