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प्रकाशितवाक्य 18:2

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    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 58

    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1989, पेज 3-5

    5/1/1989, पेज 9

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    4/1/1989, पेज 4-5

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    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2006, पेज 28-29

    10/1/2005, पेज 24

    4/15/1999, पेज 28-30

    5/1/1989, पेज 7-9

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    यशायाह की भविष्यवाणी-II, पेज 119

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    यशायाह की भविष्यवाणी-II, पेज 119

    प्रहरीदुर्ग,

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प्रकाशितवाक्य 18:23

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    प्रहरीदुर्ग,

    6/1/1989, पेज 6-7

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प्रकाशितवाक्य 18:24

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2006, पेज 28

    9/1/1990, पेज 19-22

    7/1/1989, पेज 5

    6/1/1989, पेज 6

    5/1/1989, पेज 23

    4/1/1989, पेज 5, 8-9

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रकाशितवाक्य 18:1-24

प्रकाशितवाक्य

18 इसके बाद, मैंने एक और स्वर्गदूत को स्वर्ग से उतरते देखा जिसके पास बड़ा अधिकार था। उसकी महिमा के तेज से पृथ्वी रौशन हो गयी। 2 और उसने बड़ी बुलंद आवाज़ में चिल्लाकर कहा: “गिर पड़ी! महानगरी बैबिलोन गिर पड़ी, और वह दुष्ट स्वर्गदूतों का अड्डा और हर तरह के अशुद्ध और घिनौने पक्षी का बसेरा और ऐसी जगह बन गयी है जहाँ ज़हरीली हवा भरी हुई है! 3 उसने क्रोध की दाख-मदिरा और अपने व्यभिचार की दाख-मदिरा सारे राष्ट्रों को पिलायी है जिससे वे उसके शिकार बने हैं, और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया और पृथ्वी के सौदागर उसकी शर्मनाक ऐयाशियों से मालामाल हो गए।”

4 फिर मैंने स्वर्ग से एक और आवाज़ सुनी जो कह रही थी: “मेरे लोगो, उसमें से बाहर निकल आओ। अगर तुम उसके पापों में हिस्सेदार नहीं होना चाहते और अगर तुम उस पर आनेवाले कहर में साझेदार नहीं होना चाहते, तो उसमें से निकल आओ। 5 क्योंकि उसके पापों का अंबार आसमान तक पहुँच गया है और परमेश्‍वर ने उसके अन्याय के कामों को याद किया है। 6 उसने जो दूसरों को दिया है वही उसे भी दो और उससे भी दुगुना दो, हाँ, जो-जो उसने किया है उसका दुगुना उसे दो। उसने प्याले में जो मिलाकर भरा है, उसका दुगुना उसे मिलाकर दो। 7 उसने जिस हद तक अपनी शानो-शौकत बढ़ायी और वह जैसी शर्मनाक ऐयाशी में रही, उसी हद तक उसे पीड़ा और मातम दो। क्योंकि वह अपने दिल में कहती है, ‘मैं तो रानी बन बैठी हूँ, मैं विधवा नहीं हूँ और मैं कभी मातम नहीं देखूँगी।’ 8 इसलिए एक ही दिन में उस पर कहर टूट पड़ेंगे, यानी मौत और मातम और अकाल, और उसे आग में पूरी तरह जला दिया जाएगा, क्योंकि उसका न्याय करनेवाला परमेश्‍वर यहोवा ताकतवर है।

9 और पृथ्वी के राजा जिन्होंने उसके साथ व्यभिचार किया और शर्मनाक ऐयाशी की, वे जब उसके जलने से उठनेवाला धूआं देखेंगे, तो उस पर रोएँगे और शोक के मारे छाती पीटेंगे। 10 और उसकी पीड़ा के डर से वे दूर ही खड़े रहकर कहेंगे, ‘हाय, हाय, महानगरी बैबिलोन, तू जो मज़बूत नगरी थी, एक ही घड़ी में तुझे दंड मिल गया है!’

11 और पृथ्वी के सौदागर भी उस पर रोएँगे और मातम करेंगे, क्योंकि उनका सारा माल खरीदनेवाला कोई नहीं रहा, 12 वह माल जिसमें सोना, चाँदी, कीमती रत्न और मोती, बढ़िया मलमल, बैंजनी कपड़े, रेशम और सुर्ख लाल कपड़े हैं। और हर तरह की खुशबूदार लकड़ियाँ, हाथीदाँत की हर किस्म की चीज़ें और बेशकीमती लकड़ी और पीतल और लोहे और संगमरमर से बनी चीज़ें हैं। 13 और दालचीनी, मसाले, धूप, खुशबूदार तेल, लोबान, दाख-मदिरा, जैतून का तेल, मैदा, गेहूं, मवेशी, भेड़, घोड़े, और बग्घियाँ और दास और आदमी भी हैं। 14 हाँ, जिस बढ़िया फल की तुझे लालसा थी वह अब तुझसे दूर हो गया है और वे सारी उम्दा और तड़क-भड़कवाली चीज़ें तबाह होकर तुझसे दूर हो गयी हैं और लोग इन्हें फिर कभी नहीं पाएँगे।

15 इन चीज़ों के सौदागर, जो उसकी बदौलत अमीर हो गए थे, वे उसकी पीड़ा के डर से दूर ही खड़े रहेंगे और रोएँगे और यह कहते हुए मातम मनाएँगे, 16 ‘हाय, हाय, महानगरी, तू जो बढ़िया मलमल और बैंजनी और सुर्ख लाल कपड़े पहने और सोने के गहनों और कीमती रत्नों और मोतियों से बड़े शानदार ढंग से सजी हुई थी। 17 हाय, क्योंकि एक ही घड़ी में ऐसी बेशुमार दौलत तबाह-बरबाद हो गयी है!’

और हर जहाज़ का कप्तान और समुद्री जहाज़ का हर यात्री, नाविक और वे सभी जो समुद्र से अपनी रोज़ी-रोटी कमाते हैं, दूर खड़े रहे 18 और उसके जलने से उठनेवाला धूआं देखकर वे पुकार उठे, ‘कौन-सी नगरी है जो इस महानगरी जैसी हो?’ 19 और उन्होंने अपने सिर पर धूल डालते हुए रोते-बिलखते और मातम करते हुए कहा: ‘हाय, हाय, महानगरी, तू जिसकी महँगी चीज़ों की भरमार से वे सभी अमीर बने जिनके समुद्री जहाज़ हैं, हाय, क्योंकि तू एक ही घड़ी में तबाह हो गयी है!’

20 हे स्वर्ग, और हे पवित्र जनो, प्रेषितों और भविष्यवक्‍ताओ, उसका जो हाल हुआ है उस पर तुम सब हर्ष मनाओ, क्योंकि परमेश्‍वर ने तुम्हारी खातिर उसका न्याय कर उसे सज़ा दी है!”

21 और एक शक्‍तिशाली स्वर्गदूत ने चक्की के पाट जैसा एक बड़ा पत्थर उठाकर समुद्र में यह कहते हुए फेंक दिया: “इसी तरह महानगरी बैबिलोन तेज़ी से नीचे गिरा दी जाएगी और फिर कभी उसका नामो-निशान न मिलेगा। 22 और तुझमें सुर-मंडल पर गीत गानेवालों, संगीतकारों, बाँसुरी बजानेवालों और तुरही फूंकनेवालों की आवाज़ फिर कभी सुनायी न देगी और किसी भी तरह का कारीगर फिर कभी तुझमें न मिलेगा और चक्की के चलने की आवाज़ तुझमें फिर कभी सुनायी न देगी 23 और किसी दीपक की रौशनी तुझमें फिर कभी न चमकेगी और दूल्हे और दुल्हन की आवाज़ तुझमें फिर कभी न सुनायी देगी। यह सब इसलिए होगा क्योंकि तेरे सौदागर पृथ्वी के बड़े-बड़े लोग थे और तेरे भूत-विद्या के कामों से सभी राष्ट्र गुमराह किए गए। 24 हाँ, इसी नगरी में भविष्यवक्‍ताओं, पवित्र जनों और उन सभी का खून पाया गया जिनका इस धरती पर कत्ल किया गया।”

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