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  • नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र

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प्रकाशितवाक्य 21:1

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2023, पेज 4

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    12/2019, पेज 6

    प्रहरीदुर्ग,

    6/15/2001, पेज 31

    4/15/2000, पेज 12

    सजग होइए!,

    2/8/1997, पेज 19

प्रकाशितवाक्य 21:2

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    शुद्ध उपासना, पेज 225

    प्रहरीदुर्ग,

    7/15/2010, पेज 5

    7/1/1995, पेज 13-14

प्रकाशितवाक्य 21:3

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 26

    प्रहरीदुर्ग,

    3/15/2013, पेज 23

    “देख!” ब्रोशर, पेज 29-30

प्रकाशितवाक्य 21:4

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!, पाठ 2

    सजग होइए!,

    अंक 1 2021 पेज 13

    7/8/1994, पेज 4-5, 11

    प्रहरीदुर्ग,

    1/1/2014, पेज 11

    9/15/2012, पेज 10

    1/15/2012, पेज 30

    7/1/2010, पेज 5-6

    4/15/2000, पेज 12-13

    “देख!” ब्रोशर, पेज 29-30

प्रकाशितवाक्य 21:5

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2023, पेज 3-4

    यहोवा के करीब, पेज 81-86

    मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका,

    12/2019, पेज 6

    प्रहरीदुर्ग,

    4/15/2000, पेज 14

प्रकाशितवाक्य 21:6

फुटनोट

  • *

    प्रका 21:6 अल्फा और ओमेगा, यूनानी वर्णमाला के पहले और आखिरी अक्षर हैं।

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    11/2023, पेज 3, 4-6

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    10/2016, पेज 22

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2101

प्रकाशितवाक्य 21:8

फुटनोट

  • *

    प्रका 21:8 शाब्दिक, “गंधक से जलनेवाली।”

  • *

    प्रका 21:8 यानी, “हमेशा के लिए मौत।”

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  • खोजबीन गाइड

    नयी दुनिया अनुवाद, पेज 2102

प्रकाशितवाक्य 21:9

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  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    3/1/2007, पेज 9

प्रकाशितवाक्य 21:12

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  • खोजबीन गाइड

    शुद्ध उपासना, पेज 225

प्रकाशितवाक्य 21:14

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग,

    10/15/1997, पेज 13-14

प्रकाशितवाक्य 21:16

फुटनोट

  • *

    प्रका 21:16 करीब 2,200 किलोमीटर।

प्रकाशितवाक्य 21:17

फुटनोट

  • *

    प्रका 21:17 या, करीब 64 मीटर (210 फुट)।

प्रकाशितवाक्य 21:22

इंडैक्स

  • खोजबीन गाइड

    प्रहरीदुर्ग (अध्ययन),

    5/2022, पेज 17-18

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नयी दुनिया अनुवाद—मसीही यूनानी शास्त्र
प्रकाशितवाक्य 21:1-27

प्रकाशितवाक्य

21 फिर मैंने एक नया आकाश और नयी पृथ्वी देखी। क्योंकि पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी मिट चुके थे और समुद्र न रहा। 2 मैंने पवित्र नगरी, नयी यरूशलेम को भी देखा, जो स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से नीचे उतर रही थी। यह ऐसे सजी हुई थी जैसे एक दुल्हन अपने दूल्हे के लिए सिंगार करती है। 3 फिर मैंने राजगद्दी से एक ज़ोरदार आवाज़ सुनी जो कह रही थी: “देखो! परमेश्‍वर का डेरा इंसानों के बीच है। वह उनके साथ रहेगा और वे उसके लोग होंगे। और परमेश्‍वर खुद उनके साथ होगा। 4 और वह उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।”

5 और राजगद्दी पर जो बैठा था उसने कहा: “देख! मैं सबकुछ नया बना रहा हूँ।” उसने यह भी कहा: “ये बातें लिख ले, क्योंकि ये विश्‍वास के योग्य और सच्ची हैं।” 6 फिर उसने मुझसे कहा: “ये वचन पूरे हो चुके हैं! मैं अल्फा और ओमेगा,* यानी शुरूआत और अंत हूँ। जो कोई प्यासा होगा उसे मैं जीवन देनेवाले पानी के सोते से मुफ्त पानी पिलाऊँगा। 7 जो कोई जीत हासिल करेगा उसे ये सारी चीज़ें विरासत में मिलेंगी और मैं उसका परमेश्‍वर होऊँगा और वह मेरा बेटा होगा। 8 लेकिन जो कायर हैं और जो विश्‍वास नहीं करते और जो अशुद्ध और घिनौने काम करते हैं, और हत्यारों, व्यभिचारियों और भूत-विद्या और मूर्तिपूजा में लगे रहनेवालों और सब झूठों के हिस्से में आग की धधकती झील* है। इसका मतलब है, दूसरी मौत।”*

9 और जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात आखिरी कहर से भरे सात कटोरे थे, उनमें से एक स्वर्गदूत ने आकर मुझसे कहा: “इधर आ, मैं तुझे दुल्हन दिखाता हूँ, मेम्ने की दुल्हन।” 10 तब वह मुझे पवित्र शक्‍ति के असर में एक बड़े और ऊँचे पहाड़ पर ले गया और मुझे पवित्र नगरी यरूशलेम दिखायी जो स्वर्ग से परमेश्‍वर के पास से नीचे उतर रही थी 11 वह परमेश्‍वर की महिमा से भरपूर थी। उसकी चमक सबसे अनमोल रत्न, यानी बिल्लौर की तरह दमकते यशब जैसी थी। 12 उसकी दीवार बहुत ही बड़ी और ऊँची थी और उसमें बारह फाटक थे। इन फाटकों पर बारह स्वर्गदूत थे और फाटकों पर इस्राएलियों के बारह गोत्रों के नाम लिखे हुए थे। 13 पूरब में तीन फाटक थे, उत्तर में तीन, दक्षिण में तीन और पश्‍चिम में तीन फाटक थे। 14 इस नगरी की दीवार बारह नींव के पत्थरों पर खड़ी थी और इन पत्थरों पर मेम्ने के बारह प्रेषितों के नाम लिखे थे।

15 जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, वह इस नगरी और इसके फाटकों और इसकी दीवार को नापने के लिए सोने का एक सरकंडा लिए हुए था। 16 यह नगरी चौकोर बसी हुई थी और इसकी लंबाई, इसकी चौड़ाई के बराबर थी। और उसने उस सरकंडे से उस नगरी को नापा, जो बारह हज़ार फरलांग* थी; इसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई बराबर थी। 17 और उसने इसकी दीवार भी नापी, जो इंसान की नाप के मुताबिक साथ ही स्वर्गदूत की नाप के मुताबिक एक सौ चवालीस हाथ* थी। 18 इसकी दीवारों की बनावट यशब की थी और यह नगरी काँच जैसे साफ, खरे सोने की थी। 19 इस नगरी की दीवार की नींव हर तरह के कीमती रत्नों से सजी हुई थी: नींव का पहला रत्न था यशब, दूसरा नीलम, तीसरा लालड़ी, चौथा पन्‍ना, 20 पाँचवां गोमेद, छठा माणिक्य, सातवाँ कर्केटक, आठवाँ वैदूर्य, नौवाँ पुखराज, दसवाँ लहसुनिया, ग्यारहवाँ धूम्रकांत, बारहवाँ चंद्रकांत। 21 और बारह फाटक बारह मोतियों के थे। हर फाटक एक मोती से बना था। और इस नगरी की चौड़ी सड़क, आर-पार दिखनेवाले साफ काँच जैसे खरे सोने की थी।

22 मैंने इस नगरी में कोई मंदिर न देखा, क्योंकि सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा इसका मंदिर है और मेम्ना भी है। 23 इस नगरी को सूरज और चाँद की रौशनी की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि यह परमेश्‍वर की महिमा से जगमगाती है और मेम्ना इसका दीपक है। 24 और सब राष्ट्र इसकी रौशनी में चलेंगे और पृथ्वी के राजा अपना ऐश्‍वर्य इसमें ले आएँगे। 25 इस नगरी के फाटक दिन के वक्‍त बंद नहीं किए जाएँगे, और वहाँ रात होगी ही नहीं। 26 और वे राष्ट्रों का ऐश्‍वर्य और उनकी इज़्ज़त इस नगरी को देंगे। 27 मगर ऐसी कोई भी चीज़ जो पवित्र नहीं है और ऐसा कोई भी जो घिनौने काम करता और झूठ बोलता रहता है, वह इस नगरी में हरगिज़ दाखिल न होगा। मगर सिर्फ वे ही दाखिल होंगे जिनके नाम उस जीवन की किताब में लिखे हैं जो मेम्ने की है।

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