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निर्गमन 30:1-5पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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30 तू धूप जलाने के लिए एक वेदी बनाना।+ इसे बबूल की लकड़ी से तैयार करना।+ 2 वेदी चौकोर होनी चाहिए, लंबाई एक हाथ,* चौड़ाई एक हाथ और ऊँचाई दो हाथ होनी चाहिए। वेदी के कोनों को उभरा हुआ बनाकर सींग का आकार देना।+ 3 पूरी वेदी को यानी उसके ऊपरी हिस्से, उसके बाज़ुओं और सींगों को शुद्ध सोने से मढ़ना। और वेदी पर चारों तरफ सोने का एक नक्काशीदार किनारा बनाना। 4 वेदी पर आमने-सामने दोनों बाज़ुओं में, नक्काशीदार किनारे के नीचे सोने के दो-दो कड़े लगवाना। इन कड़ों में वे डंडे डाले जाएँगे जिनके सहारे वेदी उठायी जाएगी। 5 ये डंडे बबूल की लकड़ी से बनाना और उन पर सोना मढ़ना।
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