27 उसने उन पर गोश्त की ऐसी बौछार की जैसे ढेर सारी धूल हो,
बेशुमार पक्षी भेजे मानो समुंदर किनारे की बालू हो।
28 उसने पक्षियों को अपनी छावनी के बीचों-बीच गिराया,
अपने तंबुओं के चारों ओर गिराया।
29 लोगों ने गोश्त खाया, ठूँस-ठूँसकर खाया,
उन्होंने जो चाहा था उसने उन्हें दिया।+