15 मगर उस पवित्र परमेश्वर की तरह, जिसने तुम्हें बुलाया है, तुम भी अपना पूरा चालचलन पवित्र बनाए रखो+16 क्योंकि लिखा है: “तुम्हें पवित्र बने रहना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।”+
8 इन चार जीवित प्राणियों में से हरेक के छ:-छ: पंख थे। इनके चारों तरफ और अंदर की तरफ आँखें-ही-आँखें थीं।+ और वे बिना रुके रात-दिन कहते हैं, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा* पवित्र, पवित्र, पवित्र है!+ वह परमेश्वर, जो था, जो है और जो आ रहा है।”+