व्यवस्थाविवरण 28:65 पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद 65 उन राष्ट्रों में रहते तुम्हें शांति नहीं मिलेगी+ और न ही तुम्हें किसी एक जगह रहने का ठिकाना मिलेगा। यहोवा ऐसा करेगा कि तुम्हारा मन हमेशा चिंताओं से घिरा रहेगा,+ छुटकारे की राह तकते-तकते तुम्हारी आँखें थक जाएँगी और तुम पूरी तरह टूट जाओगे।+
65 उन राष्ट्रों में रहते तुम्हें शांति नहीं मिलेगी+ और न ही तुम्हें किसी एक जगह रहने का ठिकाना मिलेगा। यहोवा ऐसा करेगा कि तुम्हारा मन हमेशा चिंताओं से घिरा रहेगा,+ छुटकारे की राह तकते-तकते तुम्हारी आँखें थक जाएँगी और तुम पूरी तरह टूट जाओगे।+