2 “तू दो तुरहियाँ बनवाना।+ चाँदी को हथौड़े से पीटकर ये तुरहियाँ बनायी जाएँ। जब भी मंडली के लोगों को बताना हो कि वे सब एक जगह इकट्ठा हो जाएँ या सभी अपने पड़ाव उठाकर आगे बढ़ें, तो ये तुरहियाँ फूँककर इसका ऐलान करना।
9 अगर तुम्हें कभी अपने देश में ऐसे किसी विरोधी से युद्ध करना पड़े जो तुम पर अत्याचार करता है, तो तुम तुरहियाँ फूँककर युद्ध का ऐलान करना।+ तब तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम पर ध्यान देगा और तुम्हें दुश्मनों से बचाएगा।