4 जब-जब तू परमेश्वर से मन्नत माने, उसे पूरा करने में देर न करना+ क्योंकि वह मूर्ख से खुश नहीं होता, जो अपनी मन्नत पूरी नहीं करता।+ तू जो भी मन्नत माने उसे पूरा करना।+
6 ऐसा न हो कि तेरा मुँह तुझसे पाप करवाए+ और तू स्वर्गदूत* के सामने कहे कि मुझसे भूल हो गयी।+ भला तू अपनी बात से सच्चे परमेश्वर को क्यों क्रोध दिलाए और क्यों उसे तेरे काम बिगाड़ने पड़ें?+