36 दाविद ने पवित्र शक्ति से उभारे जाने पर+ खुद कहा था, ‘यहोवा* ने मेरे प्रभु से कहा, “तू तब तक मेरे दाएँ हाथ बैठ, जब तक कि मैं तेरे दुश्मनों को तेरे पैरों तले न कर दूँ।”’+
16 पूरा शास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है+ और सिखाने,+ समझाने, टेढ़ी बातों को सीध में लाने* और नेक स्तरों के मुताबिक सोच ढालने के लिए फायदेमंद है+