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2 इतिहास 4:2-5पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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2 उसने ताँबे का बड़ा हौद ढालकर बनाया जिसे ‘सागर’ कहा जाता था।+ यह गोलाकार था और इसके मुँह की चौड़ाई 10 हाथ थी और मुँह के पूरे घेरे की लंबाई 30 हाथ थी। हौद की ऊँचाई 5 हाथ थी।+ 3 हौद के मुँह के नीचे, चारों तरफ दो कतारों में खरबूजों की बनावट थी।+ एक-एक हाथ की जगह में दस-दस खरबूजे बने थे। खरबूजों को हौद के साथ ही ढाला गया था। 4 यह हौद ताँबे के 12 बैलों पर रखा गया था,+ 3 बैल उत्तर की तरफ मुँह किए हुए थे, 3 पश्चिम की तरफ, 3 दक्षिण की तरफ और 3 पूरब की तरफ। सभी बैलों का पिछला भाग अंदर की तरफ था। इन बैलों पर हौद टिकाया गया था। 5 हौद की दीवार की मोटाई चार अंगुल* थी। उसके मुँह की बनावट प्याले के मुँह जैसी थी और यह दिखने में खिले हुए सोसन के फूल जैसा था। इस हौद में 3,000 बत* पानी भरा जा सकता था।
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