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  • 2 इतिहास 6:28-31
    पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
    • 28 अगर देश में अकाल पड़े+ या महामारी फैले+ या फसलों पर झुलसन, बीमारी,+ दलवाली टिड्डियों या भूखी टिड्डियों का कहर टूटे+ या दुश्‍मन आकर देश के किसी शहर* को घेर लें+ या देश में कोई बीमारी फैले या किसी और तरह की मुसीबत आए+ 29 और ऐसे में एक आदमी या तेरी प्रजा इसराएल के सब लोग इस भवन की तरफ हाथ फैलाकर तुझसे कृपा की बिनती करें+ (क्योंकि हर कोई अपनी पीड़ा और अपना दर्द जानता है),+ 30 तो तू अपने निवास-स्थान स्वर्ग से उनकी सुनना+ और उन्हें माफ करना।+ तू उनमें से हरेक को उसके कामों के हिसाब से फल देना क्योंकि तू हरेक का दिल जानता है (सिर्फ तू ही सही मायनों में जानता है कि इंसान का दिल कैसा है)।+ 31 तब वे जब तक इस देश में रहेंगे, जो तूने हमारे पुरखों को दिया था, तेरी राहों पर चलकर तेरा डर मानते रहेंगे।

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