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यशायाह 44:19, 20पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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19 कोई अपने मन में नहीं सोचता,
न किसी में इतना ज्ञान और समझ है कि वह कहे,
“लकड़ी का आधा हिस्सा तो मैंने जला दिया,
उसके अंगारों पर रोटी पकायी और गोश्त भूनकर खाया।
अब क्या बाकी हिस्से से मैं घिनौनी चीज़ बनाऊँ?+
पेड़ के इस लट्ठे* को पूजूँ?”
20 वह मानो राख से अपना पेट भर रहा है,
उसका मन बहक गया है और उसे गुमराह कर रहा है।
वह खुद को नहीं बचा सकता, न वह यह कबूल करता है
कि “मेरे दाएँ हाथ में यह चीज़ एकदम बेकार है।”
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