31 वहाँ सीरिया के राजा ने अपनी रथ-सेना के 32 सेनापतियों+ को यह हुक्म दिया था, “तुम लोग सीधे इसराएल के राजा से युद्ध करना, उसके सिवा किसी और से मत लड़ना, फिर चाहे वह कोई मामूली सैनिक हो या बड़ा अधिकारी।”
35 पूरे दिन घमासान लड़ाई चलती रही और राजा को सहारा देकर सीरिया के लोगों के सामने रथ पर खड़ा रखना पड़ा। राजा के घाव से खून निकलकर रथ के फर्श पर बहता रहा और शाम होते-होते वह मर गया।+
33 तब किसी सैनिक ने यूँ ही एक तीर चलाया और वह तीर इसराएल के राजा को वहाँ जा लगा जहाँ कवच और बख्तर का दूसरा हिस्सा जुड़ा हुआ था। राजा ने अपने सारथी से कहा, “रथ घुमाकर मुझे युद्ध के मैदान* से बाहर ले जा, मैं बुरी तरह घायल हो गया हूँ।”+