31 दाविद ने कुछ लेवियों को इसलिए चुना कि जब संदूक यहोवा के भवन में रखा जाए तो वहाँ वे गीत गाने का निर्देशन करें।+32 जब तक सुलैमान ने यरूशलेम में यहोवा का भवन नहीं बनाया+ तब तक भेंट के तंबू में वे गानों के लिए ज़िम्मेदार थे। उनके लिए जो नियम ठहराया गया था उसके मुताबिक वे सेवा करते थे।+
16 इसके बाद दाविद ने लेवियों के प्रधानों को बताया कि वे अपने भाइयों को, जो गायक थे, गाने के लिए ठहराएँ ताकि वे तारोंवाले बाजे, सुरमंडल+ और झाँझ बजाकर ऊँची आवाज़ में गाते हुए जयजयकार करें।+
37 फिर दाविद ने आसाप और उसके भाइयों को यहोवा के करार के संदूक के सामने ठहराया+ ताकि वे हर दिन के नियम के मुताबिक संदूक के सामने लगातार सेवा करते रहें।+
42 और उनके साथ उसने हेमान+ और यदूतून को तुरहियाँ फूँकने, झाँझ बजाने और सच्चे परमेश्वर की तारीफ में दूसरे साज़* बजाने का काम सौंपा और यदूतून के बेटों+ को फाटक पर ठहराया।
25इसके अलावा, दाविद और मंदिर में सेवा करनेवाले समूहों के प्रधानों ने मिलकर आसाप, हेमान और यदूतून के कुछ बेटों+ को अलग किया ताकि वे सुरमंडल, तारोंवाले बाजों+ और झाँझ की धुन पर+ भविष्यवाणी करें। इस सेवा के लिए चुने गए आदमियों की सूची यह थी: