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1 इतिहास 23:30, 31पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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30 उन्हें हर सुबह और हर शाम खड़े होकर+ यहोवा का धन्यवाद करना था और उसकी तारीफ करनी थी।+ 31 सब्त के मौकों पर,+ नए चाँद के मौकों पर+ और साल के अलग-अलग त्योहारों में+ जब भी यहोवा को होम-बलियाँ चढ़ायी जातीं तो वे मदद करते थे। उनके बारे में दिए गए नियम के मुताबिक जितने लोगों की माँग की गयी थी, उतने लोग यहोवा के सामने नियमित तौर पर सेवा करते थे।
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