3महायाजक एल्याशीब+ और उसके भाइयों ने, जो याजक थे, भेड़ फाटक+ बनाने का काम शुरू किया। उन्होंने उसे पवित्र ठहराया*+ और उसके दरवाज़े लगाए। उन्होंने हम्मेआ मीनार और हननेल मीनार तक शहरपनाह की मरम्मत की और उसे पवित्र ठहराया।+
6 पासेह के बेटे योयादा और बसोदयाह के बेटे मशुल्लाम ने ‘पुराने शहर के फाटक’+ की मरम्मत की। उन्होंने लकड़ियों से उसकी चौखट तैयार की और उसमें पल्ले, कुंडे और बेड़े लगाए।
13 हानून ने जानोह के निवासियों+ के साथ मिलकर ‘घाटी के फाटक’+ की मरम्मत की। उन्होंने इसमें पल्ले, कुंडे और बेड़े लगाए। उन्होंने 1,000 हाथ* की दूरी तक शहरपनाह भी बनायी, जो ‘राख के ढेर के फाटक’ पर पहुँचती थी।+