17 हे परमेश्वर, मेरे बचपन से तू मुझे सिखाता आया है+
और मैं आज तक तेरे आश्चर्य के कामों का ऐलान कर रहा हूँ।+
18 हे परमेश्वर, जब मैं बूढ़ा हो जाऊँ और मेरे बाल पक जाएँ, तब भी तू मुझे त्याग न देना,+
मुझे अगली पीढ़ी को तेरी शक्ति के बारे में,
आनेवाली नसल को तेरी महाशक्ति के बारे में सुनाने का मौका देना।+