3 “हे यहोवा, मैं तुझसे बिनती करता हूँ, याद कर कि मैं कैसे तेरा विश्वासयोग्य बना रहा और पूरे दिल से तेरे सामने सही राह पर चलता रहा। मैंने हमेशा वही किया जो तेरी नज़र में सही है।”+ यह कहकर हिजकियाह फूट-फूटकर रोने लगा।
25 मगर जो इंसान आज़ादी दिलानेवाले खरे कानून को करीब से जाँचता* है+ और उसमें लगा रहता है, ऐसा इंसान सुनकर भूलता नहीं मगर उस पर चलता है और इससे वह खुशी पाता है।+