13 दाविद ने गाद से कहा, “मैं बड़े संकट में हूँ। अच्छा है कि मैं यहोवा ही के हाथ पड़ जाऊँ क्योंकि वह बड़ा दयालु है।+ मगर मुझे इंसान के हाथ न पड़ने दे।”+
11 देखो! हम मानते हैं कि जो धीरज धरते हैं वे सुखी* हैं।+ तुमने सुना है कि अय्यूब ने कैसे धीरज धरा था+ और यहोवा* ने उसे क्या इनाम दिया था,+ जिससे तुम समझ सकते हो कि यहोवा* गहरा लगाव रखनेवाला* और दयालु परमेश्वर है।+