4 तब मैंने प्रार्थना की, “हे हमारे परमेश्वर, देख! ये लोग कैसे हमें नीचा दिखा रहे हैं।+ ऐसा हो कि जिस तरह ये हमारा अपमान कर रहे हैं, उसी तरह इनका भी अपमान हो।+ और इन्हें बंदी बनाकर पराए देश में ले जाया जाए, जैसे लूट का माल ले जाया जाता है।
15 एलूल* महीने के 25वें दिन शहरपनाह बनकर तैयार हो गयी। उसे बनाने में कुल 52 दिन लगे।
16 जब हमारे दुश्मनों और आस-पास के देशों के लोगों को यह खबर मिली, तो वे बहुत शर्मिंदा हुए।*+ और वे जान गए कि हमारे परमेश्वर की मदद से ही हम यह काम पूरा कर पाए हैं।
13 हामान ने अपनी पत्नी जेरेश और अपने सभी दोस्तों को बताया कि उसके साथ क्या हुआ।+ तब उसके सलाहकारों और उसकी पत्नी जेरेश ने उससे कहा, “जिस मोर्दकै के आगे आज तुझे मुँह की खानी पड़ी, अगर वह यहूदियों के वंश से है तो याद रख, तू उससे कभी नहीं जीत पाएगा। तेरी हार पक्की है।”
5 उस दिन यहूदियों ने अपने सभी दुश्मनों को तलवार से मार डाला और उनका पूरी तरह सफाया कर दिया। उन्होंने अपने दुश्मनों के साथ वैसा ही सलूक किया जैसा उन्होंने चाहा।+
3 उस दिन मैं यरूशलेम को सब देशों के लोगों के लिए भारी पत्थर बना दूँगा। जो कोई उसे उठाएगा वह बुरी तरह घायल हो जाएगा।+ धरती के सब राष्ट्र उसके खिलाफ इकट्ठा होंगे।”+