15 मैं उससे प्यार* करना कभी नहीं छोड़ूँगा, जैसे मैंने शाऊल से करना छोड़ दिया था जो तुझसे पहले था।+16 तेरा राज-घराना और तेरा राज तेरे सामने हमेशा बने रहेंगे। तेरी राजगद्दी सदा तक कायम रहेगी।”’”+
17 नातान ने जाकर ये सारी बातें और यह पूरा दर्शन दाविद को बताया।+
6 सुलैमान ने कहा, “तूने अपने सेवक, मेरे पिता दाविद से बहुत प्यार* किया क्योंकि वह हमेशा तेरे सामने सच्चाई, नेकी और मन की सीधाई से चलता रहा। तू आज भी उससे बहुत प्यार* करता है, इसीलिए तूने उसे एक बेटा दिया ताकि वह उसकी राजगद्दी पर बैठे।+