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नीतिवचन 7:14-21पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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14 “मैंने शांति-बलि चढ़ायी है,+
आज अपनी मन्नत पूरी की है,
15 इसलिए मैं तुझसे मिलने आयी हूँ,
मैं तुझे ही ढूँढ़ रही थी और तू मुझे मिल गया।
17 उस पर गंधरस, अगर और दालचीनी छिड़की है।+
18 आ! हम एक-दूसरे के प्यार में खो जाएँ,
सुबह तक प्यार का जाम पीते रहें।
19 मेरा पति भी घर पर नहीं है,
वह लंबे सफर पर गया है
20 और अपने साथ पैसों की थैली ले गया है,
पूरे चाँद के निकलने तक वह नहीं लौटेगा।”
21 वह अपनी लच्छेदार बातों में उसे फँसा लेती है,+
मीठी-मीठी बातों से उसे फुसला लेती है।
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