20 सच्ची बुद्धि+ सड़कों पर पुकारती है,+
चौराहों पर उसकी आवाज़ गूँजती है,+
21 चहल-पहलवाले नुक्कड़ पर वह आवाज़ लगाती है,
शहर के फाटकों पर कहती है,+
22 “ऐ नादानो, तुम कब तक नादानी से लिपटे रहोगे?
ऐ खिल्ली उड़ानेवालो, तुम कब तक खिल्ली उड़ाने का मज़ा लोगे?
ऐ मूर्खो, तुम कब तक ज्ञान से नफरत करोगे?+