14 तो सावधान रहना कि तुम्हारा मन घमंड से फूल न जाए+ जिससे तुम अपने परमेश्वर यहोवा को भूल सकते हो। तुम उस परमेश्वर को भूल सकते हो जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर ले आया+ और
16 और तुम्हें मन्ना खिलाया+ जिसे तुम्हारे बाप-दादे नहीं जानते थे। परमेश्वर ने ऐसा इसलिए किया ताकि वह तुम्हें नम्र बनना सिखाए+ और तुम्हें परखे जिससे आगे चलकर तुम्हारा भला हो।+
7 तुम इसे यह समझकर सह लो कि तुम्हें सुधारा जा रहा है।* परमेश्वर तुम्हें अपने बेटे मानकर तुम्हारे साथ ऐसे पेश आ रहा है,+ क्योंकि ऐसा कौन-सा बेटा है जिसे पिता नहीं सुधारता?+
11 यह सच है कि जब भी किसी को सुधारा जाता है तो उस वक्त उसे खुशी नहीं होती बल्कि बहुत दुख* होता है, मगर जो इस तरह का प्रशिक्षण पाते हैं उनके लिए इससे शांति और नेकी पैदा होती है।