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नीतिवचन 23:29-35पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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29 कौन हाय-हाय करता है? कौन दुखी है?
कौन लड़ता-झगड़ता और शिकायतें करता है?
किसे बेवजह चोट लगती है? किसकी आँखें लाल रहती हैं?
31 दाख-मदिरा के लाल रंग को मत देख,
जो प्याले में चमचमाती है और बड़े आराम से गले से उतरती है।
32 आखिर में वह साँप की तरह डसती है
और ज़हरीले साँप की तरह ज़हर उगलती है।
34 तुझे लगेगा जैसे तू बीच समुंदर में पड़ा है,
जहाज़ के मस्तूल की चोटी पर सोया हुआ है।
35 तू कहेगा, “उन्होंने मुझे मारा? मुझे तो कोई दर्द नहीं हुआ।
उन्होंने मुझे पीटा? मुझे तो कुछ पता नहीं चला।
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