भजन 37:25, 26 पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद 25 अपनी जवानी से लेकर बुढ़ापे तकन तो मैंने कभी किसी नेक इंसान को त्यागा हुआ,+न ही उसकी औलाद को रोटी* के लिए भीख माँगते हुए देखा।+ 26 नेक जन हमेशा खुले हाथ उधार देता है,+उसके बच्चों को आशीषें मिलनी तय हैं।
25 अपनी जवानी से लेकर बुढ़ापे तकन तो मैंने कभी किसी नेक इंसान को त्यागा हुआ,+न ही उसकी औलाद को रोटी* के लिए भीख माँगते हुए देखा।+ 26 नेक जन हमेशा खुले हाथ उधार देता है,+उसके बच्चों को आशीषें मिलनी तय हैं।