23 जैसे ही अबीगैल की नज़र दाविद पर पड़ी, वह फौरन गधे से उतरी और उसने दाविद के सामने ज़मीन पर गिरकर उसे प्रणाम किया। 24 फिर वह दाविद के पैरों पर गिरकर कहने लगी, “मेरे मालिक, अपनी दासी को कुछ कहने की इजाज़त दे। जो भी हुआ है उसके लिए तू चाहे तो मुझे दोषी ठहरा दे, मगर अपनी दासी की बात मान ले।