20 मगर हे इंसान, तू कौन है जो परमेश्वर को पलटकर जवाब देने की जुर्रत कर रहा है?+ क्या ढली हुई चीज़ अपने ढालनेवाले से कह सकती है, “तूने मुझे ऐसा क्यों बनाया?”+ 21 क्या कुम्हार को मिट्टी पर अधिकार नहीं+ कि वह एक ही लोंदे से एक बरतन आदर के काम के लिए और दूसरा मामूली काम के लिए बनाए?