16 “इंसान के बेटे, मैं तेरी प्यारी संगिनी को अचानक मारकर तुझसे छीन लूँगा।+ तू उसके लिए न तो मातम मनाना, न रोना, न ही आँसू बहाना। 17 तू मन-ही-मन कराहना और मातम का कोई दस्तूर न मानना।+ सिर पर पगड़ी और पैरों में जूतियाँ पहनना।+ अपनी मूँछें न ढाँपना+ और जब दूसरे तुझे रोटी लाकर दें तो उसे न खाना।”+