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1 राजा 6:31-35पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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31 उसने भीतरी कमरे के प्रवेश के लिए दो किवाड़वाला फाटक चीड़ की लकड़ी से बनाया और प्रवेश के दोनों तरफ खंभे और फाटक के बाज़ू और पाँचवाँ हिस्सा* भी बनाया। 32 फाटक के दोनों किवाड़ चीड़ की लकड़ी के बने थे। उसने दोनों किवाड़ों पर करूबों, खजूर के पेड़ों और खिले हुए फूलों की नक्काशी की और उस नक्काशी पर सोना मढ़ा। उसने करूबों और खजूर के पेड़ों पर यह सोना पीट-पीटकर लगाया। 33 उसने मंदिर* के प्रवेश के लिए भी इसी तरह चीड़ की लकड़ी से फाटक के बाज़ू बनाए जो चौथे हिस्से* के थे। 34 उसने फाटक के दोनों किवाड़ सनोवर की लकड़ी के बनाए। हर किवाड़ के दो पल्ले थे जो चूलों पर मुड़कर दोहरे हो जाते थे।+ 35 उसने किवाड़ों पर करूबों, खजूर के पेड़ों और खिले हुए फूलों की नक्काशी की और उस नक्काशी पर सोना मढ़ा।
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