19 मैं उन सबको एकता के बंधन में बाँधूँगा*+ और उनके अंदर एक नया रुझान पैदा करूँगा।+ उनका दिल जो पत्थर जैसा सख्त हो गया था,+ उसके बदले मैं उन्हें एक ऐसा दिल दूँगा जो कोमल होगा*+
23 और तुम्हें अपनी सोच और अपने नज़रिए* को नया बनाते जाना है जो तुम पर हावी है+24 और नयी शख्सियत को पहन लेना चाहिए,+ जो परमेश्वर की मरज़ी के मुताबिक रची गयी है और नेक स्तरों और सच्ची वफादारी की माँगों के मुताबिक है।