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दानियेल 2:34, 35पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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34 तू मूरत को देखता रहा और फिर एक पत्थर, जो किसी के हाथ का काटा हुआ नहीं था, अपने आप आया और सीधे उस मूरत के लोहे और मिट्टी के पैरों पर लगा और उसे चूर-चूर कर दिया।+ 35 तब लोहा, मिट्टी, ताँबा, चाँदी और सोना, सब चूर-चूर हो गए और उस भूसी की तरह बन गए जो गरमियों में खलिहान में होती है। और हवा उन्हें ऐसे उड़ा ले गयी कि कहीं भी उनका नामो-निशान नहीं मिला। मगर वह पत्थर, जिसने मूरत को तोड़ दिया था, एक बड़ा पहाड़ बन गया जिससे पूरी धरती भर गयी।
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