36 जब उसने भीड़ को देखा तो वह तड़प उठा,+ क्योंकि वे ऐसी भेड़ों की तरह थे जिनकी खाल खींच ली गयी हो और जिन्हें बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया हो।+
32 तब यीशु ने अपने चेलों को बुलाया और कहा, “मुझे इस भीड़ पर तरस आ रहा है+ क्योंकि इन्हें मेरे साथ रहते हुए तीन दिन बीत चुके हैं और इनके पास खाने को कुछ भी नहीं है। मैं इन्हें भूखा नहीं भेजना चाहता, कहीं वे रास्ते में ही पस्त न हो जाएँ।”+
34 जब यीशु नाव से उतरा तो उसने लोगों की एक भीड़ देखी और उन्हें देखकर वह तड़प उठा,+ क्योंकि वे ऐसी भेड़ों की तरह थे जिनका कोई चरवाहा न हो।+ और वह उन्हें बहुत-सी बातें सिखाने लगा।+
17 इसीलिए ज़रूरी था कि वह हर मायने में अपने भाइयों जैसा बने+ ताकि वह परमेश्वर से जुड़ी बातों में एक दयालु और विश्वासयोग्य महायाजक बन सके और लोगों के पापों के लिए+ सुलह करानेवाला बलिदान चढ़ाए।*+