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मरकुस 6:45-52पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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45 फिर यीशु ने बिना देर किए अपने चेलों से कहा कि वे नाव पर चढ़ जाएँ और उस पार बैतसैदा चले जाएँ, जबकि वह खुद भीड़ को विदा करने लगा।+ 46 मगर उनको अलविदा कहने के बाद, वह प्रार्थना करने के लिए एक पहाड़ पर चढ़ गया।+ 47 अब शाम ढल चुकी थी और नाव झील के बीच थी, मगर वह अकेला पहाड़ पर था।+ 48 उसने देखा कि तेज़ आँधी चल रही है और उसके चेलों को नाव खेने में बड़ी मुश्किल हो रही है क्योंकि हवा का रुख उनके खिलाफ था। तब रात के करीब चौथे पहर* वह झील पर चलते हुए उनकी तरफ आया। मगर ऐसा लग रहा था जैसे वह उनसे आगे जाना चाहता है।* 49 जैसे ही चेलों ने देखा कि वह पानी पर चल रहा है, उन्होंने सोचा, “यह ज़रूर हमारा वहम है!” और वे ज़ोर से चिल्ला उठे। 50 क्योंकि वह उन सबको नज़र आ रहा था और वे घबरा गए। मगर उसने फौरन उनसे बात की और कहा, “हिम्मत रखो, मैं ही हूँ। डरो मत।”+ 51 फिर यीशु भी उनके पास नाव पर चढ़ गया और आँधी थम गयी। वे मन-ही-मन बहुत हैरान थे 52 क्योंकि रोटियों का चमत्कार देखने के बाद भी वे उसके मायने नहीं समझ सके थे। उनके मन अभी-भी समझने में मंद थे।
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यूहन्ना 6:16-21पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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16 जब शाम हुई तो उसके चेले झील के किनारे गए।+ 17 वे एक नाव पर चढ़कर झील के उस पार कफरनहूम के लिए रवाना हो गए। अँधेरा हो गया था और यीशु अब तक उनके पास नहीं पहुँचा था।+ 18 और आँधी की वजह से झील में ऊँची-ऊँची लहरें उठने लगीं।+ 19 लेकिन जब चेले करीब पाँच-छ: किलोमीटर* तक नाव खे चुके थे, तो उन्होंने यीशु को झील पर चलते हुए नाव की तरफ आते देखा और वे डर के मारे थरथराने लगे। 20 मगर यीशु ने उनसे कहा, “डरो मत, मैं ही हूँ!”+ 21 तब वे उसे नाव में चढ़ाने के लिए तैयार हो गए और जल्द ही नाव उस जगह किनारे जा लगी जहाँ वे जा रहे थे।+
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