27 अरे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो,+ धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम सफेदी पुती कब्रों की तरह हो,+ जो बाहर से तो बहुत खूबसूरत दिखायी देती हैं, मगर अंदर मुरदों की हड्डियों और हर तरह की गंदगी से भरी होती हैं। 28 उसी तरह तुम भी बाहर से लोगों को बहुत नेक दिखायी देते हो, मगर अंदर से कपटी और दुष्ट हो।+