14 तब अगर मेरे लोग जो मेरे नाम से जाने जाते हैं,+ खुद को नम्र करें+ और प्रार्थना करके मेरी मंज़ूरी पाने की कोशिश करें और अपनी बुरी राहों से फिर जाएँ,+ तो मैं स्वर्ग से उनकी प्रार्थना सुनूँगा और उनके पाप माफ करूँगा और उनके देश को चंगा करूँगा।+
13 मगर कर-वसूलनेवाला दूर खड़ा था। उसे आकाश की तरफ नज़र उठाने की हिम्मत भी नहीं हुई, बल्कि वह छाती पीटते हुए कहता रहा, ‘हे परमेश्वर, मुझ पापी पर दया* कर।’+