45 जब प्रधान याजकों और फरीसियों ने उसकी मिसालें सुनीं, तो वे समझ गए कि वह उन्हीं के बारे में बोल रहा है।+46 हालाँकि वे उसे पकड़ना* चाहते थे मगर भीड़ से डरते थे, क्योंकि लोग यीशु को एक भविष्यवक्ता मानते थे।+
3 तब प्रधान याजक और लोगों के मुखिया, कैफा नाम के महायाजक के आँगन में इकट्ठा हुए।+4 उन्होंने मिलकर साज़िश की+ कि कैसे यीशु को छल से पकड़ें* और मार डालें। 5 मगर वे कह रहे थे, “त्योहार के वक्त नहीं ताकि लोग हंगामा न मचा दें।”
14दो दिन बाद फसह+ और बिन-खमीर की रोटी का त्योहार था।+ और प्रधान याजक और शास्त्री मौका ढूँढ़ रहे थे कि कैसे यीशु को छल से पकड़ें* और मार डालें।+2 पर वे कह रहे थे, “त्योहार के वक्त नहीं, कहीं ऐसा न हो कि लोग हंगामा मचा दें।”
19 तब शास्त्रियों और प्रधान याजकों ने उसे उसी वक्त पकड़ना चाहा, क्योंकि वे समझ गए थे कि उसने यह मिसाल उन्हीं को ध्यान में रखकर दी है। मगर वे लोगों से डरते थे।+