26 और जब शाऊल उसे मिल गया, तो वह उसे अंताकिया ले आया। इसके बाद, पूरे एक साल तक वे वहाँ की मंडली के साथ इकट्ठा होते रहे और लोगों की बड़ी भीड़ को सिखाते रहे। और परमेश्वर के मार्गदर्शन से अंताकिया में ही पहली बार चेले ‘मसीही’ कहलाए।+
4 इस ‘राह’ के माननेवालों को मैं गिरफ्तार करके जेल में डलवा देता था, फिर चाहे वे आदमी हों या औरत। मैं उन पर बहुत ज़ुल्म ढाता था, यहाँ तक कि उन्हें मरवा डालता था।+